होली के दसवे दिन राजस्थान और गुजरात प्रांत में दशामाता व्रत पूजा का विधान है. सौभाग्यवती महिलाएं ये व्रत अपने पति कि दीर्घ आयु के लिए रखती है. प्रातः जल्दी उठकर आटे से माता पूजन के लिए विभिन्न गहने और विविध सामग्री बनायीं जाती है. पीपल वृक्ष की छाव में ये पूजा करने की रीत है. कच्चे सूत के साथ पीपल की परिक्रमा की जाती है. तत्पश्चात पीपल को चुनरी ओढाई जाती है. पीपल छाल को “स्वर्ण” समझकर घर लाया जाता है और तिजोरी में सुरक्षित रखा जाता है. महिलाएं समूह में बैठकर व्रत से सम्बंधित कहानिया कहती और सुनती है. दशामाता पूजन के पश्चात “पथवारी” पूजी जाती है. पथवारी पूजन घर के समृद्धि के लिए किया जाता है.
इस दिन नव-विवाहिताओं का श्रृंगार देखते ही बनता है. नव-विवाहिताओं के लिए इस दिन शादी का जोड़ा पहनना अनिवार्य माना गया है.
3 Comments
Yash
March 17, 2012 at 8:30 pmmanu bhaiya… i loved it
monika
March 17, 2012 at 10:21 pmManu bhaiyaa i too loved it :))))
Arya Manu
March 17, 2012 at 11:44 pmmeri do do darlings !!!!