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आरएनटी अस्पताल में मजबूत हो रही हेल्थ सर्विस

उदयपुर आरएनटी मेडिकल कॉलेज के 3 अस्पतालों (एमबी, जनाना और सुपर स्पेशिएलिटी ) में 300 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे लगाए गए है। जनरल वार्ड से लेकर ऑक्सीजन प्लांट,आईसीयू वार्ड, ओपीडी, आईपीडी, कोविड वार्डो तक मरीजों और स्टाफ की हर छोटी से बड़ी गतिविधियां स्क्रीन पर है। सर्वर रूम में प्रिंसिपल कार्यालय से नोडल अधिकारी 3 पारियों में 24 घंटे निगरानी कर रहे जबकि एनालिस्ट कम प्रोग्रामर एक शिफ्ट में। इन सीसीटीवी लगाने का मकसद मरीजों और तीमारदारों के लिए व्यवस्था के साथ स्टाफ के कामकाज पर नजर रखना है ताकि कोई गड़बड़ी या असुविधाजनक गतिविधि और चोरियां के साथ स्टाफ की हरकते होने पर उन पर कार्यवाही की जा सकती है। इसके साथ ही और सुरक्षा बढ़ाने के लिए हॉल, गैलरी, पोर्च, प्रवेश द्वार और पार्किंग तक 100 से भी ज्यादा और कैमरे लगाए जाएंगे। कोविड काल में 180 कैमरे लगाए गए थे व्यवस्था में सुधार होने पर 120 कैमेरे और बढ़ाए है।

आरएनटी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ लाखन पोसवाल का कहना है की कोरोना के दूसरे चरणों में मरीजों की संख्या ज्यादा होने से आपाधापी जैसे हालात हो रहे थे। वजह यह थी की आईसीयू में तीमारदारों के जाने की मनाही थी और कई सारी शिकायते भी मिल रही थी की स्टाफ ध्यान नहीं दे रहा है इसलिए मारीजों और कर्मचारियों की निगरानी के लिए सिसिटीवी कैमरे लगाए थे। कैमरे लगाने से सफलता मिली तो कैमरे बढ़ाने के साथ कंट्रोल रूम को स्थायी किया है।

सीसीटीवी से कायम अनुशासन
सीटीवी सर्विलैंस से आईसीयू में भर्ती मरीज,गार्ड की मौजूदगी, स्टाफ की ड्यूटी, समय की पालना आदि में अनुशासन कायम हुआ है। इसके साथ ही अस्पताल परिसर में चोरियों की शिकायत अब थमने लगी है और स्टाफ को लेकर शिकायत भी घटने लगी है। प्रिंसिपल कार्यालय में सीसीटीवी की नोडल अधिकारी डॉ रिचा पुरोहित ने बताया की कोविड के दूसरे चरण में ऑक्सीजन प्लांट,आईसीयू आदि पर निगरानी रखी गई है। सोशल मीडिया ग्रुप पर हर घंटे में प्लांट के प्रेशर मीटर की रीडिंग, मरीज के पास मॉनिटर पर हेल्थ पैरामीटर (पेशेंट का नांम, बीपी – प्लस, ऑक्सीजन सेचुरेशन आदि) की शीट मंगवाई थी। अब मरीज के बेड के आसपास रिश्तेदारों की भीड़, नर्सरी या डॉक्टरो के नजर नहीं आने पर वार्ड इंचार्ज या अधीक्षक को फ़ोन कर व्यवस्था करवा रहे है। आरएनटी में 2018 से सीसीटीवी से निगरानी है, लेकिन तब कमरे कम थे, जिस वजह से रोज चोरी के मामले सामने आ रहे थे। कैमरे बढ़ने से अब चोरी के मामले बिलकुल भी नहीं आ रहे है।

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कटाक्ष : #missingschooldays जैसे हैशटैग डालने वालो को अब स्कूल की याद नहीं सताएगी।

बारहवी की परीक्षा चल रही है। परीक्षा ख़त्म होते ही कॉलेज की दौड़-भाग शुरू हो जाएगी। कुछ लड़के-लड़कियां अभी से ही स्कूल को मिस करने लग गए है, लेकिन कुछ ऐसे भी है जो परीक्षा समाप्ति पर मिस करना शुरू करेंगे, उन्हें जैसे ही ये कॉन्फिडेंस आ जायेगा कि ‘हाँ… बेड़ा पार हो जायेगा’ और मिस करना शुरू कर देंगे।

लेकिन अब स्कूल की याद नहीं सताएगी। अगर याद नहीं सताएगी तो बहुत मुमकिन है कि सोशल मीडिया पर #missingschooldays, #alreadymissingschooldays जैसी आपदाएं भी नहीं नज़र आएगी। हमारी सरकार ने हमेशा हमारे दुःख-दर्द को सुना है और उसे कम करने की कोशिश की है। इस बार भी हमारी यह हैशटैग वाली पुकार सुन ली गयी है और ऐसा तोहफ़ा दिया है कि सुन लोगे तो खुशी से नाच उठोगे।

अब कॉलेज में भी स्कूलों की तरह ड्रेसकोड रहेगा। लड़कियां सलवार-कमीज़-दुप्पटा पहनी नज़र आएँगी तो लड़के पैंट-शर्ट-बेल्ट-टाई पहने नज़र आएँगे। राजस्थान के सभी गवर्मेंट कॉलेज के लिए यह आदेश लागू हो सकता है। अब तक तो शायद आपने नाचना भी शुरू कर दिया होगा।

dress code for college
photo courtesy: College dekho

आइये हम साथ में मिलकर इसके फायदे-नुकसान की बात करते है :

इसके क्या फायदे है –

  1. रोज-रोज के नए कपड़े पहनने की झंझट से निजात मिलेगी।
  2. “उसने तो वैसा पहना है, मैंने तो ऐसा पहना है” जैसा राष्ट्रिय मुद्दा ख़त्म हो जाएगा। 
  3. सप्ताह की दो ड्रेस गन्दी होगी। धोने-धुलवाने की माथापच्ची नहीं रहेगी।
  4. स्कूल की याद नहीं सताएगी।
  5. सरकार ने इतना कर ही दिया है, फिर भी स्कूल की याद आती है तो मेरी एक सलाह मान लीजिए। गले में प्लास्टिक की लटकने वाली बोतल और शर्ट की ऊपर वाली जेब पर पिन से रुमाल बांध देना। मैं गारंटी देता हूँ कॉलेज पूरी तरह से स्कूल लगने लगेगा। 

इसके क्या नुकसान है –

  1. अलमारी में पड़ी नयी ड्रेस वही पड़ी रह जाएगी। ड्रेस बिना पहने छोटी और टाइट हो जाने के आसार बढ़ जाएँगे।
  2. नए फैशन को फॉलो करने और दूसरों को दिखाने के लिए कोई प्लेटफॉर्म नहीं बचेगा।  
  3. शो-ऑफ करने वाले शो-ऑफ नहीं कर पाएँगे। उनकी सेहत पर विपरीत असर पड़ सकता है।
  4. हर क्लास के सलमान, शाहरुख़, कटरीना… भीड़ में खो से जाएँगे।
  5. जिसका बर्थडे होगा वो नयी ड्रेस पहनकर कॉलेज नहीं आ सकेगा। एक्लीयर्स/पारले जी की चॉकलेट बांटकर ही दुसरे छात्र-छात्राओं को दिखाना होगा कि आज उसका बर्थडे है।

 अब थोड़े सीरियस हो जाते है –

  1. हम सभी जानना चाहते है कि ड्रेस कोड कैसे हमारी पढाई में सुधार ला सकता है?
  2. हम सभी जानना चाहते है कि क्या ड्रेस कोड हमारा प्लेसमेंट करवाएगा?
  3. हम सभी जानना चाहते है कि ड्रेस कोड, अनुशासन कैसे ला सकता है?
  4. हम यह भी जानना चाहते है कि क्या ड्रेस कोड की वजह से हमारे कॉलेज के इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार आ सकता है?
  5. हमें यह भी जानना है कि क्या ड्रेस कोड कॉलेज में खाली पड़ी लेक्चरार की सीटों को भर पाएगा? उनकी कमी की पूर्ति कर पाएगा?
  6. हम अंत में यह जानना चाहते है कि क्या ड्रेस कोड हमारे भारतीय एजुकेशन सिस्टम की कमियों में सुधार ला पाएगा?

धन्यवाद

– एक छात्र