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आरएनटी अस्पताल में मजबूत हो रही हेल्थ सर्विस

उदयपुर आरएनटी मेडिकल कॉलेज के 3 अस्पतालों (एमबी, जनाना और सुपर स्पेशिएलिटी ) में 300 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे लगाए गए है। जनरल वार्ड से लेकर ऑक्सीजन प्लांट,आईसीयू वार्ड, ओपीडी, आईपीडी, कोविड वार्डो तक मरीजों और स्टाफ की हर छोटी से बड़ी गतिविधियां स्क्रीन पर है। सर्वर रूम में प्रिंसिपल कार्यालय से नोडल अधिकारी 3 पारियों में 24 घंटे निगरानी कर रहे जबकि एनालिस्ट कम प्रोग्रामर एक शिफ्ट में। इन सीसीटीवी लगाने का मकसद मरीजों और तीमारदारों के लिए व्यवस्था के साथ स्टाफ के कामकाज पर नजर रखना है ताकि कोई गड़बड़ी या असुविधाजनक गतिविधि और चोरियां के साथ स्टाफ की हरकते होने पर उन पर कार्यवाही की जा सकती है। इसके साथ ही और सुरक्षा बढ़ाने के लिए हॉल, गैलरी, पोर्च, प्रवेश द्वार और पार्किंग तक 100 से भी ज्यादा और कैमरे लगाए जाएंगे। कोविड काल में 180 कैमरे लगाए गए थे व्यवस्था में सुधार होने पर 120 कैमेरे और बढ़ाए है।

आरएनटी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ लाखन पोसवाल का कहना है की कोरोना के दूसरे चरणों में मरीजों की संख्या ज्यादा होने से आपाधापी जैसे हालात हो रहे थे। वजह यह थी की आईसीयू में तीमारदारों के जाने की मनाही थी और कई सारी शिकायते भी मिल रही थी की स्टाफ ध्यान नहीं दे रहा है इसलिए मारीजों और कर्मचारियों की निगरानी के लिए सिसिटीवी कैमरे लगाए थे। कैमरे लगाने से सफलता मिली तो कैमरे बढ़ाने के साथ कंट्रोल रूम को स्थायी किया है।

सीसीटीवी से कायम अनुशासन
सीटीवी सर्विलैंस से आईसीयू में भर्ती मरीज,गार्ड की मौजूदगी, स्टाफ की ड्यूटी, समय की पालना आदि में अनुशासन कायम हुआ है। इसके साथ ही अस्पताल परिसर में चोरियों की शिकायत अब थमने लगी है और स्टाफ को लेकर शिकायत भी घटने लगी है। प्रिंसिपल कार्यालय में सीसीटीवी की नोडल अधिकारी डॉ रिचा पुरोहित ने बताया की कोविड के दूसरे चरण में ऑक्सीजन प्लांट,आईसीयू आदि पर निगरानी रखी गई है। सोशल मीडिया ग्रुप पर हर घंटे में प्लांट के प्रेशर मीटर की रीडिंग, मरीज के पास मॉनिटर पर हेल्थ पैरामीटर (पेशेंट का नांम, बीपी – प्लस, ऑक्सीजन सेचुरेशन आदि) की शीट मंगवाई थी। अब मरीज के बेड के आसपास रिश्तेदारों की भीड़, नर्सरी या डॉक्टरो के नजर नहीं आने पर वार्ड इंचार्ज या अधीक्षक को फ़ोन कर व्यवस्था करवा रहे है। आरएनटी में 2018 से सीसीटीवी से निगरानी है, लेकिन तब कमरे कम थे, जिस वजह से रोज चोरी के मामले सामने आ रहे थे। कैमरे बढ़ने से अब चोरी के मामले बिलकुल भी नहीं आ रहे है।

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मजबूत बनेगा उदयपुर, इसके कई सारे प्रोजेक्टस होंगे पुरे।

उदयपुर अब मज़बूत बनने वाला है, साथ ही ख़ुशी और समृद्धि भी बढ़ने वाली है। असल में उदयपुर में कुछ प्रोजेक्ट थे, कई वक्त से कई सारी जगहो पर काम चल रहा है जो उदयपुर की दुर्दशा को बदलने वाले है। कुछ प्रोजेक्ट्स पर तेजी से अभी भी काम चल रहा है। उदयपुर शहर की पहचान ही पर्यटन के लिए की जाती है। यहाँ तक कि कोरोना काल तक में भी पर्यटकों ने यहाँ की सैर करना नहीं छोड़ा।

उदयपुर स्थित कुम्हारों का भट्टा और सेवाश्रम फ्लाईओवर का काम पूरा होगा, इसके साथ ही अहमदबाद हाईवे की तरफ ग्रेट सेपरेटर, इंटरनेशनल फ्लाइटे भी शुरू होगी। रनवे का काम भी पूरा हो चुका है। गुलाब बाग में बर्ड पार्क बन चुका है और ट्रैन भी चलना शुरू होने वाली है। केवड़े की नाल में बोटेनिकल पार्क, माछला मगरा में लव कुश वाटिका, कालका माता नर्सरी में प्रदेश का पहला एग्रो फारेस्ट रिसर्च सेंटर जो आदिवासी ग्रामीणों की कमाई और वन क्षेत्र बढ़ाने में उपयोगी है, सभी का काम पूरा होने में है। अहमदाबाद उदयपुर ब्रॉडगेज का काम भी पूरा हो चुका है। यह रेलमार्ग उदयपुर से अहमदाबाद के जरिये दक्षिण भारत के कन्याकुमारी तक इसकी पहुँच है।

उदयपुर पर्यटन विभाग की उपनिदेशक शिखा सक्सेना बताती है की उदयपुर में हर साल 10 लाख से भी ज्यादा देशी पर्यटक आते है अगर ट्रैन शुरू हो जाएगी तो केरल, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र आदि के पर्यटकों की संख्या बढ़ जाएगी। उदयपुर के लिए अंतर्राष्ट्रीय उड़ाने कामगारों के खाड़ी देशों में आने जाने के लिए और टूरिस्ट संख्या में इज़ाफ़े के लिए काफी फायदेमंद साबित होगी।

उदयपुर में पुलिस का दूसरा ट्रेनिंग सेंटर बनने का भी काम चल रहा है, जहां 500 से भी अधिक जवान प्रशिक्षण ले सकेंगे। साथ ही शहर के महाराणा प्रताप खेलगांव में एथलीटों के लिए 400 मीटर का पहला सिंथेटिक ट्रैक बनेगा, कानपुर खेड़ा में प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम बनाने के लिए लेवलीकरण का 90% काम पूरा हो चुका है। खेलगांव में ही 5 हजार क्षमता वाला मल्टी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स इस साल के आखिर तक मिल जाएगा। यहीं पर 25 और 50 मीटर की शूटिंग रेंज बनाने के लिए बजट जारी हो चुका है।

पर्यटक आंकड़े-

रिकॉर्ड 85000 पर्यटक अप्रैल में उदयपुर सैर करने आए थे जबकि अप्रैल तो ऑफ सीजन होता है।
100580 पर्यटक अगस्त 2021 में उदयपुर आए जो हर साल अगस्त मास से 35-50% ज्यादा रहा है।
अक्टूबर नवंबर और दिसंबर 2021 में 4.55 लाख पर्यटक आए। यह आंकड़ा पूरे साल आने वाले कुल देसी पर्यटक का लगभग आधा था।
दिसंबर महीने में आंकड़ा 1.80 लाख तक पहुंचा।

कई शहरों में से उदयपुर अव्वल –
1. मार्बल इंडस्ट्री- उदयपुर शहर में एशिया की सबसे बड़ी मार्बल- ग्रेनाइट मंडी है, यहां पर कोटा, राजसमंद, मकराना, जालोर, किशनगढ़, चित्तौडगढ़ आदि से मार्बल आता है। यहां से ग्रीन-सफ़ेद गुलाबी मार्बल भारत सहित पड़ोसी देश बांग्लादेश,श्रीलंका, नेपाल, भूटान, चीन सहित अन्य कई 30 देशों में जाता है। इसकी वजह से 25000 से ज्यादा श्रमिकों को रोजगार मिला है और इसका 5000 करोड़ रुपए का सालाना टर्नओवर है।

2. खनिज सम्पदा- हिंदुस्तान जिंक भारत की सबसे बड़ी व दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी लीड माइनर है। यहां पर आरक्षित खनिज 288 मिलियन मीट्रिक टन है। चांदी उत्पादन क्षमता 800 मीट्रिक टन, जस्ता 890000 लाख व सीसा 205000 मीट्रिक टन है। प्राथमिक जस्ता उद्योग में पुरे देश में हमारी 78 प्रतिशत तक की भागीदारी है। मार्च 2022 में 2481 करोड़ रुपए शुद्ध लाभ था और देश में सर्वाधिक चांदी का उत्पादन हुआ है जो 800 मीट्रिक टन है।

3. वन उपज- शहर में हरियाली जंगल इलाका भी काफी फैला हुआ है। 17724 वर्ग किमी में फैले जिले के 23% यानी 2753 हिस्सों में जंगल है, जो प्रदेश में सर्वाधिक है। संभाग के प्रतापगढ़ जिले में 1033 वर्ग किमी जंगल के साथ दूसरे स्थान पर है। चित्तौड़, बांसवाड़ा, राजसमंद व डूंगरपुर में भी जंगल है।

4. मेडिकल हब- प्रदेश में सबसे ज्यादा डॉक्टर उदयपुर में ही है। यहाँ सबसे ज्यादा 6 मेडिकल कॉलेज है। उदयपुर में कुल 2500 डॉक्टर और 10000 नर्स सहित 40000 लोग हेल्थ सेक्टर में जुड़े है। यहां पर एमबीबीएस की 1100 सीटें है, पीजी की 600 सीटे है। मेडिकल एजुकेशन हब 35000 करोड़ रुपए का है। प्राइवेट अस्पतालों का कारोबार कुल 1500 करोड़ रुपए का है।

5. शादी समारोह- शहर में डेस्टिनेशन वेडिंग का काफी प्रचलन है इसे 18 पहले रवीना टंडन ने उदयपुर में शादी करके इसका चलन शुरू किया था, उसके बाद से इसमें काफी उन्नति हो रही है। यहां पर अब सालभर में 500 से भी ज्यादा डेस्टिनेशन वेडिंग हो रही है। यहां पर कई सारे शाही विवाह भी हो रहे है। होटलों में 6-6 माह पहले से एडवान्स बूकिंग हो जाती है। इसका 1100 करोड़ रुपए का टर्नओवर होता है। यहां शादियों में 50 लाख से एक करोड़ का खर्च होता है।

6. खेल भूमि- शहर के कई सारे खिलाड़ी भी अपना दम दिखा रहे है। सोनल कलाल राजस्थान की पहली महिला है जिसका चयन इंडियन-ए-टीम में हुआ। इसके साथ ही पुष्पेंद्र, मानवी सोनी, गौरव साहू और आत्मिक गुप्ता ने स्वर्ण और रजत पाकर देश का मान बढ़ाया है।

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गुलाब बाग में फिर से शुरू होगी ट्रैन

उदयपुर स्थित गुलाब बाग में बर्ड पार्क बनने के बाद अब 15 अगस्त से फिर ट्रैन चलना शुरू हो जाएंगी। ये अरावली एक्सप्रेस ट्रैन 6 साल बाद फिर से चलना शुरू होगी। यहां पर ट्रैक बिछना शुरू हो चुका है। इस ट्रैन में दो डिब्बे होंगे, यह मिनी ट्रैन बच्चों और पर्यटकों को धीमी रफ़्तार के साथ पुरे गुलाब बाग घुमाएगी। इसके साथ ही बर्ड पार्क स्थित परिंदो को भी निहार सकेंगे। अभी इसका लगभग 80 फिसदी काम पूरा हो चुका है। ट्रैन के लिए 2665 मीटर (2.66 किमी ) की ट्रैक बिछेगी जिसका कार्य जुलाई तक पूरा होने की संभावना है।

नगर निगम की समिति के अध्यक्ष मनोहर चौधरी ने बताया कि अभी गिट्टी बिछाई जा रही है। इस बार कार्य तकनिकी विशषज्ञों की देख रेख में किया जा रहा है ताकि ट्रैन पहले की तरह बार-बार पटरी से न उतरे। गुलाब बाग की मिट्टी काली और चिकनी होने की वजह से ट्रैन का पटरियों से उतरने का खतरा बना रहता था। इस बार पुरे ट्रैक में 3-3 फिट अंदर तक खोदकर कंक्रीट वाली विशेष मिटटी डाली गई है। ट्रैन का 15 अगस्त तक शुरू होने की पूरी सम्भावना है। गत 12 मई को गुलाब बाग में बर्ड पार्क का लोकार्पण हुआ था।

3 साल पहले टेंडर
नगर निगम के पिछले बोर्ड ने करीब तीन साल पहले इसके लिए टेंडर किये थे। इसका रूट बदलना था क्योंकि इसमें करीब 200 पेड़ काटने की जरुरत पड़ रही थी। वर्क आर्डर निकला, लेकिन काम शुरू होने से पहले इसके लिए स्टे आर्डर आ गया था फिर बोर्ड ने पुराने ट्रैक पर ही ट्रैन चलाने का निर्णय लिया। थोड़े समय बाद कोरोना आ गया और लॉक डाउन लगने की वजह से कार्य में रुकावट आ गई थी इस वजह से कार्य देरी से प्रारम्भ हुआ।

ट्रैक की लम्बाई
ट्रैक की लम्बाई 165 मीटर बढ़ेगी। सरस्वती लाइब्रेरी के पास पुराना लव कुश स्टेशन है इसके साथ ही समोर बाग की ओर अभी बंद पड़े गेट के पास नया स्टेशन बनेगा। ट्रैन कमल तलाई के पास अमरूदों की बाड़ी से समोर बाग स्टेशन जाएगी फिर कमल तलाई होते हुए पुराने वाले ट्रैक से बर्ड पार्क हो कर लव कुश स्टेशन जाएगी। ट्रैन के साथ बोटिंग के लिए भी नगर निगम ने 26 लाख दर से शिवा कोर्परेशन को 20 साल का ठेका दिया है।

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1993-2015 तक संघर्ष उदयपुर के साथ, झील प्राधिकरण जयपुर में क्यों?

पूरी दुनिया में मशहूर उदयपुर नगर झीलों के लिए सुप्रसिद्ध शहर हैं। यहाँ कई सारी झीलें स्थित हैं, इसलिए इसे झीलों की नगरी भी कहा जाता है। यहां पर फतेहसागर, पिछोला, स्वरुपसागर, कुमहारी तालाब, दूधतलाई, गोवर्धन सागर, रंगसागर, उदयसागर, रूपसागर, बड़ी, जयसमन्द, राजसमंद जैसी आदि झीलें हैं जिनके आस-पास ही पूरा नगर बसा हैं। ये झीलें कई शताब्दियों से उदयपुर की जीवनरेखा हैं, जो एक-दूसरें से जुड़ी हुई हैं।

अगर किसी प्रदेश में इतनी सारी झीले हैं, तो उसके संरक्षण व विकास के लिए प्राधिकरण भी होना जरुरी है। उदयपुर संभाग में प्रदेश की सबसे ज्यादा 35 झील-जलाशय है। 1993-1994 में करीब 29 साल पहले उदयपुर से ही झील संरक्षण और प्राधिकरण की मांग उठी थी जिसकी स्थापना भी उदयपुर में ही होनी थी और ड्राफ्ट भी माँगा गया था। 1996 में प्रदेश सरकार की एडमिनिस्ट्रेटिव एंड रिफार्म कमिटी ने इस ड्राफ्ट को स्वीकार किया, लेकिन प्राधिकरण की स्थापना नहीं हुई।  हालाँकि यह मामला हाई कोर्ट तक भी पहुंचा और 2007 में झील विकास के प्राधिकरण की स्थापना के निर्देश भी दिए। इसकी लम्बी लड़ाई के बाद 2015 में राजस्थान झील विकास प्राधिकरण अस्तित्व में आया लेकिन इसका मुख्यालय तो जयपुर में खोल दिया जबकि जयपुर संभाग में तो केवल 8 झीले-जलाशय ही हैं। हालाँकि इस प्राधिकरण के अधिनियम के ड्राफ्ट में साफ़-साफ़ उल्लेख है कि मुख्यालय किसी और जिले में भी खोला जा सकता है। 

उदयपुर से जयपुर की सड़क मार्ग दूरी करीब 400 किमी है

उदयपुर से जयपुर की सड़क मार्ग दूरी करीब 400 किमी हैंऐसे में प्राधिकरण जयपुर होने की वजह से उदयपुर की झीलों पर इनकी नजऱ नहीं रहेगी। गन्दगी-बदहाली, मलिनता, दुर्गंंध, अतिक्रमण, अवैध गतिविधि और अवैध निर्माण से दम तोड़ रहे और ख़राब दुर्दशा का यही बड़ा कारण है इन पर प्राधिकरण बने तो इस पर काफी हद तक अंकुश लग जाएगा। उदयपुर में जलाशयों के प्राधिकरण व संरक्षण-संवर्धन का काम कलेक्टर के हाथों में हैं पर कलेक्टर के पास अन्य गतिविधियां होने की वजह से उनका उतना फोकस नहीं है जितना होना चाहिए।

प्रमुख 85 झीलों के जलाशय कुछ इस प्रकार है- 

  • उदयपुर-35
  • कोटा-14
  • अजमेर-12 
  • जयपुर-8 
  • भरतपुर-6 
  • जोधपुर-6
  • बीकानेर-4  

उदयपुर में क्यों होना चाहिए प्राधिकरण ?

प्रदेश के सातो संभाग में कुल 85 प्रमुख झीले-जलाशय हैं। इनमे से सबसे ज्यादा 41 प्रतिशत झीले उदयपुर संभाग में है बाकि 59 प्रतिशत प्रदेश के 6 संभागो में है। अधिकतर बड़े-बड़े बांध भी उदयपुर में है और बन भी रहे हैं। सबसे ज्यादा जरुरत भी यही है क्योंकि यहाँ का पानी जोधपुर और जयपुर तक पहुंचने की तैयारी में है, इसका मतलब राजस्थान के आधे से ज्यादा आबादी को पानी उदयपुर संभाग ही पहुंचाता है। ज्यादा झीले है तो उसकी रखरखाव की भी जरुरत ज्यादा ही होती है।  उदयपुर से जयपुर की दुरी करीब 400 किमी की है, अगर कुछ शिकायत है तो इसकी शिकायत लेकर जयपुर जाना मुश्किल है और ना ही इस प्राधिकरण के मुखिया झील जलाशयों की दुर्दशा देखने इतने दूर से आते है। 

 

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बारिश से पहले नहीं तैयार होगा सेवाश्रम का फ्लाईओवर

उदयपुर स्थित सेवाश्रम चौराहा का फ्लाईओवर अब तक तैयार नहीं हुआ है जिसका काम अप्रैल तक ख़त्म होने की सम्भावना थी। पर अब तक इसका बहुत काम बाकी है और कार्य की गति देख कर तो यह साफ-साफ पता चल रहा है कि यह काम बारिश से पहले नहीं हो सकता है। शहर की आधी ऊपर जनता यही होकर गुज़रती है, लेकिन काम के पूरा न होने की वजह से परेशान हो रही है। यहां के व्यापारी भी इसी उम्मीद में बैठे है की अब तक तो चौराहा का काम पूरा हो जाना चाहिए। पर हकीकत तो यही है की इस काम में बहुत समय लगना है। इस वजह से यहाँ आए दिन जाम लगने की परेशानी लगी रहती हैं।

यूआईटी सर्कल का 20 करोड़ का प्रोजेक्ट-

पिछले ही दिनों यूआईटी ने डिजिटल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) के लिए कार्य का ऑर्डर दिया है उसके बाद वहां का सर्वे शुरू कर दिया है। यूआईटी ने ज़ोर दिया है की देल्हीगेट स्थित जो फ्लाईओवर में पब्लिक यूटिलिटी की जो भी लाइन है, वो इस प्रोजेक्ट के बीच आ रही है उनको भी पूरा किया जाए ताकि बाद में जब कार्य शुरू हो तब समस्या नहीं आए। इस वजह से अभी सेवाश्रम का काम थोड़ा धीमा हो गया है। यूआईटी ने इस कार्य के लिए करीब 20 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। रोड की कुल लम्बाई 430 मीटर है और इसकी चौड़ाई 13.2 मीटर है और 5.5 मीटर इसकी ऊंचाई है। इस फर्म को यह रिपोर्ट 45 दिन में तैयार करके देनी हैं। युआईटी ने यह तर्क भी दिया है की पीएचडी की लाइनों की वजह से कई समस्याए आ रही है।

काम अप्रैल में पूरा होना था-
असल में इसका काम अप्रैल में पूरा होना था। यूआईटी के तकनीकी इंजीनियर यूटिलिटी सर्विस को इसके देरी होने का कारण बता रहे है। उनके सामने जलदाय विभाग की और से बीच में आ रही पाइप लाइनों को शिफ्ट करने के लिए राशि भी दे रहे है,यूआईटी ने तो काम पूरा करने की राशि भी देदी पर काम पूरा नहीं कर रहे है।

परेशानियाँ-
इस क्षेत्र से गुज़रने वाले और यहां रहने वाले लोगो को परेशानियाँ आ रही है। जाम में फंसने के अलावा जाम में वाहनों के धुंए से परेशान हो रहे हैं। यही नहीं जहां खुदाई हो रही है, वहां के लोग और वहां से गुज़रने वाले लोग दिनभर मिटटी के उड़ने से परशान हो रहे है।

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क्या उदयपुर शहर में भी आ गया है वीरप्पन ?

भारत की पुलिस को इस आदमी ने जितना दौड़ाया था, उतना शायद किसी ने नहीं दौड़ाया। वीरप्पन के नाम से प्रसिद्ध कूज मुनिस्वामी वीरप्पन दक्षिण भारत का कुख्यात चन्दन तस्कर था जो 1970 से पुलिस और फाॅर्स के लिए चुनौती बना रहा। चन्दन के हर पेड़ पर उसकी तिरछी नज़र रहती थी। 18 वर्ष की उम्र में वह एक अवैध रूप से शिकार करने वाले गिरोह का सदस्य बन गया जिसका एक वक्त चंदन तस्कर वीरप्पन के नाम से तमिलनाडु जंगल में ख़ौफ़ पसर जाया करता था जो 2004 में मारा गया। वीरप्पन के बाद जंगलों से ख़ौफ़ तो खत्म हो गया लेकिन तस्करी का खेल कई गुना बड़ा हो गया।

क्या कोई वीरप्पन हमारे शहर में भी आ गया है ?

उदयपुर शहर की विश्व प्रसिद्ध झील फतहसागर के किनारे बनी काले किवाड़ के आगे मेवाड़ दर्शन दीर्घा पार्क में आए दिन चन्दन के पेड़ के चोरी होने की ख़बरे आ रही थी। कला दीर्घा पार्क में चन्दन के कुल 66 पेड़ थे। चोर इसी जगह से कई पेड़ आधुनिक हथियारों से काटकर लेकर गए थे और कुछ पेड़ो पर आरी से निशान बनाकर चेतावनी भी दे गए थे की ये पेड़ काटकर भी ले जाएंगे और नतीजा यह था की चोर उसमे से कुछ पेड़ आखिरकार लेकर ही गए। कुछ पेड़ो को तो इतना तक काट दिया था की हल्का सा धक्का देते ही वे निचे गिर पड़ेंगे।

ये पेड़ वीरप्पन जैसे अनगिनत तस्करों को शरण दे रहे हैं। दरअसल चोर चन्दन के पके पेड़ लेकर जाते है, जानकर बताते है की चन्दन की खुशबू पेड़ की जड़ से लेकर ऊपर तक के 4-5 फीट तक के तने में रहती है। इसके लिए चोर पेड़ो के ऊपरी हिस्से को आसपास के पेड़ या जालियो से बाँध देते है। इसके बाद ज़मीन से चार से पांच फीट का हिस्सा काटकर अलग कर देते है। चोरो की नज़र अब कटे पेड़ो की जड़ो पर भी है इसलिए कई चबूतरों तक को तोड़ दिया गया है।

इस ख़बर के बाद चेते नगर निगम ने चन्दन के पेड़ को सुरक्षित करने के लिए करीब-करीब सभी पेड़ो के चारो और लोहे के एंगल लगा दिए है। नगर निगम इन पर भी ध्यान नहीं देता तो चंदन तस्कर सभी पेड़ो को गायब कर देंगे। चन्दन तस्करो की निगाहें तो अभी भी पेड़ पर जमी है। जिले में लगातार चन्दन के पेड़ घटते जा रहे है , क्या विभाग की और से चन्दन तस्करी रोकने के लिए और कड़े प्रकरण करने की आवश्यकता नहीं है?  क्या पार्क में चौकीदार बढ़ाने की जरुरत नहीं है ? क्या पार्क में सीसीटीवी कैमरे की जरुरत नहीं?

कितने साल में तैयार होता है एक पेड़ ?

  •  15 साल में तैयार होता है एक पेड़ ।
  • हर साल चंदन का तना बढ़ता है – 12 से.मी ।
  • 12 से 15 साल के पेड़ की ऊंचाई होती है – 5 फीट (तने का व्यास करीब 80 से.मी.) ।
  • 15 साल के पेड़ से मिलती है लकड़ी – 20 से 35 किलो (लसदार) ।
  • मौजूदा लकड़ी की कीमत 6000 से 12,000 रुपए प्रतिकिलो।( 6000 रुपए प्रतिकिलो के मान से 20 किलो लकड़ी की कीमत ही बाजार में 1 लाख 20 हजार रुपए होती है) ।
  • चंदन चार तरह का होता है सफेद, लाल, मयूर और नाग चंदन।

एक चन्दन के पेड़ की कीमत करीब 10 लाख होती है, करीब 10 पेड़ किसी को भी करोड़पति बना सकते है। सवाल हजारों पेड़ों की तस्करी का हो तो अंदाजा लगाइए कितनी बड़ी रकम का खेल होगा। ये धंधा इतने शातिर तरीके से किया जाता है कि इसमें सिर्फ छोटे मोहरे ही फंसते हैं। बड़े खिलाड़ी कानून के चंगुल से दूर रहते हैं। हालात नहीं सुधरे तो आशंका ये भी है कि अगले 15-20 साल में चन्दन के पेड़ की प्रजाति पूरी तरह खत्म हो सकती है।

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महीनों बाद उदयपुर में मिले 13 संक्रमित।

कोरोनावायरस सामान्य सर्दी से कोविड-19 तक श्वसन संक्रमण का कारण बनते हैं। हाल ही के वर्षों में कोरोनावायरस ने  कई प्रकोप पैदा किया है, जैसे कि गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम और मध्य पूर्व श्वसन सिंड्रोम। लेकिन इन वायरस ने उतने लोगों को प्रभावित नहीं किया है, जितना कोविड-19 ने किया है।

चीन के वूहान शहर से उत्पन्न होने वाला 2019 नोवेल कोरोनावायरस इसी समूह के वायरसों का एक उदाहरण है, जिसका संक्रमण सन् 2019-20 काल में शुरू हुआ था। WHO ने इसका नाम कोविड -19 नाम रखा।

उदयपुर जिले में कई महीनों बाद फिर शहर में एक्टिव केस आए हैं। रविवार को इनकी संख्या 10 थी, दूसरे दिन इनकी संख्या 3 थी, कुल इसके अभी 13 मरीज़ है। चिकित्सा एवं स्वास्थय विभाग के अनुसार कोरोना अब फिर से बढ़ने लगा है, रोज़ कोरोना के कई केस फिर से सामने आने लगे हैं।

तीन दिन से तो 3-3 मरीज रोज़ संक्रमित आ रहे हैं। 13 में से एक संक्रमित का उपचार अब अस्पताल में किया जा रहा है। बाकि के सभी अभी होम आइसोलेट हैं। गत 20 मई को भी 3 संक्रमित मिले थे। डॉ. दिनेश खराड़ी ने बताया था की कुल 187 नमूनों की जांच की गई, जिसमे से 3 संक्रमित शहरी क्षेत्र में मिले है।

अब तक कुल पॉजिटिव मरीजों की संख्या 74297 हो चुकी है, इनमे से 73514 लोग ठीक होकर डिस्चार्ज हो चुके है। फिलहाल होम आइसोलेशन और एक्टिव मरीजों की संख्या 8-8 है।कोरोना से 775 लोग काल का ग्रास बन चुके है। गत 17 मई तक 17 संक्रमित मिले थे, फिर 18 से 23 मई तक 6 दिनों में 13 मरीज मिले थे ऐसे में 1 से 23 मई तक 23 संक्रमित सामने आ चुके है। इस से पहले अप्रैल में 15 संक्रमित मिले थे।

कोरोना वायरस से पीडित जनो के लक्षण, अनावरण होने के 2 से 14 दिनो के बाद दिखाई देते हैं | यह लक्षण अधिकतर सौम्य होते है और सामन्य रूप मे इनकी उपेक्षा कि जाती है | कुछ लोगो के संक्रमित होने के बावजूद इनमे कोई लक्षण दिखाई नही देते है। कोई लक्षण ना दिखने पर भी ये संक्रमण हो सकते है।

कोरोना वायरस इंफेक्शन के लक्षण क्या हैं?
कोरोनावायरस की वजह से रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट यानी श्वसन तंत्र में हल्का इंफेक्शन हो जाता है जैसा कि आमतौर पर कॉमन कोल्ड यानी सर्दी-जुकाम में देखने को मिलता है। हालांकि इस बीमारी के लक्षण बेहद कॉमन हैं और कोई व्यक्ति कोरोना वायरस से पीड़ित न हो तब भी उसमें ऐसे लक्षण दिख सकते हैं। जैसे-

  • नाक बहना
  • सिर में तेज दर्द
  • सूखी खांसी
  • गले में खराश
  • उल्टी-दस्त
  • थकान – बदन दर्द
  • सांस लेने में तकलीफ
  • सूंघने की क्षमता
  • ब्रॉन्काइटिस
  • निमोनिया

 

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आरएनटी में खुलेंगे नए दवा केंद्र, उपकरणों के ख़राब होने पर उपचार के लिए नहीं करना पड़ेगा इंतजार

राजस्थान के 52 मेडिकल कॉलेजो में करीब 241 दवा वितरण केंद्र खोले जाएंगे। इसके लिए निदेशालय ने हाल ही आदेश जारी किये हैं। इन केन्द्रो में से उदयपुर के 21 केंद्र आरएनटी मेडिकल कॉलेज में खुलेंगे। नए केंद्र खुलने के बाद यह संख्या 41 हो जाएगी। प्रदेशभर के केंद्रों के लिए प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति जारी हो चुकी हैं। इन केंद्रों पर कंप्यूटर कर्मी, फार्मासिस्ट, हेल्पर आदि सहित 3-3 के स्टाफ की नियुक्ति होगी, ऐसे में 723 पद भरे जाएंगे। उदयपुर के 21 दवा वितरण केंद्रों पर 21 फार्मासिस्ट,21 कंप्यूटर कर्मी और 21 ही हेल्पर नियुक्त किये जाएंगे इससे मरीजों और तीमारदारों के कार्य में आसानी होगी। आरएनटी मेडिकल कॉलेज के अधीन 6 अस्पतालों में अभी 20 केंद्र हैं। चिकित्सा शिक्षा विभाग ग्रुप प्रथम के संयुक्त शासन सचिव इक़बाल खान ने पांच दिन पहले राजकीय मेडिकल कॉलेजों और राजमैस सोसाइटी के तहत संचालित मेडिकल कॉलेजों में संविदा के आधार पर 3413 पद भरने का आदेश जारी किया गया था। ये पद नर्सेज और वार्ड अटेंडेंट के होंगे। उदयपुर के आरएनटी के लिए 317 पद मंजूर किये गए हैं।

हर केंद्रो को कंप्यूटर-फर्नीचर व उपकरणों के लिए 3.30 लाख रुपए दिए जाएंगे।
नए दवा वितरण केन्द्रो में प्रत्येक के लिए 3.30 लाख रुपए निर्माण कार्यो के लिए होंगे , जबकि 1.30 लाख रुपए कंप्यूटर, फर्नीचर और अन्य उपकरण खरीदने के लिए मंजूर किये गए है। ऐसे में पुरे प्रदेश में 4.82 करोड़ रुपए की वित्तीय स्वीकृति दी गई है। उदयपुर के लिए 69.30 लाख रुपए मिलेंगे।

औसत 12 लाख रोगी को हर साल मिलेगी राहत।
महाराणा भूपाल राजकीय चिकित्सालय संभाग का सबसे बड़ा हॉस्पिटल है। यंहा उदयपुर, प्रतापगढ़ , चित्तौडग़ढ़ ,राजसमंद, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, समेत पडोसी राज्य गुजरात और मध्यप्रदेश से हर साल औसत 12 लाख मरीज इलाज करवाने आते है। इस वजह से यहाँ का दवा वितरण केंद्रो पर भी मरीजों की भीड़ लगी रहती है। कही बार मरीजों को दवा के लिए घंटो लाइनों में खड़ा रहना पड़ता है। नए केन्द्रो की शुरुआत और स्टाफ बढ़ने से मरीज़ो और तीमारदारों को दवाई के लिए भटकने जरुरत नहीं होगी।

एमबी जैसी व्यवस्था को पुरे प्रदेश में लागू करने को कहा था सीएम ने।
उदयपुर के एमबी अस्पतालों की व्यवस्थाओ जैसा मॉडल पुरे प्रदेश में लागू होगा। जोधपुर के डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज की 13 सदस्यीय टीम उदयपुर पहुंची और आरएनटी मेडिकल कॉलेज के एमबी अस्पताल का निरिक्षण किया। टीम ने वार्डो, दवा वितरण केंद्र आदि की प्रणाली देखी और चर्चा की। सीएम अशोक गहलोत पिछले दिनों उदयपुर आए थे तब उन्होंने एमबी में भर्ती मरीज़ो व तीमारदारों से सुविधाओं और योजनाओं पर बात की थी। बाद में सीएम ने ऐसी व्यवस्था पुरे प्रदेश में लागु करने को कहा।

कंपनी करेगी कम समय में मशीनें ठीक।
आरएनटी मेडिकल कॉलेज में अब यदि कोई भी चिकित्सालय उपकरण ख़राब होता है तो जल्द से जल्द ठीक हो जाएगा। राज्य सरकार के स्तर पर मुख्यमंत्री बजट घोषणा के अनुरूप केटीपीएल कंपनी को सरकार के स्तर पर यह कार्य सौंपा गया है। ये शुरुआत इसलिए की गई है ताकि अलग-अलग कंपनियों के माध्यम से अलग अलग मशीनों को ठीक करने में कई महीने लग जाते थे। ऐसे में मरीजों का उपचार प्रभावित होता था अब एकमात्र कंपनी यह कार्य करेगी तो काम समय में जल्द से जल्द ये तकीनीकी उपकरण ठीक हो सकेंगे।

मुख्यमंत्री बजट घोषणा के अनुरूप सरकार ने एक ही कंपनी को सौंपा काम।
आरएनटी मेडिकल कॉलेज सम्बन्ध पांचो हॉस्पिटलों में 341 तरह कई 5387 उपकरण है,इनम से किसी के भी बिगड़ने पर भी ठीक किया जा सकेगा। इसमें एक्स -रे, सिटी- स्कैन, एमआरआई, वेंटीलेटर सहित अन्य उपकरण शामिल है। इसमें हाइड्रोक्लोरिक बेड व अन्य छोटे मोटे उपकरण शामिल नहीं किये गए।

ख़ास बात यह है की नए उपकरण है जो जहाँ से खरीदे गए है, वहां से तय समय तक गारंटी – वारंटी पीरियड में है। लेकिन जैसे ही तय अनुबंध समय पूर्ण होगा तो उनके बिगड़ने पर ठीक करने का काम केटीपीएल का होगा। कई कई महीनों तक उपकरण ठीक नहीं होने से मरीजों को अन्य प्राइवेट हॉस्पिटलों की और दौड़ना पड़ता था और ऊँचे दाम देकर अपना इलाज करवाना पड़ता था।

यह निर्णय राज्य सरकार के स्तर पर लिया गया है, ताकि किसी भी प्रकार के उपकरण की खराबी पर ज्यादा दिन तक मरीजों को परेशान नहीं होना पड़े। पहले अलग – अलग कम्पनियों के कारण कई प्रकार की परेशानी आती थी। कई कई महीनो तक इंजीनियर्स नहीं पहुंचे थे ,लेकिन इस निर्णय का लाभ ये होगा की कोई भी उपकरण यदि बिगड़ता है तो हमें केवल कंपनी में बात करनी है, वह कंपनी अपने स्तर पर जल्द से जल्द इंजीनियर्स उपलब्ध करवाएगी।

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उदयपुर अहमदाबाद ब्रॉडगेज लाइन का 90% काम संपंन्न

उदयपुर से अहमदाबाद ब्रॉडगेज लाइन अब 5 कि.मी बिछना बाकी है। यह काम खारवा से जयसमंद के बिच बचा हुआ है। 299 किलोमीटर की यह ट्रैक जब पूरी हो जाएगी तो यह दक्षिण भारत से जुड़ जाएगी। चूँकि इसका 90 % काम पूरा हो चूका है।प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी टनल तक इसकी पटरिया पहुंच चुकी है। दक्षिण भारत से जुड़ने में अब महज 5 किमी का फासला है।

इस ट्रैक पर खारवा से जयसमंद के बिच 36 किमी में जून माह तक रेलवे का सीआरएस यानि निरिक्षण हो सकता है। जून माह तक पुरे रेलवे का निरिक्षण होने पर रेल शुरू होने की उम्मीदे है। इस से पहले हिम्मतनगर से जयसमंद और उदयपुर से खारवा तक का निरिक्षण हो चूका है। खारवा से जयसमंद का काम काफी धीमी गति से चल रहा है।

कई बार इसकी डेडलाइन भी आगे बढ़ चुकी है। इसकी अंतिम डेडलाइन मार्च 2022 के अंत तक पूरी होने की थी। समय पर कार्य पूरा ना होने की वजह से इसका कार्य मई माह तक पहुंच गया है। फ़िलहाल रेलवे के अधिकारी जून के पहले सप्ताह तक कार्य पूर्ण होने की सम्भावना बता रहे है।
इस ट्रैक का कार्य हो जाने पर यह उदयपुर से गुजरात,महाराष्ट्र,गोवा,कर्नाटकइन सभी के रास्ते सीधे दक्षिण भारत से जुड़ जाएंगे। उदयपुर से अहमदाबाद के लिए रोज इंटरसिटी ट्रैन चलेगी।

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Newly introduced holiday train between Udaipur and Bandra starting from May 2’nd 2022

As the economy is reopening after the traumatic pandemic, there has been an exponential rise in the number of travellers. And most of them are preferring trains over any other mode of travel because of obvious reasons. By obvious reason, we mean cost, safety, comfort and a lot more facilities the trains offer to its passengers as compared to air or road travel.

Therefore, Indian railways these days are running jam-packed with passengers. Railway travellers are struggling to get a confirmed seat due to increased travel demand. This exponential rise in railway travel demand may be either due to eased COVID-19 travel restrictions or due to summer vacations.

Reports say that the train booking has surged around 1.5 times since Holi and it is anticipated that they will continue to follow this trend till May end.

Therefore considering this skyrocketing number of railway passengers, the North-Western railway decided to run a new summer special train connecting Udaipur and Bandra. This facility is offered by the railway association to provide convenient and comfortable services to its passengers. Mentioned herewith is the train schedule:

Udaipur – Bandra Special Train Schedule:

According to the latest press release, this Train (No. 09067) will run once a week, beginning from May 2’nd 2022 till June 13’th, 2022. Reports also said that the train will depart from Bandra terminus every Monday at 23:45 and will reach Maharana Pratap Railway Station, Udaipur at 14:55 the very next day.

Train between Udaipur & Bandra

Similarly, train No. 09068 will route from Udaipur to Bandra Terminus, WEF May 3’rd 2022 to June 14’th 2022. And this particular train will depart from Udaipur at 21:15 every Tuesday and will reach Bandra Terminus at 13:25 the other day.

This weekly Special train will halt at Borivali, Vapi, Surat, Vadodara, Ratlam, Mandsaur, Neemuch, Chittorgarh, Fateh Nagar, Mavli and Maharana Pratap Station during its journey. Moreover, 2’nd and 3’rd AC facilities along with Second Sleeper and Second Ordinary class coaches have been installed with this train.