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Lord Ram’s mystical cave at Banswara!

Located just 156 KM (3-hour drive) from Udaipur is Banswara. Banswara is immensely beautiful, having a lot of places to explore. One such mystical and mysterious place is Ram Kund in Banswara. Having said that it’s a kund, you might infer that it would be a small pond. Let me reconfirm your beliefs that this place is not a small pond but a cave.

Let us read through to know about this amazing place.

All about Ram Kund:

Ram Kund, also known as ‘Phati Khaan’, is situated at a distance of 25 km from Banswara. It is nestled amidst a barren and deserted area. It is surrounded by hills and located inside one of them. The whole cave inside the hill has a reservoir and turquoise waters flow through it, which is truly a mesmerizing thing to watch noting the fact that we are in Rajasthan.

source: rajasthan tourism

The cave is situated 300-400 meters below the ground, so one has to climb up the hill and then go inside where the cave can be found. The temperatures fall down drastically when one enters the cave; the outside temperature can be taken as double when compared to the temperature in the inside of the cave. The water in the reservoir is always freezing cold.

Mythology related to Ram Kund:

According to the Hindu mythology, Lord Ram with his wife Sita and brother Laxman visited this place during his exile and drank water from the reservoir. This is the reason why the place is known as Ram Kund. Not only this, it is also believed that Tatya Tope, a great Indian Freedom Fighter in the year 1857, used this place for hiding from the British and making war strategies against them.

source: sightseeings

Best time to visit Ram Kund:

The best time to visit this place is during the monsoon seasons because the hills are lush green and the whole atmosphere is blissful.

The present state of Ram Kund:

Ram Kund is not commercialized up till now but the present state of this baffling place is not very good. People come here and litter around, rather than saving the natural beauty it is.

Here is a glimpse of the situation at Ram Kund, Watch Here:

https://youtu.be/L1wN-z0ABvI

What can the government and locals do to save this natural marvel?


I am awestruck by the beauty of the place Banswara is and I am thinking to update you more about beautiful places in and around Banswara. What are your thoughts upon this wonderful place? Pen down your thoughts in the comments section below.

Also, if you want to suggest changes or additions in the above write-up you can drop an email at fouzia@udaipurblog.com

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जानिए उदयपुर के अमरनाथ के बारे में !

यह उदयपुर का सबसे प्राचीन एवं प्रमुख गुफा मंदिर है, आध्यात्म की दृष्टि से भी इसका प्रमुख स्थान है, इसे “उदयपुर का अमरनाथ”  भी कहा जाता है। यह प्राचीन गुफा उदयपुर के बिलिया गाँव में ओड़ा पर्वत के शिखर पर स्थित है, जो की तितरडी  गाँव के पास है| यहाँ भगवान शिव का प्राचीन मंदिर है, ऊपर पहाड़ पर यह मंदिर बड़े ही विस्तृत क्षेत्र में फैला हुआ है, इस गुफा की एक खासियत यह भी हें की इस तक चढ़ाई का रास्ता टेढ़ा-मेढ़ा हैं जो की आगन्तुको को अति आनंदित करता है।

यह एक गहरी गुफा है जिसके दुसरे छोर पर शिवलिंग हें, इस गुफा में प्रवेश करते समय हमें हजारों चमकादड़े गुफा की दीवारों पर उल्टी लटकती हुई दिख जाती हैं, साथ ही पत्थर के प्राकृतिक सर्प भी दीवारों पर दिख जाते हैं। इस मंदिर से अक्सर अखंड मंत्रोचार की आवाज़े आती रहती हैं कुछ विशेष अवसरों पर पूरा पहाड़ सुन्दरकाण्ड, भजनों व मंत्रो से गुंजायमान रहता हैं। हर माह यहाँ 48 घंटो का अनवरत जाप होता है।

इस गुफा का भ्रमण करने से एक विशिष्ट आध्यात्मिक आनंद का अनुभव होता है तथा यहाँ के सम्पूर्ण मंदिर परिसर में छाई शांति हमें खुद  में एक उर्जा का अनुभव करवाती हैं। इस गुफा के अंदर एक और छोटी  गुफा है जो की एक रहस्यमयी गुफा है, यह दूसरी गुफा इतनी बड़ी और लम्बी है की इसके दुसरे छोर पर आज तक कोई नहीं पहुच सका हैं, बड़े बुजुर्ग कहते हें की यह दूसरी गुफा काशी तक जाती हैं।

इस मंदिर का एक आश्चर्यजनक प्रभाव यह है की जब हम पहाड़ की चढाई से थककर गुफा में पहुचते हैं तो गुफा में कुछ ही क्षण बिताने पर हम फिर से खुद को उर्जावान महसूस करते हैं। यहाँ शांत वातावरण, शुद्ध एवं ठंडी हवा के झोके हमें चिंता मुक्त कर देते हैं, साथ ही सारी मानसिक थकान भी दूर हो जाती हैं। यहाँ पहाड़ से देखने पर पूरा उदयपुर दिखाई देता हैं, यहाँ एक सुन्दर बगीचा और एक भव्य हनुमान मंदिर भी हैं। इस गुफा में हर पूर्णिमा की रात को भजन संध्या होती हैं जो कि एक संगीतमय रात्रि जागरण होता हैं।

अब कैसे छूटे राम रट लागी।

प्रभु जी, तुम चंदन हम पानी,

जाकी अँग-अँग बास समानी ।।

 

 गुरुजी श्री श्री 1008 श्री बृज बिहारी जी बन 

 सद्गुरु श्री श्री 1008 श्री बृज बिहारी बन पिता श्री कैसाराम जी तिवारी शर्मा माता संगम देवी गांव राजाजी का प्रयागपुर जिला बराईच (उ.प्र.) को हुआ। आप का मन बचपन से ही भक्ति भाव मे रहा।

17 वर्ष की उम्र में ही भक्ति में तपस्वी के रूप में भिन्न स्थानों पर तपस्याएं करते रहे। आप निराहार रहकर 12 वर्षो तक एक पांव पर ही खड़े रहकर तपस्या की जो स्थान गुप्तेश्वर महादेव की पहाड़ी होडा पर्वत के अंदर प्राकृतिक गुफा में है वहीं उनकी तपस्या रही जहाँ आज भी अंदर की तरफ अलग से गुफा है। गुरूदेव ने अपना जीवन बड़ी विनम्र और प्रेममयी भावना से बच्चो, बूढ़ो, माताओं, बहनों को ज्ञान देने एवं हमारा जीवन प्रभु प्रीत से जोड़ने में व्यतीत कर दिया।

शिवलिंग का स्वप्न

दाता होकम जब दशानन करते हुए निरंजनी अखाड़े के साथ उदयपुर पधारे, तब उन्हें एक रात स्वप्न आया कि  मध्य उदयपुर से कुछ ही दूर किसी गुफानुमा पहाड़ी के अंदर एक छोटा सा महादेव का लिंग है तब से गुरुजी को वो स्वप्न बार बार हर रात्रि को आने लगा । मानो वो लिंग उनको अपनी तरफ खींच रहा हो । देशाटन करते हुए वह जहा भी जाते वह स्वप्न उनका पीछा नही छोड़ता , उनको नींद नही लेते हुए बहुत समय बीत गया था ।

अपने गुरूजी की आज्ञा पाकर दाता हुकम 1951 कार्तिक माह में सर्वप्रथम उदयपुर से 10 किलोमीटर दूर मानव खेडा गांव में पधारे और वह तीन-चार दिन रुके। वहाँ लोगो से अपने स्वप्न दृश्य की चर्चा कर की एवं स्वप्न से मिलता जुलता स्थान ढूंढते हुए वह एकलिंगपुरा जा पहुंचे । वहाँ पर भी लोगो को अपने सपने का वृत्तांत सुनाया। वहा के लोगो ने गुरुजी को कुछ बच्चो के साथ संध्या काल मे होंडा पर्वत जो कि तितरडी (बिलिया) में है वहां तक पहुचाया। वो कार्तिक पूर्णिमा का दिन था।  वहाँ पर्वत पर पहले से एक धूणी थी। गुरुदेव कुछ समय तक उस धूणी के पास बैठे रहे फिर उन्हें लगा की वो सपने वाला लिंग उन्हें अपनी तरफ बुला रहा है वहाँ खोजबीन करने पर गुरुजी को गुफा के मुख्य द्वार दिखाई पड़ा जो कि उस समय  चमकादडो की पीठ से करीब करीब पूरा बन्द था गुरुजी ने अपने वस्त्रो से गुफा की सफाई की तथा अंदर जा कर शिवलिंग की खोज की । सद्गुरु बृज बिहारी जी बन की उम्र वर्तमान में करीब 95 से 100 वर्ष की हो चुकी है । पर वह हम सभी भक्तों को एक परिवार की तरह मानकर अपार प्रेम करते है। ऐसे सरल एवं प्रेममयी जीवन जीने वाले तथा निस्वार्थ भाव रखकर सम्पूर्ण मानव कल्याण में सर्वस्व लुटाने वाले गुरुदेव को हम बारम्बार प्रणाम केते है ।। जय महादेव

सदस्यता प्राप्त :-  दाता हुकम श्री श्री 1008 श्री बृज बिहारी जी बन के शिष्य (उत्तराधिकारी) श्री तन्मय जी बन  महाराज,  ने माघ सुदी त्रयोदशी सं २०७४ तदनुसार दिनांक 29 जनवरी 2018 को निरंजनी अखाड़ा हरिद्वार में औपचारिक सदस्यता प्राप्त की , साथ ही निरंजनी अखाड़ा के द्वारा श्री तन्मय जी बन का सम्मान हुआ ! इसी दिन दाता हुकम की तरफ से निरंजनी अखाड़े में अखाड़ा परिचय भोज (भंडारा) भी कराया गया !

जय गुरुदेव ।।