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सीवरेज का पानी रिसकर झील में घुल रहा है; 18 साल से कहाँ है प्रशासन?

झीलों का हाल है बेहाल!

झीलों का शहर कहते है उदयपुर को; झीलों के साथ बसा एक शहर। पर समय के साथ उन झीलों का जब हमे ध्यान रखना चाहिए था तब हमने रखा ही नहीं। वैसे हमने भी झीलों को गन्दा करने में कोई कसर नहीं छोड़ा लेकिन अब प्रशासन की लापरवाही की वजह से झीलों में दूषित सीवेरज का पानी जा रहा है और प्रशासन को सुध ही नहीं है।

नई पुलिया से अंबावगढ़ बस्ती तक मेनहोल से निकलकर सीवरेज का पानी सड़क पर फैल रहा है और यही पानी दीवारों से रिसकर झील में भी मिल रहा है। नई पुलिया के पास स्थित मेनहोल को निगम के कर्मचारियों ने खुला ही छोड़ रखा है। अब इसे लोग भराव डालकर पाट रहे हैं। ऐसे ही चलता रहा तो पूरा मेनहाेल जाम हो जाएगा और इससे परेशानी और ज़्यादा बढ़ सकती है।

जानिए स्थानीय लोगों का हाल

स्थानीय लाेगाें का कहना है कि यहां वर्ष 2004 में सीवरेज लाइन डाली गई थी। तब से यहां आए दिन पानी भरता रहता है। इसके अलावा सीवर लाइन में लीकेज के कारन झील की दीवाराें से भी कई जगह से दूषित पानी रिसकर झील में जा रहा है। क्षेत्रवासी और झील प्रेमी इस बारे में कई बार निगम से शिकायत भी कर चुके हैं लेकिन फिर भी इसका कोई हल नहीं निकला है।

स्थानीय लोगो का यह भी कहना है की बस्ती में दाे जगह सीवरेज की लाइन डली हुई है और प्लांट नेचुरल हाेटल के यहां लगा हुआ है। ऐसे में प्लांट से पहले कचरे काे राेकने के लिए जालियां भी लगाई गई हैं। लेकिन अमूमन इन जालियों में प्लास्टिक का कचरा फंस जाता है, जिसकी सफाई भी समय पर नहीं होती है। अब इससे होता यह है की लाइन जाम हो जाती है और पानी सड़क पर फैलने लगता है।

जिस दिन क्षेत्र में जलापूर्ति हाेती है उस दिन परेशानी और ज़्यादा बढ़ जाती है। पानी फैलने से रज़ा चाैक में पानी इक्कठा होने की वजह से छाेटा सा तालाब ही बन जाता है।

पहले भी हुई है कोशिश इस समस्या को दूर करने की

2018 में इस मुसीबत से छुटकारा पाने के लिए कलेक्टर ने 28 पॉइंट चिह्नित कर कमेटी भी बनाई थी मगर उसका भी कोई निष्कर्ष नहीं निकला और काम भी नहीं हुआ।

अब स्मार्ट सिटी संभालेगा कार्यभार

अब नई पुलिया से अंबावगढ़ बस्ती वाली लाइन काे स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंदर ले लिया गया है। स्मार्ट सिटी अधिकारीयों का कहना है की इसका प्रपोज़ल भी तैयार कर लिया गया है। इस क्षेत्र में काम हाेने पर पूरी लाइन नई डाली जाएगी।

आशा है यह कार्य जो की पिछले 18 वर्ष से पूरा नहीं हुआ जल्द से जल्द पूरा हो और शहर वासियों के साथ हमारी झीलों को भी इस दूषित जल से राहत मिले।

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जानिए आखिर क्यों उदयपुर स्वच्छता सर्वे -2021 में 54 से खिसक कर आ गया 95वें स्थान पर

स्वच्छता सर्वेक्षण-2021 में राजस्थान के एक से 10 लाख आबादी श्रेणी के टॉपर उदयपुर का देश में 41 रैंक पिछड़कर 95वें स्थान पर । पिछले साल उदयपुर 54वें नंबर पर था। रैंकिंग गिरने से अधिकारीयों पर सवाल उठ रहे है, क्योंकि शहर की स्वच्छता पर नगर निगम हर साल करीब 71 करोड़ रुपए खर्च कर रहा है। पड़ताल में सामने आया है कि निगम के पास 70 वार्ड के 85 हजार घरों से डोर टू डोर कचरा संग्रहण के लिए सिर्फ 77 वाहन है जिसमे से 75 टिपर और 2 ई-रिक्शा हैं। जबकि हर वार्ड के लिए कम से कम दो वाहन चाहिए। ये वहां भी सिर्फ सुबह के टाइम पर कचरा संग्रहण करते हैं। शाम को ऐसी कोई भी व्यवस्था नहीं है। उदयपुर में अगर कोई शहरवासी सुबह कचरा न दाल पाए तो कचरा डालने के लिए अगले दिन के लिए इंतज़ार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

देश का सबसे साफ़ शहर है इंदौर और वहां कचरा संग्रहण का काम सुबह-शाम होता है। अब उदयपुर में ऐसी सुविधा ना होने के कारण कई लोग खुले में कचरा डाल देते हैं जो हफ़्तों तक यूँही पड़ा रहता है, जबकि निगम ने खुले में डला कचरा उठाने के लिए भी कई एजेंसिओं को ठेका दे रखा है। अब मेयर जी.एस. टांक और डिप्टी मेयर पारस सिंघवी का कहना है कि शहर को स्वच्छता में सिरमौर बनाने के लिए नए सिरे से प्लान तैयार कर रहे हैं।

इस सब को देखते हुए उदयपुर के मेयर जी.एस. टांक ने यह भी बताया की उदयपुर निगम भी इंदौर की तरह सुबह-शाम कचरा संग्रहण पर काम करेगा। इसके लिए टिपर की संख्या में भी बढ़ोतरी की जाएगी। खुले में कचरा डालने पर तुरंत उठाया जाएगा। नियम तोड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी करेंगे। इस बार हमारे गार्बेज फ्री सिटी के नंबर नहीं जोड़े गए। अगली बार तकनीकी पहलूओं को भी दुरुस्त कराएँगे ताकि राजस्थान के बाहर भी उदयपुर स्वच्छता में अव्वल रह सके।

निगम के साथ शहर वासियों की भी इसमें ज़िम्मेदारी बनती है की हम अपने शहर को साफ़ रखने के लिए ज़रूरी कदम उठाए और कचरा इधर-उधर खुले में ना फेके। तब जा के हम और आप उदयपुर को सबसे स्वच्छ शहर के रूप में देख पाएंगे।

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नगर निगम कार्यालय में मेन गेट से प्रवेश बंद

  • नगर निगम कार्यालय में मेन गेट से प्रवेश बंद।
  • ज़रूरी काम के लिए रोकड़ शाखा के सामने वाले गेट से दिया जाएगा प्रवेश।
  • गैर ज़रूरी काम के लिए नहीं दिया जाएगा प्रवेश।

काेराेना के लगातार बढ़ते मामलाें काे देखते हुए नगर निगम कार्यालय पर व्यवस्थाओं में बदलाव किया है। इसके अंतर्गत अब गैर ज़रूरी कामों के लिए आने वाले लाेगाें को निगम कार्यालय में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। इसके लिए निगम आयुक्त ने आदेश जारी कर मेन गेट से प्रवेश बंद कर दिया है।

अब से निगम स्टाफ के अलावा जरूरी काम से आने वाले लाेगाें काे राेकड़ शाखा के सामने वाले गेट से प्रवेश दिया जाएगा।

निगम आयुक्त ने निगम की सभी शाखाओं के प्रभारियाें काे उनकी शाखा में बिना वजह लाेगाें काे नहीं बैठने देने के निर्देश भी दिए। डिप्टी मेयर और स्वास्थ्य समिति अध्यक्ष ने भी स्वास्थ्य अधिकारी और स्वास्थ्य निरीक्षकों काे काेराेना से बचाव के निर्देशाेें की पालना नहीं करने वालाें पर जुर्माना लगाने काे कहा है। साथ ही, स्वायत्त शासन विभाग ने निकायाें काे उदयपुर के शहरी क्षेत्रों में एक महीने तक जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं।

गैरतलब हैं की यूआईटी परिसर में यह व्यवस्था पिछले लंबे समय से चल रही है। जिसके अंतर्गत लोगों को कोई अतिआवश्यक काम होने पर ही परिसर के अंदर प्रवेश दिया जा रहा है। प्रवेश से पहले सभी की थर्मल स्कैनिंग की जा रही है और एक बार में 10-10 लोगों को ही कार्यालय में जाने दिया जा रहा है। बता दे कि यूआईटी में पिछले दिनों कई कार्मिक संक्रमित भी पाए गए थे।

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नगरीय विकास कर के लिए 15 साल बाद सर्वे शुरू

Urban Development Tax के लिए 15 साल बाद शहर में नया सर्वे शुरू

13500 भवन थे पहले से चिह्नित। 50 हजार और आ सकते है दायरे में।

Urban Development Tax के दायरे में आने वाले भवन:

  • 2700 sq. ft. या इससे बड़े आवासीय भूखंड।
  • 900 sq. ft. या इससे बड़े व्यवसायिक में भूखंड या भवन।
  • व्यवसायिक काॅम्पलेक्स में बनी सभी दुकानें।

नगर निगम ने नगरीय विकास कर (Urban Development Tax) से आय बढ़ाने के लिए करीब 15 साल बाद शहर में नया सर्वे शुरू किया।

15 साल में निगम सीमा में 13500 भवन चिन्हित हुए थे जाे कि नगरीय विकास कर के दायरेे में आ रहे थे। उसके बाद निगम सीमा में कई आवासीय, शॉपिंग माॅल, व्यवसायिक भवन बने, स्टार हाेटलें भी शुरू हुई, लेकिन नया सर्वे नहीं हाेने से ये भवन नगरीय विकास कर के दायरे में नहीं थे। इस नए सर्वे से अनुमान लगाया जा रहा है की इस के बाद करीब 50 हजार नए भवन इस टैक्स के दायरे में आ सकते हैं।

फ़िलहाल 2700 वर्ग फीट या इससे बड़े आवासीय भूखंड या भवन, 900 वर्ग फीट या इससे बड़े व्यवसायिक भूखंड या भवन और व्यवसायिक काॅम्पलेक्स में बनी सभी दुकानें इस टैक्स के दायरे में आती है।

सर्वे के लिए निगम ने एक प्राइवेट कंपनी के साथ अनुबंध किया है जाे सर्वे के साथ इस दायरे में आने वाले भवन, प्रतिष्ठान मालिकों से टैक्स लेकर निगम खाते में जमा करने का कार्य भी करेगी।

शहर के सभी वार्डों में सर्वे का काम एक साथ शुरू कर दिया गया है जिसके अंतर्गत सर्वे टीम निगम सीमा में सभी भवनों का भौतिक सत्यापन (physical verification) करेगी और उसके आधार पर डीएलसी दरों और राज्य सरकार के निर्धारित दायरे में आने वाले भवनाें से यह टैक्स लेगी।

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दीपावली तक मिल सकती है शहर को 26 स्मार्ट सिटी बसों की सौगात

  • इस साल दीपावली तक मिल सकती है शहर को 26 स्मार्ट सिटी बसों की सौगात।
  • 4 AC और 22 Non-AC बसें चलेंगी शहर के जनरल, एक्सप्रेस और टूरिस्ट सर्किट रूट पर।

 

काेराेना के बीच शहर के लिए एक खुशखबरी!

इस साल दीपावली तक यानी 14 नवंबर तक शहरवासियों काे मिल सकती है स्मार्ट सिटी बसाें की सौगात।

शहर के रास्तों पर चलने के लिए 26 स्मार्ट सिटी बसें तैयार की जा रहीं हैं जिनमें 22 Non-AC और 4 AC बसेस शामिल हैं। इन बसों को शहर के 5 जनरल, 1 एक्सप्रेस और 1 टूरिस्ट सर्किट रूट पर चलाया जायेगा।

4 AC बसों में भी 2 बसें खास Hop-On/ Hop-Off बसें हाेंगी, जाे पर्यटकों को टूरिस्ट सर्किट रूट की सैर कराएंगी। बाकी दाे AC बसें उदयपुर से डबाेक एयरपोर्ट तक चलेंगी।

बसों के लिए रूट पहले ही तय कर लिए हैं और आरटीओ से मंजूरी भी मिल चुकी है। काेराेना संक्रमण काे देखते हुए शुरुआत में काम बसों से सुविधा शुरू की जा सकती है।

गैरतलब है की फ़िलहाल नगर निगम की ओर से शहरी क्षेत्र में 12 सिटी बसें चल रही हैं।

कार्य की प्रगति की रिपोर्ट के अनुसार स्मार्ट सिटी बस संचालन काे लेकर बस अपरेटर कंपनी के साथ एग्रीमेंट हाे चुका है और शहर में 50 से अधिक बस शेल्टर भी बन गए हैं।

बसों के लिए तय किये गए रूट में गाेवर्धन विलास सेक्टर 14 पुराना चुंगी नाका, पारस तिराहा, पटेल सर्कल, सिटी रेलवे स्टेशन, उदियापाेल, सूरजपाेल, देहलीगेट, काेर्ट चाैराहा, शास्त्री सर्कल, लेकसिटी माॅल आयड़, सुखाड़िया यूनिवर्सिटी, आयड़ संग्रहालय, ठाेकर चाैराहा, सेवाश्रम, हिरणमगरी, सेटेलाइट हाॅस्पिटल, जड़ाव नर्सरी, हाड़ा रानी सर्कल, सवीना मंडी सेक्टर 9, खेड़ा सर्कल, सुहालका भवन, सीए सर्कल, गाेवर्धन विलास सेक्टर 14 का राउंड रूट रहेगा।

इसके अलावा 45 किमी का टूरिस्ट सर्किट रूट के अंतर्गत गाेवर्धन सागर, दूधतलाई, गुलाबबाग, शहीद स्मारक टाउनहाॅल, चेतक सर्कल, फतहसागर, सज्जनगढ़, रानी राेड हाेते हुए शिल्पग्राम, सहेलियों की बाड़ी, सुखाड़िया सर्कल, आयड़ संग्रहालय, सेवाश्रम, सूरजपाेल, उदियापाेल, पारस हाेते हुए गाेवर्धन सागर तक चलेगी जिसका किराया 100 रु. रहेगा।

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अब घर-घर कचरा संग्रहण के लिए देने होंगे 20 रुपए

  • अब घर-घर कचरा संग्रहण के लिए देने होंगे 20 रुपए।
  • विवाह पंजीयन के अब 10 की जगह 50 रुपए लगेंगे।

नगर निगम की शुक्रवार को हुई बैठक में तय हुआ की अब से घर-घर कचरा संग्रहण के पैसे जनता से लिए जाएँगे। इसके लिए निगम ने 20 रुपए प्रति मकान शुल्क तय किया है। निगम का मानना है की इसके इससे लाेगाें में स्वच्छता जागरूकता आएगी।

उदयपुर नगर निगम द्वारा व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, दुकानों और होटलों से भी कचरा संग्रहण का शुल्क लेना शुरू किया जाएगा जिसकी शुल्क की दरें भी जल्द तय होंगी।

इसके अलावा विवाह पत्र जो पहले 10 रुपए में बनाया जाता था अब उसके 50 रुपए लगेंगे।

ये सभी प्रस्ताव नगर निगम बोर्ड की शुक्रवार को हुई बैठक में पास हुए।

इनके अलावा कुछ और अहम प्रस्ताव भी पास हुए।

सभी छोटे उद्योग जिनसे 10 रुपए प्रति हॉर्स पावर की दर से शुल्क वसूला जा रहा है उनसे अब 1000 रुपए प्रति वर्ष लिया जाएगा।

शहर के अंदर बने हेरिटेज भवनाें का स्वरूप बचाने और संरक्षण के लिए कमेटी बनाई जाएगी जिसमे सीनियर टाउन प्लानर, आर्किटेक्ट और तकनीकी जानकार सेवानिवृत्त अधिकारी भी होंगे।

टूरिस्ट टैक्स के रूप में 3000 पर रूम पर डे से ज्यादा रूम रेंट लेने वाली होटलों से हर बुकिंग पर 200 रुपए पर रूम, 5000 तक के 300 और 10000 या इससे महंगे कमरे की बुकिंग पर 500 रुपए टूरिस्ट टैक्स के रूप में लिया जायेगा।

फ़िलहाल बैठक में शहर को साफ़ स्वच्छ बनाने के लिए केवल सुझाव लिए गए हैं कोई निर्णय नहीं लिया गया।

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निर्माण स्वीकृति और नामांतरण प्रक्रिया होगी ऑनलाइन

नगर निगम की भवन अनुमति समिति की बैठक में लिया निर्णय

  • 500 sq. mt. तक के भूखंड पर निर्माण स्वीकृति और सभी नामांतरण की प्रक्रिया होगी ऑनलाइन।
  • 21 दिनों में नामांतरण का काम पूरा करा सकेंगे आवेदक।
  • 60 दिनों में जारी की जाएगी भवन अनुमति।

नगर निगम की भवन अनुमति समिति की गुरुवार काे हुई बैठक में तय किया की 500 वर्ग मीटर तक के भूखंड पर निर्माण स्वीकृति और सभी नामांतरण की प्रक्रिया सोमवार से ऑनलाइन की जाएगी।

500 वर्ग मीटर से छाेटे भूखंड पर निर्माण अनुमति और सभी तरह के नामांतरण के लिए आवेदन ऑनलाइन करने होंगे।

आवेदन पर किए जा सकेंगे।

http://urban.rajasthan.gov.in/content/raj/udh/nagar-nigam-udaipur/en/home.html

आवेदक 21 दिनों में नामांतरण का काम पूरा करा सकेंगे। वहीं भवन अनुमति 60 दिनों में जारी की जाएगी।

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नगर निगम का ‘अतिक्रमण हटाओ’ अभियान फिर शुरू – इन जगहों पर होगी कार्यवाही

शहर की सड़कों को चौड़ा करने के लिए शुरू किया गया नगर निगम का ‘अतिक्रमण हटाओ’ अभियान 27 दिन बंद रहने के बाद बुधवार से फिर शुरू किया गया जो मार्च 5 तक चलेगा।

निगम की कार्यवाही के बाद, शहर की सड़कें खुली-खुली नज़र आ रही हैं।

अब तक कीमतराम पेसमूल तिराहे से मार्शल चाैराहे से धानमंडी से मुख्य मार्ग से हाेते हुए देहली गेट तक कार्रवाई हो चुकी है। निगम ने व्यापारियाें काे पाबंद करते हुए दुकानाें के बाहर सड़क के किनारे रखा सामान हटवाया गया। कई जगह अवैध रूप से पड़े 8 ठेले, 25 कैरेट, लाेहे की बेंच, काउंटर जब्त किये।

हालाँकि, धानमंडी क्षेत्र में व्यापारियाें के विराेध का सामना करना पड़ा।

गैरतलब है की निगम ने जब अभियान शुरू किया था तब बिना किसी सुचना के कार्यवाही करने का तय किया गया था। मगर वार्ड पार्षदों के विरोध के चलते निगम ने कार्रवाई राेक दी थी।

अब निगम राेड मैप तैयार कर कार्रवाई कर रहा है। यह रहेगा निगम का अतिक्रमण हटाने का प्लान:

  • 18 फरवरी : शास्त्री सर्किल चौराहे से अशाेक नगर हाेते हुए दुर्गानर्सरी तक
  • 20 फरवरी : सूरजपाेल चाैराहे से सेवाश्रम चाैराहे तक
  • 24 फरवरी : सेवाश्रम चाैराहे से प्रतापनगर चाैराहे तक
  • 25 फरवरी : सेवाश्रम चाैराहे से बीएसएनएल हाेते हुए सेक्टर 6 तक
  • 26 फरवरी : देहलीगेट चाैराहे से काेर्ट चाैराहा हाेते हुए चेतक चाैराहे तक
  • 28 फरवरी : चेतक चाैराहे से आयुर्वेद चाैराहे तक
  • 2 मार्च : आयुर्वेद चाैराहे से महाकाल मंदिर हाेते हुए मल्लातलाई चाैराहे तक
  • 3 मार्च : सुखाड़िया सर्किल से फतहपुरा हाेते हुए साईफन चाैराहे तक
  • 4 मार्च : दुर्गा नर्सरी राेड से यूनिवर्सिटी राेड हाेते हुए यूनिवर्सिटी तक
  • 5 मार्च : दुर्गा नर्सरी राेड से आयड़ राेड़ हाेते हुए बाेहरा गणेश मंदिर तक
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उदयपुर को स्वच्छ बनाने के लिए निगम कर रहा है यह प्रयास

नगर निगम की बुधवार को हुई बैठक में शहर को साफ़-सुथरा बनाने के लिए कई मुद्दों पर चर्चा हुई और सुझाव भी रखे गए। उप-महापौर एवं स्वास्थ समिति अध्यक्ष पारस सिंघवी की अध्यक्षता में हुई इस बैठें में सभी समिति अध्यक्षों ने अपने-अपने विचार प्रस्तुत किये।

स्वच्छ उदयपुर के लिए निम्न प्रस्तावों को लिया गया:

  • शहर के छोटी व तंग गलियों और ऊँची घाटियों वाले इलाक़ों से में कचरा संग्रन के लिए 500 हाथ-गाड़िया लगाई जायेगी।
  • नगर निगम की सीमा के बाहर कोई भी सफाईकर्मी अपनी सेवाएं नहीं देगा।
  • वार्ड पार्षद और जमादार मिल कर तय करेंगें की वार्ड में कितने सफाईकर्मियों की ज़रूरत है।
  • शहर के होटलों और रेस्टोरेंट्स की नयी सूची बनाई जाएगी और लाइसेंस की जांच की जाएगी।
  • जो ज़मीनें अभी खली पड़ी हैं उसकी सफाई निगम करवाएगा और नियमन के बाद भूखंडधारी से पैसे लिए जायेंगे।
  • जो कर्मचारी लगन और ईमानदारी से काम कर सम्बंधित इलाक़े की सफ़ाई की सुचारु व्यवस्था रखेगा, उसे एक लाख रुपए से पुरस्कृत किया जाएगा।
  • कचरा संग्रहण के वहां चालक वर्दी में कचरा संग्रहण के लिए जायेंगे।
  • सार्वजनिक शौचालयों की सफाई पर नियमित कार्य किया जायेगा।

उदयपुर को स्वच्छ बनाने के लिए नगर निगम के इन प्रयासों में हम भी अपना योगदान दे सकतें हैं।

अपने इलाक़े में काम करने वाले सफ़ाईकर्मी को प्रोत्साहित करें ताकी वो अपना काम मेहनत और लगन से करे और इनाम का हक़दार बने साथ ही हमारा शहर भी साफ़ बने।

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No warning or prevention signs at tourists spots: Authorities taking no action!

Udaipur being the most preferred tourist destination particularly in the monsoon season is attracting large number of people all around the world. Not only the tourists but locals also frequently visit lakes and other beautiful spots in large numbers during monsoons. However, the biggest issue is that, there are no restrictions on taking pictures and selfies on these sites, which sometimes becomes a reason of unwanted accidents.

Observing the picturesque beauty of lakes, valleys and other such picnic spots, people generally forget to notice danger zones and blind spots which has ended lives of many people in the past. Also, the increasing craze of photography and selfies is the major reason behind such unacceptable accidents.

risky zones

In a meeting held in the month of March, between Tourism Development board and UIT & Nagar Nigam, it was decided to place warning boards near lakes, hilly regions and tourist places. However, till date no action has been taken in this regard. Observing the increasing number of selfie-deaths, a meeting by tourism department will be held on Thursday at 4:30 p.m. to take more stringent actions.

Administration and people must take collective action to prevent such mishaps in  future. Authorities must appoint guards at highly risky areas, together with placing warning signs . Moreover, people must show responsive attitude while visiting such places.