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निगम का करोड़ो का बजट: क्या अब बदलेगी उदयपुर की दशा?

अगर उदयपुर का नाम दिमाग में आते ही सौंदर्य से पहले टूटी सड़कें आती है तो हां उदयपुरवासी हो तुम !

सालों से “अंडर कंस्ट्रक्शन” चल रहे उदयपुर को शायद अब राहत मिल सकती है। नगर निगम बोर्ड बजट की बैठक तीसरी बार हुई। बैठक में पक्ष और विपक्ष दोनों ने एक ही सुर में शहर के विकास के लिए बोर्ड के सामने कई मुद्दे उठाए। इसी बीच निगम द्वारा 2022-23 सत्र के विकास कार्यों के लिए 298.03 करोड़ का बजट पास किया गया।

जिस तरह की हालत है हमारे शहर की सड़कों की उस पर निगम को शायद इस बार तरस आ गया। इसीलिए इस बार सड़को के सुधार के लिए तीन गुना ज़्यादा राशि रखी गई है। इसके अलावा ई-वाहनों को प्रोत्साहित करने के लिए अनुदान देने का भी प्रस्ताव रखा गया। जहाँ देहलीगेट फ्लाईओवर के निर्णय पर एलिवेटेड रोड की चर्चा हुई वहीँ विधायक फण्ड से ज़िपलाइन डालने के लिए राशि की स्वीकृति भी मिली है।

आइए विस्तार से जाने की कितनी है समस्याएं और किन पर होगा काम।

समस्याएं

  • सभी वार्डों में सड़के टूटी-फूटी है और अधिकांश जगह पेयजल की समस्या है।
  • कई वार्ड यूआईटी सिमा क्षेत्र में है तो कुछ निगम के क्षेत्र में और दोनों के क्षेत्र में होने से कई जगहों पर विकास कार्य नहीं हो रहा, हालत जैसी की तैसी ही है।
  • कचरे के कंटेनर हटने से सड़क पर कचरा पड़ा रहता है।
  • स्मार्ट सिटी के कार्यों में गति ना होने और कार्यों में मॉनिटरिंग ना होने से अंदरुनी शहर में परेशानियां सिर्फ बढ़ ही रही हैं।
  • हिरणमगरी स्मार्ट रोड में भी कई ख़ामियाँ है।
  • कई इलाकों में सामुदायिक भवनों को सुधरने की अत्यंत आवश्यकता है।
  • जगह-जगह अतिक्रमण है ।
  • बोहरा गणेशजी जैसी कई जगहों पर चौड़ी सड़क की आवश्यकता है।
  • औद्योगिक क्षेत्रों में सिटी बसें नहीं चल रही।
  • कई क्षेत्रों में वनवे से परेशान है आम लोग।
  • कच्ची बस्तियों और गरीब जनता की पट्टे की दिक्कत।
  • लगभग हर वार्ड में सफाई कर्मी गायब रहते है और कचरा संग्रहण की व्यवस्था भी ठीक नहीं है।

यह तो कुछ गिनी-चुनी समस्याएं हैं जो की पार्षदों द्वारा गिनवाई गई है। ना जाने कब से आम जनता इन परिस्थितयों से शतिग्रस्त है। इसी को देखते हुए इतने बड़े बजट की स्वीकृति मिली है। अब देखते है की इसके तहत किन-किन समस्याओं का समाधान होता है।

समाधान कुछ इस प्रकार होंगे:

  • सड़कों के लिए 46 करोड़: शहर की क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत के लिए निगम ने इस बार 46 करोड़ बजट का प्रावधान रखा है। इसमें महापौर द्वारा आश्वासन दिया गया है की सभी वार्डों में जल्द ही सड़कों की हालत सुधरेगी जिसमे से अधिकांश के टेंडर हो चुके है।
  • दूधतलाई पर ज़िपलाइन व पार्किंग: दूधतलाई पर ज़िपलाइन बनाने की स्वीकृति मिल चुकी है और साथ ही उसके पीछे ज़मीन को साफ़ कर वहां पार्किंग स्थल बनाने का भी सुझाव दिया गया है।
  • ई-वाहनों पर अनुदान: शहर में ई-वाहनों को बढ़ावा देने के लिए नगर निगम दुपहिया वाहन ख़रीद पर दो हज़ार व ई-रिक्शा खरीदने पर 4 हज़ार रुपये का भुगतान करेगा। इसके लिए बजट में 50 लाख रुपये का अलग से प्रावधान रखा गया है।
  • देहलीगेट फ्लाईओवर की जगह एलिवेटेड रोड का प्रस्ताव: पहले देहलीगेट पर फ्लाईओवर बनने का प्रस्ताव सामने आ रहा था लेकिन बोर्ड की बैठक में उदियापोल से कलेक्टर के बंगले तक एक एलिवेटेड रोड का प्रस्ताव रखा गया है। निगम को इसके लिए कोर्ट से अनुमति लेनी होगी और मज़बूती से अपना पक्ष भी रखना होगा।
  • जनसहभागिता योजना आरम्भ: आमजन व वार्ड की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए निगम ने पहली बार जनसहभागिता योजना प्रारम्भ की है। इसके तहत किसी संस्था द्वारा जनहित में कार्य विशेष के लिए 30 प्रतिशत अंशदान देने व 70 प्रतिशत व्यय निगम की ओर से करवाया जाएगा।
  • पार्षद करवा सकेंगे 2 लाख तक के काम: पार्षद अपने वार्डों में दो लाख रुपये तक विधायक फण्ड से काम करवा सकेंगे। इसके लिए नियमों के तहत जो काम आएँगे उसी के लिए ही स्वीकृति दी जाएगी।

अब आने वाले 2022-23 सत्र में इन सभी सुधार और विकास कार्यों का इंतज़ार रहेगा जिससे समस्त उदयपुरवासियों का जीवन आसान होगा और यहाँ आने वाले टूरिस्ट्स का भी अनुभव अच्छे सन्दर्भ में यादगार होगा।

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सीवरेज का पानी रिसकर झील में घुल रहा है; 18 साल से कहाँ है प्रशासन?

झीलों का हाल है बेहाल!

झीलों का शहर कहते है उदयपुर को; झीलों के साथ बसा एक शहर। पर समय के साथ उन झीलों का जब हमे ध्यान रखना चाहिए था तब हमने रखा ही नहीं। वैसे हमने भी झीलों को गन्दा करने में कोई कसर नहीं छोड़ा लेकिन अब प्रशासन की लापरवाही की वजह से झीलों में दूषित सीवेरज का पानी जा रहा है और प्रशासन को सुध ही नहीं है।

नई पुलिया से अंबावगढ़ बस्ती तक मेनहोल से निकलकर सीवरेज का पानी सड़क पर फैल रहा है और यही पानी दीवारों से रिसकर झील में भी मिल रहा है। नई पुलिया के पास स्थित मेनहोल को निगम के कर्मचारियों ने खुला ही छोड़ रखा है। अब इसे लोग भराव डालकर पाट रहे हैं। ऐसे ही चलता रहा तो पूरा मेनहाेल जाम हो जाएगा और इससे परेशानी और ज़्यादा बढ़ सकती है।

जानिए स्थानीय लोगों का हाल

स्थानीय लाेगाें का कहना है कि यहां वर्ष 2004 में सीवरेज लाइन डाली गई थी। तब से यहां आए दिन पानी भरता रहता है। इसके अलावा सीवर लाइन में लीकेज के कारन झील की दीवाराें से भी कई जगह से दूषित पानी रिसकर झील में जा रहा है। क्षेत्रवासी और झील प्रेमी इस बारे में कई बार निगम से शिकायत भी कर चुके हैं लेकिन फिर भी इसका कोई हल नहीं निकला है।

स्थानीय लोगो का यह भी कहना है की बस्ती में दाे जगह सीवरेज की लाइन डली हुई है और प्लांट नेचुरल हाेटल के यहां लगा हुआ है। ऐसे में प्लांट से पहले कचरे काे राेकने के लिए जालियां भी लगाई गई हैं। लेकिन अमूमन इन जालियों में प्लास्टिक का कचरा फंस जाता है, जिसकी सफाई भी समय पर नहीं होती है। अब इससे होता यह है की लाइन जाम हो जाती है और पानी सड़क पर फैलने लगता है।

जिस दिन क्षेत्र में जलापूर्ति हाेती है उस दिन परेशानी और ज़्यादा बढ़ जाती है। पानी फैलने से रज़ा चाैक में पानी इक्कठा होने की वजह से छाेटा सा तालाब ही बन जाता है।

पहले भी हुई है कोशिश इस समस्या को दूर करने की

2018 में इस मुसीबत से छुटकारा पाने के लिए कलेक्टर ने 28 पॉइंट चिह्नित कर कमेटी भी बनाई थी मगर उसका भी कोई निष्कर्ष नहीं निकला और काम भी नहीं हुआ।

अब स्मार्ट सिटी संभालेगा कार्यभार

अब नई पुलिया से अंबावगढ़ बस्ती वाली लाइन काे स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंदर ले लिया गया है। स्मार्ट सिटी अधिकारीयों का कहना है की इसका प्रपोज़ल भी तैयार कर लिया गया है। इस क्षेत्र में काम हाेने पर पूरी लाइन नई डाली जाएगी।

आशा है यह कार्य जो की पिछले 18 वर्ष से पूरा नहीं हुआ जल्द से जल्द पूरा हो और शहर वासियों के साथ हमारी झीलों को भी इस दूषित जल से राहत मिले।

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उदयपुर की 200 साल पुरानी चांदपोल पुलिया, खतरे में!

जहाँ हमारा शहर एक तरह से धरोहरों का शहर कहलाता है वहीँ हमारी लापरवाही कहें या प्रशासन की पर आज वही दारोहरें खतरे में है। रोज़ हज़ारों वाहनों का भार लेने वाली 200 साल पुरानी चांदपोल पुलिया की उम्र अब आधी होने का खतरा बना हुआ है।

दरअसल, पुलिया पर पीपल और बरगद के कई पेड़ उगे हुए हैं, जिनकी जड़े अब फेल रही है और अब ये पेड़ पुलिया को नुकसान पहुंचा सकते हैं। अब इस मामले में ज़िम्मेदारों से पूछा गया की आखिर क्या वजह है की इस ऐतिहासिक पुलिया पर ध्यान नहीं दिया जा रहा, तो कुछ देर जवाब देने से बचते रहने के बाद उनका कहना था की स्मार्ट-सिटी के प्रोजेक्ट में पुलिया के रेनोवेशन का काम नहीं है, सिर्फ दरवाजे को सुधारना और रंगरोगन करना था, जो किया गया है।

अब हम सब जानते है की ओल्ड सिटी में पिछले 5 सालों से स्मार्ट सिटी का कार्य चल रहा है, तब भी किसी का भी ध्यान इस पुलिया पर नहीं गया जो ओल्ड सिटी के दो हिस्सों को जोड़ती है। इसी पर एक्सपर्ट्स का कहना है की अगर पीपल का पेड़ उगा है और उसकी जड़े फैलने लगी है तो पुलिया की उम्र अ‌ाधी रह जाएगी, क्योंकि पीपल का पेड़ कभी सूखता नहीं है और इसकी जड़े लगातार बढ़ती रहती है। ऐसे में कह नहीं सकते कि पुल काे कितना नुकसान पहुंचा है। पुल पुराना है और पत्थरों से बना है।

इसका एक इलाज यह हो सकता है की पुल की जल्द से जल्द मरम्मत की जाए। ऐसे में स्पेशल टीम लगाकर ड्रिल करके पेड़ और जड़ों की सफाई करनी होगी और साथ ही इस पर निगरानी भी रखनी होगी।

आज आई खबर के अनुसार निगम आयुक्त ने शहर की सभी हेरिटेज पुलियाओं और हेरिटेज भवनों की मरम्मत के आदेश दिए है। जिसमे अब मीडिया द्वारा यह मुद्दा उठाने के बाद चांदपोल पुलिया की जांच होगी।

रोज़ाना यहाँ रहने वाले लोग, व्यापारी और पर्यटक यहाँ से गुज़रते है। ऐसे में यह पुलिया कब तक सबका भार सह पायेगी, कुछ नहीं कहा जा सकता। इसीलिए इस पर जल्द से जल्द कार्यवाई होनी चाहिए।

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No warning or prevention signs at tourists spots: Authorities taking no action!

Udaipur being the most preferred tourist destination particularly in the monsoon season is attracting large number of people all around the world. Not only the tourists but locals also frequently visit lakes and other beautiful spots in large numbers during monsoons. However, the biggest issue is that, there are no restrictions on taking pictures and selfies on these sites, which sometimes becomes a reason of unwanted accidents.

Observing the picturesque beauty of lakes, valleys and other such picnic spots, people generally forget to notice danger zones and blind spots which has ended lives of many people in the past. Also, the increasing craze of photography and selfies is the major reason behind such unacceptable accidents.

risky zones

In a meeting held in the month of March, between Tourism Development board and UIT & Nagar Nigam, it was decided to place warning boards near lakes, hilly regions and tourist places. However, till date no action has been taken in this regard. Observing the increasing number of selfie-deaths, a meeting by tourism department will be held on Thursday at 4:30 p.m. to take more stringent actions.

Administration and people must take collective action to prevent such mishaps in  future. Authorities must appoint guards at highly risky areas, together with placing warning signs . Moreover, people must show responsive attitude while visiting such places.

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No rains No strong wind flow: Still increasing cases of falling electric poles have become a major issue

slashed power pole

Udaipur,Even no heavy rainfall or strong wind flow has been observed during the past two weeks, still there are increasing cases of falling of power poles in Udaipur. Recently the falling of a power pole in Badgaon Panchayat, took a toll on lives of two innocent kids. Even after the mishap, local authorities and Nagar Nigam are taking no serious actions to avoid further damages.

A second similar case has been observed on Saturday morning when an electric pole fell on the ground in Dhar Panchayat region. The pole also had a small transformer affixed on it and luckily there were no vehicles or individuals standing near it, otherwise it could have done enormous damage to life and property. As per one of the witnesses “the pole suddenly started shuddering, observing which the people nearby distanced themselves from the pole and in a few seconds the pole flattened down on the road. After, observing the increasing number of such incidences a major question has been raised upon the work of Nagar Nigam. In such case people should remain alert and should not stand near any kind of poles, as even there are chances of getting electrocuting.

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Anjali becomes New Nagar Nigam Commissioner and Ravindra Shrimali Removed from Chairman of UIT

The state government of Rajasthan transferred 3 divisional commissioners, one collector, 21 IAS officers and 16 officers of Indian Police service at 12 midnight on Wednesday. In the 20 days of the formation of a new government in the state, 129 IAS has been transferred. This is the fourth transfer list of IAS and second transfer list of IPS.

Anjali Rajoria

Ajmer SDO Anjali Rajoria will now be commissioner in Udaipur Municipal Corporation, while Pankaj Kumar Singh, CEO of Chittorgarh Zilla Parishad has been made Managing Director of RSMM. Kota Divisional Commissioner Kailash Chand Verma will be the Divisional Commissioner of Jaipur. Municipal Commissioner Municipal Corporation has appointed Vijaypal Singh as Commissioner.

Principal Secretary Rajat Kumar Mishra has given additional charge of UDH. Shyamsingh Rajpurohit will be the new collector in Pratapgarh. In the IPS transfer list, DG NRK Reddy has been given the responsibility of DG Jail. Dr. Bhupinder Singh has been imposed as DG in ATS and SOG from DG jail.

Whereas on the other hand, later in the month of December 2018, 8 UIT Chairmen were removed including that of UIT Udaipur, Ravindra Shrimali. As per the orders released on 31st December 2018, UIT Chairman of Udaipur, Kota, Sawai Madhopur, Jaisalmer, Bhilwara, Chittorgarh, Sikar, and Sri Ganganagar was removed.

Ravindra Shirmali

Until the next orders, this additional responsibility will be the taken by their respective collectors.

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What’s the Difference between Nagar Nigam and UIT in Udaipur?

Confused about what is UIT and Nagar Nigam and what is the difference between both of these government organizations? Then this article is entirely for you. This article explains the meaning, roles, and difference between both the organizations.

Nagar Nigam

What is Nagar Nigam?

Nagar Nigam is called by different names such as the municipal corporation, City Corporation, Mahanagar Palika, Mahanagar Nigam, or Nagara Sabha. It is a local government body in India that administers urban areas with a population of more than a million. Whereas the urban local body that administers with more than 15,000 and less than 25,000 inhabitants is classified as a “Nagar panchayat” or “Nagar Parishad”. Nagar Nigam works for providing necessary community services such as health care, educational institution, housing, transport etc. by collecting property tax and fixed grant from the State Government.

Nagar Nigam is headed by the Mayor who in Udaipur is Mr. Chandrasingh Kothari, elected in the year 2014. And the tenure of the same is five years. In some states and Union Territories, the role of Mayor is often ceremonial as the executive powers are with the Municipal Commissioner who is Mr. Siddharth Sihag in Udaipur.

Source: Patrika

Roles and responsibilities

  • Urban planning including town planning.
  • Regulation of land-use and construction of buildings.
  • Planning for economic and social development.
  • Water supply for domestic, industrial and commercial purposes.
  • Public health, sanitation conservancy, and solid waste management.
  • Fire services
  • Urban forestry, protection of the environment and promotion of ecological aspects.
  • Safeguarding the interests of weaker sections of society, including the handicapped and mentally retarded.
  • Slum improvement and up-gradation.
  • Urban poverty alleviation.
  • Provision of urban amenities and facilities such as parks, gardens, playgrounds.
  • Promotion of cultural, educational and aesthetic aspects.
  • Burials and burial grounds – cremations, cremation grounds, and electric crematoriums.
  • Cattle pounds – prevention of cruelty to animals.
  • Vital statistics including registration of births and deaths.
  • Public amenities including street lighting, parking lots, bus stops and public conveniences.
  • Regulation of slaughter houses and tanneries.

Wondering what are the major development plans of Nagar Nigam in Udaipur? Click here.

Organizational structure

Website – Udaipur Municipal Corporation

Address of the Nagar Nigam Office – 21, Nagar Palika Link Rd, Palika Bazar, Townhall, Shakti Nagar, Udaipur

 

Urban Improvement Trust (UIT)

What is Urban Improvement trust?

Urban Improvement Trust works on the Urban Improvement trust act. These improvement trusts were created and entrusted with town improvement schemes, town expansion schemes and provision of essential services, amenities, etc.

Source: udaipurtimes

Roles and responsibility

  • Nazul lands (The land situated beyond two miles of the Municipal limits, which has escheated to the State Government and has not already been appropriated by the State Government for any purpose.)
  • Transfer of private street or square to Trust
  • Provisions of a drain or water work to replace another situated on a land.
  • Has the power to turn or close a street or square.
  • To make surveys or contribute towards them
  • Has the power to purchase or lease by agreement
  • Has the power to restrict any improvement in urban areas
  • Restriction on change of use of land and power of State Government to allow the change in use of land.
  • Power to prevent or demolish a building.
  • Can order to demolish a building.
  • Power to stop improper use of land or buildings in urban areas
  • Power to stop building operations
  • Encroachment or obstruction on public land.

Want to know about the projects of UIT? Click here.

 

Organizational structure

Source: UIT Udaipur

Website – Urban Improvement Trust, Udaipur

Address of the UIT Office – UIT Circle, Moti Magri road, Udaipur

 

Difference between UIT and Nagar Nigam

The functions of both of these government bodies are distinctly the same, but there are several factors and points that draw a line between both of these organizations.

 

Criteria

 

Nagar Nigam

 

UIT

 

Mode of Selection (Members)

 

Elective

 

Selective

 

Periphery of development

 

Mostly functions within the City

 

Mostly functions in the Outer regions of the city

 

 

Functions

 

Town planning, Road Constructions, Development of Basic amenities

Maintenance of specific areas such as parks, parking, etc., Provision of important services such as water supply, fire services, etc.
 

Revenue

 

Taxes such as property tax and receives a fixed grant from State Government

Doesn’t receive Grants from the government, collect revenue by lease, application for land conversions, etc.
Constitution A part of the constitution Not a part of the constitution

 

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