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शेखर पांचाल हत्याकांड: किसकी नज़र लग गयी उदयपुर को

Shekhar Panchal Udaipur

मेरा उदयपुर अपनी खूबसूरती…. अपनी मेहमान नवाजी के लिए पूरे  विश्व में जाना जाता है….पर पिछले कुछ समय से जैसे मेरे शहर की अस्मिता को ही कोई ग्रहण लग गया लगता है….
पेसिफिक कोलेज का का एक छात्र शेखर पांचाल, जो अपनी मिलनसारिता के चलते मारा गया. उसकी इतनी ही गलती थी कि चचेरे भाई हर्षित के दोस्त और अपने से उम्र में बड़े प्रदीपसिंह भाटी (कोटा) को उसने अपना दोस्त समझा. और उसी दोस्त ने फिरौती के लिए शेखर का अपहरण कर लिया.. जब सारा उदयपुर नए साल की अगवानी में व्यस्त था तब न जाने किस स्थिति में शेखर को उदयपुर से कोटा ले जाया जा रहा था… शेखर के पिता फिरौती के रूप में 5 किलो सोना और एक करोड़ रुपये नकद देने को भी तैयार हो गए… पर बदले में क्या मिला…!!! पूरे बारह  दिन बाद  चम्बल नहर में तैरती शेखर की लाश…जिसकी पहचान तक मुश्किल… कद काठी से एक बाप ने अपने बेटे की लाश की तस्दीक की. पिछले दस दिनों से शेखर को तलाशने में हाथ पैर मार रही पुलिस शायद लाश पाकर तसल्ली कर चुकी होगी. पर उस बाप का क्या,जिसका एकलौता बेटा अब इस दुनिया में नहीं रहा. उस परिवार का क्या,जिसने पढने के लिए अपने लाल को उदयपुर भेजा… क्या उदयपुर उनके आंसू पोंछ पायेगा.. क्या पुलिस लौटा पायेगी एक माँ को उसका बेटा… उसका शेखर…!!!  सुनते आये हैं हम कि अगर पुलिस चाहे तो शहर में किसी की चप्पल तक चोरी नहीं हो सकती. पर शायद तब पुलिस भी अपने अंदाज़ में नया साल सेलिब्रेट कर रही होगी….
अख़बारों में आज ये खबर सुर्ख़ियों में है… कागजों का बड़ा हिस्सा काला कर दिया अक्षरों से… पर कहीं ये शब्द ढूंढे से न मिले कि अब आगे क्या ?? क्या फिर किसी परिवार को रोना पड़ेगा.. फिर कोई अपराधी किसी और शहर से आकर उदयपुर में जो मर्ज़ी,वो काम कर जायेगा ?? पिछले कुछ समय की घटनाओं पर नज़र डाले तो पाएंगे कि कभी किसी व्यापारी से सोना लूट लिया जाता है… किसी को लिफ्ट देने के बहाने लूटपाट कर बीच रस्ते सिसकने के लिए फेंक दिया जाता है… किसी बच्चे के सामने उसके माँ-बाप का क़त्ल हो जाता है..खेत में काम कर रही किसी वृद्धा के पैर काट कर चांदी की कड़ियाँ लूट ली जाती है… और हम… हम दंभ भरते हैं कि हमारा शहर सबसे शांतिप्रिय और खुबसूरत शहर है… क्यों किसी की इतनी हिम्मत हो जाती है … क्यों अब क़ानून का भय नहीं रहा आम लोगों में..
आरोपी प्रदीप ने अपने कर्जे से उबरने के लिए शेखर का बोहरा गणेशजी से अपहरण तो कर लिया..पर शायद बाद में घबरा गया. शेखर उसको पहचानता तो था ही.. अगर फिरौती मिलने के बाद वो शेखर को जाने देता,तब भी उसका पकड़ा जाना पक्का था… तो क्या पहले ही उसने तय कर लिया गया था कि शेखर को मरना होगा ?? और जब इतना प्रदीप सोच सकता है तो फिर उसमे और किसी बड़े अपराधी में क्या अंतर… पुलिस ने तो इतनी तफ्तीश की है कि उसने शेखर को उदयपुर से कोटा ले जाते वक़्त रस्ते में ही मार दिया.. फिर बाद में अपने परिवार वालों और दोस्तों के साथ मिलकर गाड़ी की धुलाई की. हत्या के बाद अपने दोस्त को फोन कर केरोसिन मंगवाया.. शेखर का चेहरा विकृत किया..जलाया… उसके शरीर के टुकड़े किये..एक बोरे में भरे और चम्बल में फेक दिया… और बाद में शेखर के ही फोन से फिरौती के लिए फोन….
शेखर के पिता अपने लख्ते-जिगर का शव देखकर फूट फूट कर रो पड़े… बस बार बार यही कह रहे थे..मेरे बच्चे को मार दिया..मेरे जिगर के टुकड़े की हत्या कर दी. घर पर इसकी माँ को क्या जवाब दूंगा.. उसको पता चलेगा तो बेचारी मर जाएगी.मैंने शेखर को कभी किसी बात की कमी नहीं आने दी.जब जब बाहर से आया, उसने जो मंगाया-लेकर आया. बेटा कहाँ है, एक बार सामने आ जाये..फिर मैं दुनिया से लड़ लूँगा. ..!!
इन आंसुओं को समाज कैसे पोंछ पायेगा.. क्या हमें ये मान लेना चाहिए कि अब हम भी किसी उत्तर-पूर्व के राज्य की तरह हो चुके है… अजीब संयोग है कि शेखर के मरने की खबर तब आई जब महामहिम राष्ट्रपति महोदया , महामहिम राज्यपाल, सूबे के वजीर गहलोत साहब सब शहर में ही थे …
पर क्या सारी गलती पुलिस पर थोपकर हम आज़ाद हो गए ?? आखिर कब सजग होंगे हम … आज इन्टरनेट के चलते हम हर संपर्क में आने वाले से दोस्ती कर लेते हैं. ये भी नहीं जानते कि वो कौन है, उसका अतीत क्या है… बस उसके “हाय” का जवाब बड़ी फुर्ती से दे देते है… अगर चार पांच दिनों की बातचीत के बाद वो शख्स अगर आपको कोफी- सिगरेट पीने बुलाये..आप ख़ुशी ख़ुशी अपनी मोटर बाइक उठाकर चल देते है… हर आदमी गलत होता है, ये कहना मेरा मकसद नहीं… पर शायद कई जगह हम खुद को सबसे बड़ा होशियार भी समझने लगते है.. परिवार वाले भी घर खर्च का पैसा देकर इतिश्री कर लेते है. कही न कही गलती हम भी करते है…

शेखर की आत्मा को उदयपुर ब्लॉग की श्रृद्धांजलि और आपसे आखिरी सवाल… आखिर कब सजग होंगे हम …!!!!!

By aryamanu

26 yr old guy from Udaipur/Noida currently working in Spiritual Media. He contributes for Media and social service as well. Internet addict, Word Gamer, Part time anchor and full time "Babaji".

8 replies on “शेखर पांचाल हत्याकांड: किसकी नज़र लग गयी उदयपुर को”

Ye nhi hona chahiye tha…….humari city iske liye nhi janni chahiye….humare shaher me bahut se student aate hai dusre shahro se….unki family ko kya hum itni bat kh sakte hai….ki wo humari city me ab bhi safe hai……shayad humari city ko kisi ki nazar lg gyi………i feel so sorry for shekher’s family..

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