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उदयपुर के इंदिरा आईवीएफ हेड ऑफिस पर सेंट्रल जीएसटी (CGST) की टीम ने मारा छापा

उदयपुर स्थित इंदिरा आईवीएफ के हेड ऑफिस पर सेंट्रल जीएसटी (CGST) की टीम ने छापा मारा है। उदयपुर पहुंची टीम कर चोरी को लेकर जांच कर रही है। संभावनाएं यह जताई जा रही है की इंदिरा आईवीएफ की बड़ी कर चोरी का खुलासा हो सकता है।

सेंट्रल जीएसटी की दिल्ली से आई टीम व राजस्थान की टीम संयुक्त कार्यवाही कर रही हैं। इस संयुक्त टीम ने इंदिरा आईवीएफ के कुम्हारों का भट्‌टा स्थित सेंटर पर छापा मारा है और कार्यालय से महत्वपूर्ण दस्तावेज़ भी हासिल किए हैं। उन दस्तावेज़ों की अभी जांच जारी है।

संभावनाएं जैसी जताई जा रही है उसके मुताबिक बड़ी कर चोरी का मामला हो सकता है। इसमें इंजेक्शन में खरीद के अतिरिक्त अन्य कई चीजों में कर से जुड़ी गड़बड़ियों की आशंका जताई जा रही है। सीजीएसटी से मिली सूचना के अनुसार कार्रवाई मंगलवार पूरी रात और बुधवार सुबह तक की गई।

इंदिरा आईवीएफ के देशभर में कई ब्रांच हैं, मगर इनका मुख्यालय उदयपुर स्थित कार्यालय ही है। इसलिए अभी सेंट्रल जीएसटी की टीमें कुम्हारों का भट्‌टा स्थित इंदिरा आईवीएफ सेंटर के हेड ऑफिस पर है। अबतक मिली जानकारी में सामने आया है कि सीजीएसटी अपनी कार्रवाई पूरी होने के बाद अधिकारिक जानकारी जारी करेगा, जिसमें कर चोरी से जुड़ी जानकारी सामने आएगी।


यह डाटा दैनिक भास्कर से प्राप्त किया गया है।  

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47 District Collectors of Udaipur in the last 74 Years

Did you know, in these 74 years, there has been only one female District Collector of Udaipur till date?

In India, the post of District Collector was created by Warren Hastings in the year 1772. Since then the role has been an essential part of Indian administration. But did you know, that a total of 47 collectors have served the city of lakes since 1948? Before diving into another glorious history of this majestic city, let us know about the role of a District Collector (DC).

A District Collector (DC) is the principal representative of the administration, functions in close cooperation with the superintendent of police to maintain law and order in the district and serves as the principal revenue officer.

In 1948, when Rajasthan was still Rajputana, Shri Moinuddin became the first District Collector of Udaipur. Rajasthan was formally instituted as a state on 30 March 1949 after the British state of Rajputana was merged into the Dominion of India. Since after Shri Moinuddin, there have been a total of 47 collectors of Udaipur who have served the city at their administrative best.

Well, among all, Dr. VS Singh has served for the shortest period as an administrative head of Udaipur. He took charge on 18 October 1989 and served for 72 days. And on the contrary, RR Jain served for the longest tenure of 1,173 days. He started his tenure in the collectorate on 21 October 1967 and served till 6 January 1971.

Udaipur has been served by 2 Collectors in one calendar year thrice in the last 74 years. Mohanlal Agarwal and BN Tankha took charge as Collectors of Udaipur in 1949; Rama Kant Vyas and Ratan Singhi took office as Collectors of Udaipur in 1990; Kuldeep Ranka and Anand Kumar took charge as Collectors in 2008.

Among the last 25 Collectors of Udaipur, seven administrative heads of Udaipur, viz. Kuldeep Ranka, JP Singh, Vipin Sharma, Dr. Ashok Singhvi, Vinod Kapoor, Chetan Deora and Tara Chand Meena have been from the Rajasthan cadre. All of them have held the dual role of Collector and District Magistrate.

In the last 74 years, Udaipur has seen only one female District Collector and that is Ms Anandi, who became Collector and District Magistrate of Udaipur on 25 December 2018 and was in-charge till 4 July 2020.

Here is a list of 47 district collectors who have served Udaipur in 74 years
S.NO. NAME OF THE DISTRICT COLLECTORS YEAR OF SERVICE
1 Moinuddin 1948
2 Mohan Lal Agarwal 1949
3 BN Tankha 1949
4 Khem Chand 1951
5 KR Himmat Singh 1952
6 Raj Kumar 1953
7 RN Hawa 1954
8 Shiv Shanker 1955
9 GBK Hooja 1958
10 PKB Kurup 1960
11 CL Kochar 1963
12 MS Sadasivan  1964
13 BC Mukerji 1965
14 KK Joshi 1966
15 RR Jain 1967
16 Vinaya Vyas 1971
17 Govind Ji Misra 1973
18 PN Bhandari 1974
19 Dr Adarsh Kishore 1976
20 BS Minhas 1979
21 JP Singh 1980
22 Dharam Veer 1983
23 PK Deb 1985
24 PC Jain 1987
25 Atul Kumar Garg 1988
26 Dr. VS Singh 1989
27 Rama Kant Vyas 1990
28 Ratan Singh Singhi 1990
29 Rakesh Srivastava  1992
30 Vipin Chandra Sharma 1993
31 Ashok Singhvi 1995
32 Shreemat Pandey 1997
33 Prem Singh Mehra 1999
34 Vinod Kapoor 2001
35 Abhay Kumar 2002
36 Shikhar Agarwal 2005
37 Alok 2007
38 Kuldeep Ranka 2008
39 Anand Kumar 2008
40 Hemant Kumar Gera 2010
41 Vikas SItaram Bhale 2012
42 Ashutosh Pednekar 2013
43 Rohit Gupta 2015
44 Bishnu Charan Mallick 2017
45 Ms Anandhi 2018
46 Chetan Ram Deora 2020
47 Tara Chand Meena 2022

The data has been curated from Udaipurtimes.com.

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निगम का करोड़ो का बजट: क्या अब बदलेगी उदयपुर की दशा?

अगर उदयपुर का नाम दिमाग में आते ही सौंदर्य से पहले टूटी सड़कें आती है तो हां उदयपुरवासी हो तुम !

सालों से “अंडर कंस्ट्रक्शन” चल रहे उदयपुर को शायद अब राहत मिल सकती है। नगर निगम बोर्ड बजट की बैठक तीसरी बार हुई। बैठक में पक्ष और विपक्ष दोनों ने एक ही सुर में शहर के विकास के लिए बोर्ड के सामने कई मुद्दे उठाए। इसी बीच निगम द्वारा 2022-23 सत्र के विकास कार्यों के लिए 298.03 करोड़ का बजट पास किया गया।

जिस तरह की हालत है हमारे शहर की सड़कों की उस पर निगम को शायद इस बार तरस आ गया। इसीलिए इस बार सड़को के सुधार के लिए तीन गुना ज़्यादा राशि रखी गई है। इसके अलावा ई-वाहनों को प्रोत्साहित करने के लिए अनुदान देने का भी प्रस्ताव रखा गया। जहाँ देहलीगेट फ्लाईओवर के निर्णय पर एलिवेटेड रोड की चर्चा हुई वहीँ विधायक फण्ड से ज़िपलाइन डालने के लिए राशि की स्वीकृति भी मिली है।

आइए विस्तार से जाने की कितनी है समस्याएं और किन पर होगा काम।

समस्याएं

  • सभी वार्डों में सड़के टूटी-फूटी है और अधिकांश जगह पेयजल की समस्या है।
  • कई वार्ड यूआईटी सिमा क्षेत्र में है तो कुछ निगम के क्षेत्र में और दोनों के क्षेत्र में होने से कई जगहों पर विकास कार्य नहीं हो रहा, हालत जैसी की तैसी ही है।
  • कचरे के कंटेनर हटने से सड़क पर कचरा पड़ा रहता है।
  • स्मार्ट सिटी के कार्यों में गति ना होने और कार्यों में मॉनिटरिंग ना होने से अंदरुनी शहर में परेशानियां सिर्फ बढ़ ही रही हैं।
  • हिरणमगरी स्मार्ट रोड में भी कई ख़ामियाँ है।
  • कई इलाकों में सामुदायिक भवनों को सुधरने की अत्यंत आवश्यकता है।
  • जगह-जगह अतिक्रमण है ।
  • बोहरा गणेशजी जैसी कई जगहों पर चौड़ी सड़क की आवश्यकता है।
  • औद्योगिक क्षेत्रों में सिटी बसें नहीं चल रही।
  • कई क्षेत्रों में वनवे से परेशान है आम लोग।
  • कच्ची बस्तियों और गरीब जनता की पट्टे की दिक्कत।
  • लगभग हर वार्ड में सफाई कर्मी गायब रहते है और कचरा संग्रहण की व्यवस्था भी ठीक नहीं है।

यह तो कुछ गिनी-चुनी समस्याएं हैं जो की पार्षदों द्वारा गिनवाई गई है। ना जाने कब से आम जनता इन परिस्थितयों से शतिग्रस्त है। इसी को देखते हुए इतने बड़े बजट की स्वीकृति मिली है। अब देखते है की इसके तहत किन-किन समस्याओं का समाधान होता है।

समाधान कुछ इस प्रकार होंगे:

  • सड़कों के लिए 46 करोड़: शहर की क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत के लिए निगम ने इस बार 46 करोड़ बजट का प्रावधान रखा है। इसमें महापौर द्वारा आश्वासन दिया गया है की सभी वार्डों में जल्द ही सड़कों की हालत सुधरेगी जिसमे से अधिकांश के टेंडर हो चुके है।
  • दूधतलाई पर ज़िपलाइन व पार्किंग: दूधतलाई पर ज़िपलाइन बनाने की स्वीकृति मिल चुकी है और साथ ही उसके पीछे ज़मीन को साफ़ कर वहां पार्किंग स्थल बनाने का भी सुझाव दिया गया है।
  • ई-वाहनों पर अनुदान: शहर में ई-वाहनों को बढ़ावा देने के लिए नगर निगम दुपहिया वाहन ख़रीद पर दो हज़ार व ई-रिक्शा खरीदने पर 4 हज़ार रुपये का भुगतान करेगा। इसके लिए बजट में 50 लाख रुपये का अलग से प्रावधान रखा गया है।
  • देहलीगेट फ्लाईओवर की जगह एलिवेटेड रोड का प्रस्ताव: पहले देहलीगेट पर फ्लाईओवर बनने का प्रस्ताव सामने आ रहा था लेकिन बोर्ड की बैठक में उदियापोल से कलेक्टर के बंगले तक एक एलिवेटेड रोड का प्रस्ताव रखा गया है। निगम को इसके लिए कोर्ट से अनुमति लेनी होगी और मज़बूती से अपना पक्ष भी रखना होगा।
  • जनसहभागिता योजना आरम्भ: आमजन व वार्ड की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए निगम ने पहली बार जनसहभागिता योजना प्रारम्भ की है। इसके तहत किसी संस्था द्वारा जनहित में कार्य विशेष के लिए 30 प्रतिशत अंशदान देने व 70 प्रतिशत व्यय निगम की ओर से करवाया जाएगा।
  • पार्षद करवा सकेंगे 2 लाख तक के काम: पार्षद अपने वार्डों में दो लाख रुपये तक विधायक फण्ड से काम करवा सकेंगे। इसके लिए नियमों के तहत जो काम आएँगे उसी के लिए ही स्वीकृति दी जाएगी।

अब आने वाले 2022-23 सत्र में इन सभी सुधार और विकास कार्यों का इंतज़ार रहेगा जिससे समस्त उदयपुरवासियों का जीवन आसान होगा और यहाँ आने वाले टूरिस्ट्स का भी अनुभव अच्छे सन्दर्भ में यादगार होगा।

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जानिए उदयपुर के लिए कैसा रहा बजट 2022

2022-23 का आम बजट इस बार अपने साथ कई उतर-चढाव और सौगातें भी लेकर आया। बजट का फायदा देश की 100 स्मार्ट सिटियाें में शामिल उदयपुर काे भी अतिरिक्त बजट के रूप में मिलेगा। साथ ही जिले के कृषि विश्वविद्यालय को और करदाताओं को इस बजट से लाभ भी होगा।

स्मार्ट सिटी के कार्यों काे बड़ी राहत

केंद्र सरकार के आम बजट 2022-23 से उदयपुर के स्मार्ट सिटी के कामों काे बड़ी राहत के संकेत भी मिले हैं। इस बजट में शहरी विकास पर खासा ज़ोर दिया गया है। इससे शहर में स्मार्ट सड़क, सीवरेज, ड्रेनेज, बिजली, पानी, सप्लाई, स्वच्छता के कामों को अब जा कर गति मिलेगी।

हाउसिंग में आयकर छूट नहीं

उदयपुर में पिछले 10 साल से हर साल औसतन 10 हज़ार नए घर बनते हैं। प्राॅपर्टी कारोबार को गति हाउसिंग में आयकर छूट को 1.5 लाख से बढ़ाकर 5 लाख करने पर ही मिलती, जाे इस बार भी नहीं मिली। हाउसिंग में आयकर छूट नहीं बढ़ने से बिल्डर्स काफी निराश हैं।

कृषि विश्वविद्यालयों में शोध व नवाचार को बढ़ावा

बजट 2022 को कृषि विश्वविद्यालयों में शोध व नवाचार को बढ़ावा देने वाला बताया जा रहा है और इसकी वजह यह भी है की एमपीयूएटी में रिसर्च के लिए इस बार ज़्यादा फंड आएगा। बताया जा रहा है कि केंद्र और राज्य सरकार से मिलने वाले बजट से विश्वविद्यालय का इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ेगा। इस बजट से विवि में इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम, फूड सेफ्टी, फूड एग्रीकल्चर प्रक्टिसेज़, एग्रीकल्चर प्रोसेसिंग और एग्रीकल्चर मार्केटिंग की शिक्षा का सीधा फायदा किसानों को होगा।

संभाग के 4 लाख करदाताओं को लाभ

केंद्र सरकार के चौथे बजट में वित्त मंत्री ने आयकरदाताओं को बड़ी राहत देते हुए आईटीआर को दो साल तक अपडेट करने की सुविधा दी है। इस सुविधा का फायदा उदयपुर संभाग के 4 लाख आयकरदाताओं को भी मिलेगा। पहले आईटीआर फाइल करने की तारीख 31 जुलाई होती थी तो आयकरदाता 31 दिसंबर तक आईटीआर अपडेट कर सकते थे। इस साल कोरोना के चलते विभाग ने अंतिम तिथि 31 मार्च 2022 तक कर दी है। नए बदलाव के चलते अगर आयकरदाता पहले साल में रिटर्न अपडेट करता है और अतिरिक्त आय दिखाता है तो उसे उस आय का 25% टैक्स, ब्याज, 4% एजुकेशन सेस व सरचार्ज देना होगा। वहीं दूसरे साल में अपडेट करने पर 50% टैक्स, ब्याज, 4% सेस और सरचार्ज का भुगतान करना पड़ेगा।

जहाँ बजट 2022 में टैक्स में छूट नहीं मिली और मनरेगा का बजट भी घटाया गया वहीँ कई प्रतिनिधियों का कहना है की इस बजट के अंतर्गत बेरोज़गारों को रोज़गार मिलेगा और किसानो की आय भी बढ़ेगी। इसके बाद शहर में कई अन्य प्रोजेक्ट्स को भी स्वीकृति मिली है, जिससे आने वाले समय में आम जान को फायदा होगा।

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Japan Is Using Hydrogel Technology Of Udaipur Farmer’s Son

They say a son is his father’s pride, especially when he has earned the pride globally! 

In a developing country like India, farmers and their farms have always suffered water scarcity issues. Many organizations and governments have tried and extended help in that area but nothing major could be achieved.

Among other farmers when Narayan saw his father facing the same problem, he decided to do something out of the box. Narayan used his engineering skills and made a hydrogel out of fruit peel. The use of this gel reduces the need for water by 40% and the need for fertilizer by 30%. Now the same technique is being used and followed in Japan also.

Ideation of Hydrogel

Narayan always had a keen interest in science. Thereafter, his father supported him and asked him to do something that can solve their problems. With that vigor the idea of making this polymer popped. Narayan formed a team of four and with the help of his professor, he was able to bring his idea into reality. From his childhood, he had seen farmers and his own family suffer from water scarcity issues and he knew his product could bring a massive change in the farming industry.

How Did This Hydrogel Came Into Existence
  • To make this hydrogel, Narayan used to visit every fruit juice shop in Udaipur in order to collect the fruit peels.
  • The hydrogel is prepared with Super Adsorbent Polymer Technology.
  • A substance named pectin is extracted from the fruit peels and after that, it gets polymerized.
  • Then Narayan and his team prepared a secret recipe.
  • After the cross-linking and extracting pectin, the product was ready in a powdered form.

More Than 5000 Farmers Are Using This Technique

More than 5000 farmers are using this hydrogel technique to cure their fertilizers and water problems. Narayan proudly exclaimed that Japan is now using his product. In a country like Japan, where there is a constant danger of soil slippage, this technique works as a miracle. Due to this, recently the local government of Okinawa, Japan and a company have started using this product from Narayan’s company.

So far, this product has been used on 4 thousand acres of land. Through this hydrogel, 600 million liters of water has been saved and more than 5000 farmers have used it, giving them a considerable amount of profit.

Benefits of Using Narayan’s Product

Farmers have to irrigate their fields every 15 days but, with this hydrogel technology, farmers can water their fields even after 25 days as this hydrogel increases a soil’s water absorption capacity. Also, this technique helps in 30% reduction in the usage of fertilizers. The best part is that 5 kg hydrogel is used in one acre of land.

This Product Is Patented In 6 Countries

Narayan has patented this product in Australia, America, China, Japan, South Africa including India. With regard to crops, combine projects are going on in Hiroshima, Nagasaki, Hokkaido, Awageshima, Japan with Narayan’s company. Apart from India, this product is also being used in South Africa, California, Thailand, Philippines, Canada, Japan, Australia.

Narayan has made a product, a technique that is not only making his family proud but has created a distinctive history for our city as well as the country.

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लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ नियुक्त हुए राज्यपाल के सलाहकार

आज महाराज कुमार लक्ष्यराज सिंह जी मेवाड़ के जन्मदिन पर एक गर्व भरा तोहफा उन्होंने मेवाड़ को भी दिया है। राजस्थान के राज्यपाल माननीय कलराज मिश्र ने मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य और एचआरएच ग्रुप ऑफ होटल्स के एग्ज़िक्युटिव डायरेक्टर लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ को अपने सलाहकार मंडल में सदस्य बनाया। लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ को पर्यटन व रोज़गार से सम्बंधित विषयों पर सलाह देने के लिए इस मंडल में शामिल किया गया है।

राज्यपाल मिश्र के प्रमुख सचिव सुबीर कुमार के जारी आदेशानुसार राजस्थान के समग्र विकास से संबंधित प्रकरणों में समय-समय पर परामर्श के लिए गठित राज्यपाल सलाहकार मंडल में लक्ष्यराज सिंह को पर्यटन एवं रोज़गार से संबंधित विषयों पर अपनी सलाह देने के लिए सम्मिलित किया गया है।

राज्यपाल सलाहकार मंडल में नौ अन्य विषय विशेषज्ञों को भी मनोनीत किया हुआ है। राज्यपाल मिश्र के सलाहकार मंडल में उच्च शिक्षा, पर्यटन एवं कला संस्कृति, रोज़गार सृजन, विधि, प्रशासन, उद्योग, अर्थशास्त्र, अनुसूचित जनजाति क्षेत्र विकास, जल संरक्षण जैसे तमाम मसलों पर समय-समय पर क्षेत्र के विकास के लिए मंथन किया जाता है।

प्रदेश और मेवाड़ के भविष्य के लिए यह फैसला अत्यंत लाभदायी होगा।

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Gain Desired Shape Lips & Face Without Plastic Surgery

CEO of the Arth Group, Dr. Arvinder Singh, has received the Life Time Membership of the International Face Injector Society. By receiving the special training for these qualifications from International academy of Aesthetics training, Sweden, Dr. Arvinder Singh has received this honor. 

Face Injector technique is a non-invasive process through which lips and face can be shaped in the way one wants, without any surgery.  The training helps the practitioner to get an artist’s touch and remove wrinkles of the face, pits under the eyes, chin shaping, beautiful lips and so on. The results through this procedure can be achieved in just a few hours. The specialty of this procedure is that the client can see the changes happening simultaneously while being filler injection and can choose the shape according to his/her liking and way.

The face is a delicate place and plays a huge role in leaving an impression on the people we meet, so special training is necessary for injection on the face.

National Secretary of International Face Injector Society, Dr. Rajat Bhandari, gave membership to CEO of the Arth group Dr. Arvinder Singh and said that Dr. Singh received the special training required for this qualification from International Academy of Aesthetic Training, Sweden and met the credentials and quality standards to achieve the Life Time Membership of the International Face Injector Society.

Address: 3rd Floor, 4C Arth Building, behind Bhartiya Lok Kala Mandal, Madhuban, Udaipur, Rajasthan 313001
Phone Number: 8669855945 (Morning 10 am to Evening 5 pm)
Email id: Info@arthskinfit.com

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सीवरेज का पानी रिसकर झील में घुल रहा है; 18 साल से कहाँ है प्रशासन?

झीलों का हाल है बेहाल!

झीलों का शहर कहते है उदयपुर को; झीलों के साथ बसा एक शहर। पर समय के साथ उन झीलों का जब हमे ध्यान रखना चाहिए था तब हमने रखा ही नहीं। वैसे हमने भी झीलों को गन्दा करने में कोई कसर नहीं छोड़ा लेकिन अब प्रशासन की लापरवाही की वजह से झीलों में दूषित सीवेरज का पानी जा रहा है और प्रशासन को सुध ही नहीं है।

नई पुलिया से अंबावगढ़ बस्ती तक मेनहोल से निकलकर सीवरेज का पानी सड़क पर फैल रहा है और यही पानी दीवारों से रिसकर झील में भी मिल रहा है। नई पुलिया के पास स्थित मेनहोल को निगम के कर्मचारियों ने खुला ही छोड़ रखा है। अब इसे लोग भराव डालकर पाट रहे हैं। ऐसे ही चलता रहा तो पूरा मेनहाेल जाम हो जाएगा और इससे परेशानी और ज़्यादा बढ़ सकती है।

जानिए स्थानीय लोगों का हाल

स्थानीय लाेगाें का कहना है कि यहां वर्ष 2004 में सीवरेज लाइन डाली गई थी। तब से यहां आए दिन पानी भरता रहता है। इसके अलावा सीवर लाइन में लीकेज के कारन झील की दीवाराें से भी कई जगह से दूषित पानी रिसकर झील में जा रहा है। क्षेत्रवासी और झील प्रेमी इस बारे में कई बार निगम से शिकायत भी कर चुके हैं लेकिन फिर भी इसका कोई हल नहीं निकला है।

स्थानीय लोगो का यह भी कहना है की बस्ती में दाे जगह सीवरेज की लाइन डली हुई है और प्लांट नेचुरल हाेटल के यहां लगा हुआ है। ऐसे में प्लांट से पहले कचरे काे राेकने के लिए जालियां भी लगाई गई हैं। लेकिन अमूमन इन जालियों में प्लास्टिक का कचरा फंस जाता है, जिसकी सफाई भी समय पर नहीं होती है। अब इससे होता यह है की लाइन जाम हो जाती है और पानी सड़क पर फैलने लगता है।

जिस दिन क्षेत्र में जलापूर्ति हाेती है उस दिन परेशानी और ज़्यादा बढ़ जाती है। पानी फैलने से रज़ा चाैक में पानी इक्कठा होने की वजह से छाेटा सा तालाब ही बन जाता है।

पहले भी हुई है कोशिश इस समस्या को दूर करने की

2018 में इस मुसीबत से छुटकारा पाने के लिए कलेक्टर ने 28 पॉइंट चिह्नित कर कमेटी भी बनाई थी मगर उसका भी कोई निष्कर्ष नहीं निकला और काम भी नहीं हुआ।

अब स्मार्ट सिटी संभालेगा कार्यभार

अब नई पुलिया से अंबावगढ़ बस्ती वाली लाइन काे स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंदर ले लिया गया है। स्मार्ट सिटी अधिकारीयों का कहना है की इसका प्रपोज़ल भी तैयार कर लिया गया है। इस क्षेत्र में काम हाेने पर पूरी लाइन नई डाली जाएगी।

आशा है यह कार्य जो की पिछले 18 वर्ष से पूरा नहीं हुआ जल्द से जल्द पूरा हो और शहर वासियों के साथ हमारी झीलों को भी इस दूषित जल से राहत मिले।

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उदयपुर में अभी कुछ ऐसा है कोरोना का ट्रेंड

इस साल नए साल का स्वागत बढ़ते कोरोना संक्रमण से हुआ। कोरोना के मामले लगातार बढ़ते रहे और साथ ही उदयपुर में पॉज़िटिव होते लोग। ओमीक्रॉन जैसे नए वेरिएंट के फैलने से काफी ज़्यादा हड़कंप सा मच गया। इस सब के बीच में राहत की बात यह रही की मरीज़ों की रिकवरी रेट बहुत ही बढ़िया रही है।

राजस्थान के 50% आ रहे संक्रमितों में भी उदयपुर प्रदेश के कई शहरों में से एक था और जनवरी के महीने में 17 दिन में 5295 मरीज़ भी सामने आए। मगर रिकवरी रेट तेज़ रही। जनवरी के महीने में इनमें से 1504 मरीज़ रिकवर हो गए और इसीलिए एक्टिव मरीज़ों की संख्या कम रही।

Source: IndiaTVNews

कोरोना के अभी के ट्रेंड में पता चला है कि संक्रमित हुए रोगियों को ठीक होने में 5 से 7 दिन का समय लग रहा है। पिछले एक सप्ताह में उदयपुर में कोविड के 4106 मरीज़ सामने आए और उनमें से भी एक्टिव मरीज़ 3791 हैं। जहाँ दूसरी लहर में 14 से 20 दिन का समय भी रोगियों को रिकवर होने में लगता था वहीँ तीसरी लहर में रिकवरी जल्दी हो जा रही है।

तीसरी लहर में यह ट्रेंड भी देखने को मिला है कि मरीज़ घर में ही ठीक हो रहे हैं। जिससे अस्पताल में कम मरीज़ भर्ती हो रहे है। जनवरी के महीने में उदयपुर में पॉज़िटिव आए 5295 मरीज़ों में से सिर्फ 64 मरीज़ ही फिलहाल अस्पताल में भर्ती हैं। जो कि कुल मरीज़ों का महज 1.20 प्रतिशत है। यानि हर 500 मरीजों में से सिर्फ 6 मरीजों को ही अस्पताल में भर्ती होना पड़ रहा है। उदयपुर में फिलहाल एक्टिव 3791 मरीजों में से 3727 मरीज होम आईसोलेशन में ही हैं।

माना की रिकवरी रेट अच्छी है पर इसका मतलब यह बिलकुल भी नहीं है की हम किसी भी तरह की लापरवाही करें। इस समय सबसे ज़्यादा ज़रूरी है की हम सावधानी बरतें, नियमों का पालन करें, मास्क लगाएं एवं सुरक्षित रहे ताकि तीसरी लहर हमपर नहीं हम तीसरी लहर पर हावी हो।

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उदयपुर के नए कलेक्टर होंगे ताराचंद मीणा

कलेक्टर चेतन देवड़ा ने आज उदयपुर का पदभार नए कलेक्टर ताराचंद मीणा को दिया। वे 2011 बैच के IAS हैं। ताराचंद मीणा इससे पहले चितौड़गढ के कलेक्टर थे, जहां से उन्हें कल ट्रांसफर कर उदयपुर लगाया गया। वहीं, चेतन देवड़ा को आबकारी आयुक्त में लगाया गया है। कार्मिक विभाग ने रविवार देर शाम को सूची जारी कर 52 IAS के ट्रांसफर कर दिए थे।

उदयपुर के नए कलेक्टर ताराचंद मीणा

सोमवार को पदभार संभालने के बाद उन्होंने अपने टार्गेट्स के बारे में बताते हुए कहा की इस वक़्त कोरोना संक्रमण को काबू में करना सबसे ज़्यादा ज़रूरी है और इसके लिए हर मुमकिन पूरी कोशिश की जाएगी। इसी के साथ वक्सीनशन को लेकर भी मॉनिटरिंग कर वक्सीनशन की गति बढ़ाई जाएगी अथवा वित्तीय वर्ष के अंतिम 3 महीनों में पेंडेंसी को निपटाकर नए टारगेट पर काम किया जाएगा।

ताराचंद मीणा ने यह भी कहा कि उदयपुर में मौताणा जैसी कुप्रथाओं और दूसरी स्थितियों को लेकर भी लॉ एंड आर्डर को बिगड़ने नहीं दिया जाएगा। आम लोगो से संवाद स्थापित करने के लिए ज़्यादा से ज़्यादा दौरे करेंगे। नगर निकायों के अपने अनुभव के आधार पर भी यूआईटी और सिटी डेवलपमेंट पर भी फोकस करेंगे।