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Good News! Udaipur-Ahmedabad will soon be less than 2 hours

After the Railways identified the six sections for high speed and semi-high speed rail corridors including Jaipur-Udaipur-Ahmedabad sections in January, the National High-Speed Rail Corporation Limited ((NHSRCL), in the latest development on the project, invited the first set of tenders for the 886 km long Delhi-Jaipur-Udaipur-Ahmedabad high-speed corridor to kickstart preparations.

NHSRCL, on Tuesday, floated the tenders for collection of relevant data for the preparation of Detailed Project Report (DPR). The data includes preparation of drawings of crossing bridges over rivers/canals/railways and roads including National Highways, State Highways, Expressway and major district roads along with general arrangement drawings (GADs) of proposed stations and maintenance depots. The bids have also been invited to carry out traffic study (ridership study) and data collection and associated survey work for DPR of the corridor.

The detailed project report will study the feasibility of the project by checking the land availability, traffic potential and alignment. On the basis of these factors, the Railway Board will decide if the route is fit for the high-speed or semi-high-speed corridor.

 

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Indian Railways: Now change the boarding station four hours prior to the journey

If a confirmed ticket was booked from IRCTC website but had to be cancelled because there’s no option to change the boarding station, here’s good news!

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Photo Credit: Shivam Sadhu/ raah_chalta_

Passengers travelling by rail will now be able to change the boarding station up to four hours before the chart is formed. This facility has been implemented since Wednesday. This means that one can change the boarding station that is selected at the time of booking tickets.

Prior to this, the boarding state could be changed only 24 hours before the start of the journey and for that passengers had to submit an application to the railway reservation head. Now it can be done online through the IRCTC website for tickets booked online. The boarding station can also be changed by calling the Railway Inquiry Number -139. However, the condition is that there will be no refund on cancelling the ticket.

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‘देबारी की ऐतिहासिक गुफ़ा’ जहां मीटर गेज़ ट्रेन चला करती थी, अब वहां ‘टॉय ट्रेन’ चलेगी..

देबारी, उदयपुर स्थित राजस्थान की सबसे पहली रेलवे टनल और कभी अपने टाइम पर सबसे लम्बी टनल रही ‘देबारी की गुफ़ा’ में अब जल्द ही ‘टॉय ट्रेन’ चलेगी। इंडियन रेलवेज़ ने उस प्रोजेक्ट को हरी झंडी दिखा दी है जिसमें इस संभावना पर विचार करने को कहा गया था। साल 2016, में इस प्रोजेक्ट को रेलवे मिनिस्ट्री भेजा गया था। जिसको ToI ने भी कवर किया था। अब जब इस प्रोजेक्ट को हरी झंडी मिल गई है तो उदयपुर के लोगो को इंतज़ार है तो बस इस बात का कि इस प्रोजेक्ट पर जल्द से जल्द काम शुरू होवे।

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picture courtesy: RMWEB

देबारी टनल का इतिहास:

देबारी टनल का ब्रॉडगेज़ परिवर्तन के बाद से पिछले 12 साल में कोई इस्तेमाल नहीं लिया गया। लेकिन अगर हम इन 12 सालों को छोड़ दे तो इस देबारी टनल का इतिहास बड़ा रोचक रहा है। आपको बता दें देबारी टनल करीब 119 बरस पुरानी है। इसे सन् 1889 में बनाया गया था। सन् 1884 में महाराणा सज्जन सिंह ने पहली बार उदयपुर को रेल नेटवर्क से जोड़ने का प्रयास किया। सन् 1885 तक सभी महत्वपूर्ण सर्वे और कागज़ी करवाई भी कम्पलीट होने को आ गई थी। लेकिन महाराणा के आकस्मिक देहांत की वजह से यह प्रोजेक्ट अनिश्चितकालीन अवधि के लिए रुक गया। हालाँकि इसके 10 साल बाद महाराणा फ़तेह सिंह जी ने इस प्रोजेक्ट को फिर से शुरू करवाया और इस तरह उदयपुर पहली बार सन् 1895 में रेल नेटवर्क से जुड़ा लेकिन सिर्फ़ देबारी तक ही। देबारी-चित्तौडगढ़ रेल लाइन 60 मील लम्बी थी और इसी पर थी ऐतेहासिक देबारी टनल। लेकिन रेल लाइन को उदयपुर तक आने में 4 साल लग गए। क्योंकि अगस्त,1895 से लेकर दिसम्बर, 1899 तक, उदयपुर-देबारी के इस 6.5 मील लम्बे ट्रैक को बॉम्बे-बरोड़ा और सेंट्रल लाइन ऑपरेट करते थे। 25 अगस्त, 1899 को इस छोटे से टुकड़े को देबारी-चित्तौडगढ़ रेल लाइन से जोड़ लिया गया और इस तरह उदयपुर ने पहली बार रेल लाइन को देखा। 

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picture courtesy: RMWEB

सन् 2005 के बाद उदयपुर-चित्तौड़गढ़ रेल-लाइन ब्रॉडगेज़ में तब्दील हो गई और देबारी-टनल का उपयोग भी उसी के साथ थम गया। देबारी टनल का इस तरह वीरान पड़े रहना कई लोगो को तकलीफ़ देता रहा है। बीच में कई बार इसको टूरिस्ट अट्रैक्शन बनाने की मांग भी उठती रही थी। इसका इस तरह यूँ वीरान पड़े रहना इसलिए भी अखरता था क्योंकि देबारी टनल उस समय की बनी उन जटिल कलाकृतियों में से थी जिसे तब के कारीगरों ने बिना किसी मशीन की सहायता से, सिर्फ़ हाथ-हथौड़ो की मदद से बनाया था। यह सच में एक अजूबा है। 

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picture courtesy: RMWEB

देबारी टनल और टॉय ट्रेन: toy train

शुक्रवार को जब इस प्रपोजल को एक्सेप्ट किया जा रहा था तब राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया, जोनल मैनेजर पुनीत चावला भी मौजूद थे। पुनीत चावला ने कहा है कि यह टॉय ट्रेन UIT या नगर निगम, उदयपुर की देखरेख में चलेगी। इस प्रोजेक्ट का एस्टीमेट बजट 5 करोड़ रूपए का है।

जल्दी ही टॉय ट्रेन के लिए ट्रैक लगा दिया जाएगा साथ ही साथ दोनों तरफ रेलवे स्टेशन भी बनाए जायेंगे। सिग्नल्स भी लगे जाएँगे ताकि बच्चे इन सबको देखकर कुछ सीखें। 🙂

 

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टीटी ने सीट नहीं बदली, उपभोक्ता मंच ने रेलवे से 24,000 रुपये दिलवाए।

किसी भी देश का आदर्श नागरिक वह व्यक्ति होता है जो जागरूक हो, अपने कर्तव्यों को लेकर। कोई भी सरकार या तंत्र भी तभी आदर्श माना जाता है जब वो अपने नागरिक या उपभोक्ता के अधिकारों का सम्मान और रक्षा करें। लेकिन जब दोनों के बीच की केमेस्ट्री गड़बड़ा जाती है तब ऐसी ख़बरों का जन्म होता है। ये बात कहीं गीता में नहीं लिखी है लेकिन ऐसा हमारा मानना है।

बात है सन् 2014 की। लेकिन आप सोच रहे होंगे कि 2014 की बात अब क्यों बताई जा रही है? तो उसकी वजह हमारी ‘न्याय-प्रणाली’ है पर ये दूसरा विषय है।

कहानी कुछ यूँ है कि अभिषेक भंसाली (बेदला रोड निवासी), सन् 2014 की सर्दियों में अजमेर से उदयपुर हॉलिडे स्पेशल के ए.सी. चेयर कार में सफ़र शुरू करने वाले थे। रेलवे टिकेट ऑनलाइन करवाया हुआ था। लेकिन ज्यों ही वो अपनी सीट नंबर 66 पर गए तो उन्हें सीट टूटी हुई मिली। कुछ देर एडजस्ट करने के बाद उन्होंने टीटी से सीट बदलवाने की गुजारिश की तो टीटी ने इग्नोर कर दिया। कुछ देर बाद फिर से बोलने पर भी करवाई नहीं की तो अभिषेक भंसाली ने टीटी से कंप्लेंट रजिस्टर माँगा तब टीटी ने जवाब दिया कि अगले स्टेशन पर उतरकर कंप्लेंट कर देना। सीट बैठने लायक नहीं होने की वजह से अभिषेक भंसाली को पुरे सफ़र के दौरान खड़े रहना पड़ा।

उसके बाद जो हुआ उससे हम सभी को कुछ सीखना चाहिए। अभिषेक भंसाली ने जिला उपभोक्ता मंच पर अपनी शिकायत दर्ज करवाई। जिला उपभोक्ता मंच ने रेलवे से 4000 रुपये पेनेल्टी के रूप में अभिषेक को देने को कहा। हालाँकि अभिषेक सिर्फ इतने से खुश नहीं हुए और वो इस केस को राज्य उपभोक्ता मंच लेकर गए। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए राज्य उपभोक्ता मंच ने उत्तर-पश्चिम रेलवे को राशि 4000 से बढ़ाकर 24,000 रुपये करने को कहा। 

यह बात हमें माननी चाहिए कि भले अभिषेक भंसाली को न्याय मिलने में देरी हुई लेकिन उन्हें अपने अधिकार पता थे। उन्हें ये भी पता था, अपने अधिकारों की रक्षा कैसे की जाती है। ये आपके हमारे लिए एक सबक है जिसे सिखने की ज़रूरत है। हम अक्सर ऐसी बातों को जाने देते है और बेवजह परेशां होते रहते है। jago grahak jaago

एक बात ध्यान रखने योग्य है। हम लोगो से तंत्र है, तंत्र से हम लोग नहीं। 🙂 

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सेल्फी के क्रेज से मर रहे लोगों को बचाने की मुहीम | लगेगा ‘सेल्फी पॉइंट’ रेलवे स्टेशन पर

रेलवे पटरियों पर सेल्फी लेते हुए मरने वाले लोगों की संख्या देख कर भारतीय रेलवे विभिन्न रेलवे स्टेशनों पर ‘सेल्फी पॉइंट’ लगाने के concept के साथ आ रहा है। देश के 70 रेलवे स्टेशनों में से, राजस्थान में पांच प्रमुख स्टेशन- जयपुर, बीकानेर, उदयपुर, जोधपुर, गांधी नगर पर यह सेल्फी पॉइंट्स लगेंगे।

युवाओं को रेलवे की पटरियों के पास सेल्फ़ीज़ लेते हुए अक्सर पाया जाता है। भारतीय रेलवे के पास उपलब्ध आंकड़ों के हिसाब से, देशभर में सेल्फीज़ लेने के दौरान कम से कम सात लोग मारे गए हैं। ज्यादातर मोतें रेलवे पटरियों के पास हुई हैं।

सरकार ने इसे “Dangerous Trend” का नाम दिया है।

सेल्फी के क्रेज से मर रहे लोगों को बचने की मुहीम | लगेंगे 'सेल्फी पॉइंट' रेलवे स्टेशन पर
सोर्स: thelallantop

राजस्थान में रेलवे के अधिकारियों के मुताबिक, ज्यादातर सेल्फी पॉइंट प्लैटफॉर्म नं. 1 पर होंगे, या तो ओवर ब्रिज के ऊपर या किसी अन्य सुरक्षित क्षेत्र में। सेल्फी पॉइंट्स का यह कार्य दिसंबर 2018 तक पूरा होने की उम्मीद है।

सेल्फी पॉइंट्स के अलावा और क्या क्या लगेगा?

  • अन्य सुविधाएं जैसे वेटिंग हॉल में पानी के एटीएम, मोबाइल चार्जिंग प्वाइंट, व्हील चेयर और स्वयंसेवकों को नियुक्त किया जायेगा
  • इसी तरह, व्यावसायिक बैठकें आयोजित करने के लिए भी रेलवे स्टेशनों पर कुछ क्षेत्र निधारित किये जायेंगे