Categories
History and Culture

उदयपुर की राजकुमारी कृष्णा कुमारी जिसने वंश बचाने के लिए जान दे दी

कृष्णा कुमारी  महाराणा भीम सिंह (1778-1828) की कई पुत्रियों में से एक, 16 वर्षीय पुत्री थी। महाराणा भीम सिंह उस समय के मेवाड़ क्षेत्र में उदयपुर रियासत के राजपूत शासक थे। उस समय, उन्हें एक महत्वपूर्ण राजनीतिक गठबंधन की आवश्यकता थी। इसे प्राप्त करने का एक तरीका शादी के माध्यम से था और राजकुमारी  कृष्णा कुमारी युवा, सुंदर और उपलब्ध थी। इस प्रकार कृष्णा कुमारी की सगाई मारवाड़ की राजधानी जोधपुर के महाराजा भीम सिंह से हुई। हालांकि, जोधपुर के  महाराजा की अचानक और असामयिक मौत के साथ, राजकुमारी की सगाई जयपुर के पड़ोसी और प्रतिद्वंद्वी साम्राज्य के महाराजा जगत सिंह से हुई।

महाराजा की मृत्यु के बाद जोधपुर में भीम सिंह के छोटे भाई, मान सिंह शासक बने। उस समय, मारवाड जयपुर में आश्रय ले रहा था। उन्होंने उदयपुर के महाराजा भीम सिंह को एक तंग संदेश भेजा, जिसमे उन्होंने उपहास दिया और कहा कि मारवार के घर से बेटी का अपने प्रतिद्वंद्वी जयपुर के महाराजा से विवाह किया जा रहा था, ये एक शर्म की बात होनी चाहिए।

princess-of-udaipur-krishna-kumari
Source: Eternal Mewar | Maharana Bhim Singh

मान सिंह ने अपमानित महसूस किया और असिन्द के आमिर खान, जो की किराए पर उपलब्ध एक पठान थे, उन्हें संपर्क किया (उनकी अपनी ताकत थी और वह अपनी सेवाओं के लिए भुगतान करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए उपलब्ध था। आखिरकार, अंग्रेजों ने उन्हें अपनी भावी गतिविधियों को समाप्त करने के लिए टोंक राज्य दिया।) सुन्दर कवच के साथ उसे रिश्वत देने के बाद, मान सिंह ने उन्हें उदयपुर भेजा और एक संदेश के साथ भेजा कि या तो कृष्णा कुमारी की शादी सिर्फ मान सिंह के साथ की जाए, या उसे मार डाला जाए। अमीर खान ने भी महाराणा को धमकी दी कि अगर प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया गया था, तो वह खुद मेवाड़ को लूट लेंगे।

महाराणा भीम सिंह को लग गया था कि राजनीतिक रूप से सही और सुरक्षित केवल एक ही समाधान था जो था की उनकी बेटी मर जाए। बेहद निराशा और मजबूती के तहत, महाराणा भीम सिंह ने करजली के दौलत सिंह से राजकुमारी कृष्ण कुमारी को अपने डैगर से मारने के लिए कहा।

दौलत सिंह इस प्रस्ताव से इतने नाराज हो गए कि उन्होंने महाराणा को दंडित करते हुए कहा कि जो कोई भी इस तरह का अमानवीय आदेश देता है उसे अपनी जीभ काट लेनी चाहिए। जब कोई और तरीका नहीं मिला तब महाराणा भीम सिंह ने फैसला किया कि राजकुमारी जहर से मरनी चाहिए, और यह महीन कार्य महाराणा के कच्चेला (हरम) की महिलाओं पर छोड़ दिया गया था।

princess-of-udaipur-krishna-kumari
Source: DailyO | Princess Krishna Kumari

बहादुर छोटी राजकुमारी ने चुपचाप अपने भाग्य को स्वीकार कर लिया कि उसे उसे यही सही लगा की उसे अपने पिता के सम्मान को बचाने के लिए उसे मर जाना चाहिए । वह महल के पास एक निजी उद्यान में गई और प्रार्थनाओं के साथ खुद को तैयार किया। जब महिलाओं में से एक महिला, जो की उसकी चाची ही थी, ने उसे अपने पिता के नाम पर घातक विष दिया, राजकुमारी ने अपना सर झुकाया, अपने पिता के जीवन और समृद्धि के लिए एक और प्रार्थना की, और वह ज़हरीला विष पी लिया।

आश्चर्य की बात है, उस ज़हर का राजकुमारी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। एक और ज़हरीला कप तैयार किया गया और राजकुमारी ने इसे भी पी लिया, फिर भी उसके शरीर ने जहर को खारिज कर दिया। इसी परिणाम के साथ तीसरी बार फिर इस काम की कोशिश की गई। ऐसा लग रहा  था कि कोई जादुई ताकत युवा कुंवारी की रक्षा कर रहा थी।

अंत में, एक बहुत ही शक्तिशाली ओपियेट (अफीम युक्त) के साथ एक कप प्रस्तुत किया गया था। इस डरावने कार्य को ख़त्म करने की इच्छा रखते हुए, कृष्ण कुमारी ने इसे मुस्कान के साथ स्वीकार कर लिया, उसे पी लिया, और एक गहरी नींद में सो गई…जिससे वह कभी जाग नहीं पायी।

princess-of-udaipur-krishna-kumari
Source: Welcome to Rajasthan | City Palace

महाराणा भीम सिंह को इस कार्य के बाद राजनीतिक रूप से तो राहत मिल गई लेकिन व्यक्तिगत रूप से दुःखग्रस्त, उसके पिता ने कृष्णा के महल को एक मंदिर में बदल दिया, जिसे उन्होंने कृष्णा के साहस की याद में समर्पित कर दिया । कृष्णा महल आज भी उदयपुर के सिटी पैलेस में देखा जा सकता है जो की कृष्णा कुमारी के लिए एक स्मारक है, जहां उस बहादुर छोटी राजकुमारी को सम्मान दिया जा सकता है जो राजनीतिक परिस्थिति का शिकार बन गई।

कृष्णा कुमारी की कहानी रोमियो जूलिएट की तरह ऐतिहासिक नहीं बल्कि काफी दुखदायी है। हम रानी और राजकुमारियों की कहानी पढ़ते, सुनते और आजकल तो फिल्मों में भी देखते हुए बड़े हुए है लेकिन एक असली राजकुमारी को ऐसे कई संघर्षों का सामना करना पड़ता है।

By Juhee Mehta

Literally, see characters of books in every person she meets. Apart from eating, she is found adventuring and talking to herself. Believes in magic and escape reality through words. If she possibly knows you, you might find yourself in her poems.

One reply on “उदयपुर की राजकुमारी कृष्णा कुमारी जिसने वंश बचाने के लिए जान दे दी”

Leave a Reply to Bhaskar Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *