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वह रोती रही बिलखती रही… लेकिन उसकी बात सुनने वाला कोई नहीं था…

समाज बहुत राजनैतिक जगह है। अगर आप समाज में रह कर खुद को ज़िंदा रख पा रहे हैं तो यकीन मानिए आप बहुत ही अच्छे राजनेता हो। हम सभी बहुत अच्छे राजनेता है। क्योंकि हम इस समाज रूपी राजनीति में खुद को बचाने में सफ़ल रहे हैं।

Mob lynching
प्रतीकात्मक चित्र

लोग कहते है समाज ने हमें बांधे रखा है इंसानों को बचाए रखा है। पर किस कीमत पर? इस कीमत पर कि एक माँ को उसके बच्चे से अलग कर दिया गया, केवल शक़ के आधार पर?

पुलिस को जानकारी दिए बिना, किसी संस्थान को बताए बगैर, उन 2-4-8-10-100-200 लोगो की भीड़ ने आपसी बात कर उस औरत को ‘बच्चा-चोर’ घोषित कर दिया और फिर पीट-पीटकर उसके बच्चे से अलग कर दिया और भी न जाने कितनी ही और यातनाएं दी होगी।

भीड़ को एक पल भी इस बात का एहसास नहीं हुआ होगा कि वह औरत बच्चे के नाम को चीख़ कर रो रही है, एक बार भी यह नहीं महसूस हुआ कि बच्चा अपनी माँ से बिछड़ कर किस क़दर रो रहा है?

Mob lynching
मामले की संवेदनशीलता देखते हुए आर्टिकल में प्रतीकात्मक चित्र यूज़ किये गए हैं।

ये है हमारा समाज और यही हक़ीक़त है इस समाज की। जो कुछ लोग असल मायनों में ‘समाज’ को बचाने में लगे हैं वो सिर्फ़ ‘चारे में राई’ के समान है। उन्हें अंग्रेजी में एक्ससेप्शन कहा गया है। नहीं तो अब तक हमनें इंसानो को कभी का लड़-झगड़ कर ख़त्म कर दिया होता।

पति के हाथों गर्म जलती लकड़ीयो से कई बार दागने, उसके हाथों पीटने के बावजूद पीहर वालों ने वहां से भागी ‘कौशल्या’ को फिर ससुराल भेज दिया। आख़िरकार तंग आकर वो ‘पागल-बच्चा चोर’ बच्चे को कमर से बांधे मध्य-प्रदेश के सतना जिले से उदयपुर आ गई। लेकिन इस दौरान भीड़ ने ऊपर वाली लाइन में लिखी सामाजिक गाली का उपयोग करते हुए उससे बच्चा छीन लिया। इतना सबकुछ होने के बाद भी हमारे द्वारा बसाए समाज ने उसे कुछ दिया तो वो थी गाली – घूरती नज़रें – पीटते हाथ।

परेशां, भागती-दौड़ती जैसे तैसे अपने बच्चे को उन लोगो से बचाने में सफ़ल हुईं। लेकिन एक दिन थक-हारकर उसनें आत्महत्या का फ़ैसला ले लिया। क्योंकि ये उस राजनीति के राजनेता नहीं थी।

तभी 2-4 लोग, ये वो भीड़ थी, ‘चारे में राई के समान’ वाली। उन लोगो ने तुरंत दोनो को वहां से उठाया। cws और आशाधाम ने उसके शरीर पर लगे दाग़ भी देखे।

इस तरह की घटनाएं बहुत तेजी से बढ़ रही है चाहे वो आसाम की हो या महाराष्ट्र-पश्चिम बंगाल की या कहीं की भी हो। पूरा भारत इस तरह की घटनाओं से झकड़ा जा रहा है। यह घटना हमारे लिए एक सबक थी।

मैं यह सब लिखने से पहले आप लोगों के सामने एक प्रश्न रखना चाह रहा था लेकिन अब जब आप इस आर्टिकल को पढ़ कर इसके समाप्ति की ओर होंगे तब-तक उस प्रश्न ने आपकी आंखों के सामने एक पेंडुलम की तरह झूलना शुरू कर दिया होगा।

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Shilpgram Utsav 2011 Schedule

Shilpgram Udaipur
Photo By : John Fernandes via Flickr

Udaipur is all set for its annual Shilpgram Festival which will be celebrating its Silver Jubilee this year along with many theme based events. So UdaipurBlog brings you up with the complete list of events and Schedule that will be taking place at the Craftsmen Village aka Shilpgram, Udaipur. Be tuned to your UdaipurBlog.com we will keep you updated with pictures, details and a lot more interesting things from this Shilpgram Festival 2011. 🙂

 Following is the overview and schedule for SHILPGRAM UTSAV – 2011

SHILPGRAM UTSAV – 2011 Overview:

21 DECEMBER. 2011- WEDNESDAY – WELCOME 

22 DECEMBER. 2011- THURSDAY – MAHARASHTRA DAY 

23 DECEMBER. 2011- FRIDAY – GOA  DAY 

24 DECEMBER. 2011- SATURDAY – GUJARAT   DAY 

25 DECEMBER. 2011- SUNDAY  – RAJASTHAN   DAY 

26 DECEMBER. 2011- MONDAY  – Lok Tarang

27 DECEMBER. 2011- TUESDAY  – Udaan

28 DECEMBER. 2011- WEDNESDAY  – Spectrum

29 DECEMBER. 2011- THURSDAY  – Heritage

30 DECEMBER. 2011- FRIDAY  – Symphony

The day-per-day details are as belows:

  • Day I : WELCOME

  • Day II : MAHARASHTRA DAY

  • Day III : GOA DAY

  • Day IV : GUJARAT DAY

  • Day V : RAJASTHAN DAY

  • Day VI : LOK TARANG

  • Day VII : UDAAN

  •  Day VIII : SPECTRUM

  • Day IX : HERITAGE

  •  Day X : SYMPHONY

Source: wzccindia.com