रथयात्रा से एक दिन पूर्व अर्थात् तिथि संवत् 2070 की आषाढ़ शुक्ल पक्ष 1, मंगलवार दिनांक 09 जुलाई, 2013 को दोपहर 12.30 बजे भगवान जगन्नाथजी का प्राकट्य होगा। मन्दिर में इस अवसर को प्राकट्य उत्सव के रूपमें मनाया जा रहा है। स्मरण रहे कि भगवान श्रीजगन्नाथजी का महास्नान ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष, पूर्णिमा को होता है।
इस दिन भगवान की चारों मूर्तियां (बलभद्रजी, सुभद्राजी, जगन्नाथजी एवं सुदर्शनजी) रत्नवेदी से आकर स्नान वेदी में 108 सुवर्णघट जल से स्नान करके गणेश रूप धारण करते हैं। उस दिन से भगवान रत्न सिंहासन पर 15 दिन तक अस्वस्थ रहते है, अतः पट बन्द रहते हैं, आषाढ़ मास की अमावस तक दर्शन नहीं देते हैं, तथा औषधि-भोगका ही सेवन करते हैं। आषाढ़ शुक्ल पक्ष 1 को पुनः दर्शन देते हैं, भगवान का यह प्राकट्य उत्सव के रूपमें आयोजित होता है। इस दिन भगवान को दोपहर में 12.30 बजे 21 प्रकार के व्यन्जनों को भोग अर्पित किया जायगा, तदुपरान्त सभी भक्तगण प्रसाद ग्रहण करेंगे।
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