उदयपुर में आज के दिन दशामाता पूजन काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। हो सकता है आज आपने सुबह सुबह कई महिलाओं को साज-श्रृंगार कर हाथ में पूजा की थाली लेकर जाते हुए देखा होगा, पर्व है दशामाता पूजन का। चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की दशमी यानी होली के दसवें दिन किया जाने वाला दशामाता व्रत एक ऐसा व्रत माना जाता है जो बिगड़े ग्रहों की दशा सुधारकर सुख-समृद्धि, सौभाग्य और धन संपत्ति की पूर्ति करवाता है। ऐसा माना जाता है की अपने नाम के अनुरूप यह व्रत-पूजा परिवार की दशा को सुधार देती है।
दशा माता पूजा विधि
आज के दिन भगवान विष्णु के स्वरूप पीपल वृक्ष की पूजा की जाती है। सौभाग्यवती महिलाएं कच्चे सूत का 10 तार का डोरा बनाकर उसमें 10 गांठ लगाती हैं और पीपल वृक्ष की प्रदक्षिणा करते उसकी पूजा करती हैं। पूजा करने के बाद वृक्ष के नीचे बैठकर नल दमयंती की कथा सुनती हैं और परिवार के सुख-समृद्धि की कामना करते हुए डोरा गले में बांधती हैं। घर आकर द्वार के दोनों ओर हल्दी कुमकुम के छापे लगाती है। पीपल छाल को “स्वर्ण” समझकर घर लाया जाता है और तिजोरी में सुरक्षित रखा जाता है।
व्रत करने वाली महिलाएँ आज के दिन एक ही वक्त खाना खाती हैं। भोजन में नमक का प्रयोग वर्जित रहता है।
इस दिन सुबह जल्दी उठकर घर की साफ-सफाई करके सारा कचरा बाहर फेंक दिया जाता है। आटे से माता पूजन के लिए विभिन्न गहने और विविध सामग्री बनायीं जाती है। नव-विवाहिताओं के लिए आज के दिन शादी का जोड़ा पहनना अनिवार्य माना गया है।
मान्यता के अनुसार आज की दिन किसी को पैसा उधार नहीं दिए जाते।
2 Comments
Yash
March 17, 2012 at 8:30 pmmanu bhaiya… i loved it
monika
March 17, 2012 at 10:21 pmManu bhaiyaa i too loved it :))))