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History and Culture

जानिए उदयपुर शहर के बीचों बीच बसा एक नगर ऐसा भी

व्यस्त ज़िन्दगी और शहर की चकाचौंध से कभी फुर्सत मिले तो ज़रा गाँव हो आना, कभी गाँव की याद आए तो वहां हो आना। शांत, खूबसूरत, प्राकृतिक आलोकिक, मनमोहक वातावरण में हो आना। 

हरे भरे घास के मैदान, खेत खलिहान, मंदिर, कुआँ, गाँव के वो कच्चे मकान ,गाय भैंस ,पशुपालन, फसल,चंचल हवा, पक्षियों की चहचहाट,गोबर से थपे कंडे,छोटा सा जलाशय जहाँ बच्चो को स्नान करते देख खुद के बचपन की स्मृति हो जाती है। 

हम सभी को गाँव बहुत प्यारा होता है, शहर मे व्यस्त हर इंसान छुट्टिया लेकर अपने गाँव जाना चाहता है ,वहाँ रहना चाहता है ,प्रकृति के जितना करीब रहता है उतना अच्छा महसूस करता है। गाँव के इलाकों में रहने वाले लोग शांतिपूर्ण जीवन जीते हैं लेकिन वे कई आधुनिक सुविधाओं से रहित होते हैं जो जीवन को आरामदायक बनाते हैं। यहां लोग एक साधारण जीवन जीते हैं और जो कुछ भी उनके पास होता है उसमें संतुष्ट रहते हैं। गांव आज भी भारतीय सभ्यता और संस्कृति के आधार स्तम्भ है। गाँव में परम्पराओ का निर्वाहन अच्छे से किया जाता है। 

गाँवों में त्योहार सामूहिक रूप से मनाए जाते हैं और इस तरह उस दौरान खुशी और खुशी दोगुनी हो जाती है। वे एक-दूसरे के साथ सद्भाव में रहते हैं। वे रिश्तों को महत्व देते हैं और उसी को बनाए रखने के प्रयास करते हैं। वे अपने पड़ोस में रहने वाले लोगों के बारे में अच्छी तरह से जानते हैं और उनकी ज़रूरत के समय में उनके द्वारा खड़े होते हैं।

आइये जानते है, उदयपुर शहर के बीचों -बीच बसी एक छोटी सी मानव बस्ती जो संपूर्ण गाँव का वर्णन करती है। वैसे तो यह गाँव शहर में है, इसका रास्ता भी शहर से जुड़ा है और यह पूरी तरह गाँव भी नहीं है, पर यह जगह गाँव का वर्णन जरुर करती है, गाँव होने का एहसास जरूर करवाती है । यह जगह प्रकृति के करीब है। इसके साथ ही इस जगह पर भ्रमण करके गाँव की कला, संस्कृति और परंपरा को अच्छी तरह समझ सकते है। गाँव को महसूस जरूर किया जा सकता है। 

यह एक ऐसी जगह है,जो है तो आम सड़क ही पर कुछ देर के लिए वहाँ से गुजरने पर संपूर्ण सुखद गाँव का अनुभव होता है। जिसे देख कर मन और दिल तरोताज़ा हो जाता है। इस जगह आकर संपूर्ण गाँव के निर्बाध दृश्य को देखा जा सकता है।

आइए जानते है शहर में ऐसी कोनसी जगह है जो गाँव का अनुभव करवाती है, यूनिवर्सिटी रोड से शोभागपुरा 100 फीट रोड, पेट्रोल पंप के सामने, अशोक नगर के आगे यह रास्ता निकल रहा है, जो सीपीएस स्कूल की तरफ निकल रहा है। यही वह जगह है जो गाँव का वर्णन करती है।

शाम के समय अगर वक्त मिले तो इस गांव में हो आना ज़रा इसे निहार आना, अपने बचपन की गलियों से मिल आना।

 

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A Holi Close to Our Roots

Heartiest greetings on the colourful occasion of Holi. We all know the importance of Holi as well as the story behind celebrating Holi as well as Holika Dehen. It dates back to very ancient history and mythology when king Hiranyakashayp ordered his son Prahlad to be burnt who was a devotee of Lord Vishnu. Hiranyakashyap’s sister Holika consented to accompany Prahlad in the fire as she had a blessing that no fire could ever burn her so as to ensure his demise.  Holika sat on pyre with Prahalad. Holika burnt alive while Prahalad was saved by the Lord.

But now-a-days we are going far away from our roots, our culture. The traditions have either become a formality, or a commercial venture, or rather an extinct or endangered culture. In deep thoughts about the same, I visited a small village/rural area to find out if the culture still alive, and to my surprise, yes it was.

The place I visited was a developing rural area in the interiors of the village Shobhagpura in Udaipur. This remote area witnessed the concrete roads for the first time just before few months. Here all the villagers and other people live in true harmony. I was welcomed by Mr. Gopal Prasad, an independent journalist, who has settled here in search of peace.

It was about 7.15 in the evening; small girls were seen making rangolis near the location. Village ladies and housewives were seen worshipping the structure. Slowly the crowd started to gather, and as happens every year, the worship and rituals were performed by the eldest person living in the village, who fired up the Holika.

Holi in a village

In next few minutes the entire area was filled with light and heat of the huge fire. Mr. Gopal informed that the villagers offer a share of the new harvest of wheat to the fire, and the roasted wheat grains so obtained is distributed to all as the Prasad. Any newborn baby is also made to revolve around the holy fire. It is believed that all the evil forces are burnt away with the fire and the spirit becomes pure and clean.

Eldest member of the Village performing the Rituals
Eldest member of the Village performing the Rituals

Eldest member of the Village performing the Rituals

Holika Dehen Rituals being performed
Holika Dehen Rituals being performed

Holi in a villageHoli in a villageHoli in a village

offering the first harvest of wheat to the fire
Offering the first harvest of wheat to the fire

Finally I was happy on my way back home. All i was taking along with me was not only the roasted wheat grains, but were memories, a warm, friendly welcome at the village, more knowledge about our cultures, and an entirely different Holi to remember for the lifetime.

Wishing everyone a very Happy, Colourful and Safe Holi. Enjoy a lot but remember to Save Water 🙂