Categories
News

प्लाज्मा थैरेपी के लिए आरएनटी मेडिकल कॉलेज में बन रहीं है दानदाताओं की डिरेक्टरी

शहर के आर एन टी मेडिकल कॉलेज ने कोरोना के उपचार के लिए प्लाज्मा थैरेपी को अपनाने का प्रयास शुरू किया है। इसके अंतर्गत, ठीक हुए मरीज़ों के प्लाज्मा से बेहद गंभीर मरीज़ों ट्रीटमेंट किया जा सकेगा।

आरएनटी इसके लिए प्लाज्मा डोनर्स की डायरेक्टरी तैयार कर रहा है। इसमें ऐसे मरीज़ जो पॉजिटिव से नेगेटिव हो चुके हैं और अपना प्लाज्मा डोनेट करने के लिए तैयार है उनके नाम जोड़े जाएंगे। आरएनटी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. लाखन पोसवाल ने बताया कि राज्य सरकार की मंजूरी पर ब्लड बैंक में प्लाज्मा थैरेपी की पूरी तैयारी कर ली गई है।

आरएनटी के इलाज से स्वस्थ होकर लौटे उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, चित्तौडगढ़ सहित संभागभर के प्लाज्मा डोनर्स को यहां लाने और वापस छोड़ने की व्यवस्था मेडिकल कॉलेज प्रशासन करेगा। प्लाज्मा डोनर ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन के डॉ. भागचंद के मोबाइल नंबर +91-9982839503 पर सीधा संपर्क कर सकते हैं।

कौन कर सकता हैं प्लाज्मा डोनेट?

प्लाज्मा डोनेट करने के लिए डोनर की उम्र 18 से 55 साल के बीच होनी चाहिए।
डोनर का वजन भी 55 किग्रा से ज्यादा होना चाहिए।
प्लाज्मा डोनर्स में संक्रमण के दौरान कम से कम बुखार-खांसी के लक्षण होने चाहिए।
स्वस्थ होने के 28 दिन बाद से 4 माह तक प्लाज्मा डोनेट किया जा सकता है।

क्या होती हैं प्लाज्मा थैरेपी?

इंसान का खून मुख्यत चार चीज़ों से बनता हैं – रेड ब्लड सेल, व्हाइट ब्लड सेल, प्लेटलेट्स और प्लाज्मा।

प्लाज्मा खून का तरल हिस्सा होता है जिसके जरिए एंटीबॉडी शरीर में भ्रमण करते हैं। ये एंटीबॉडी संक्रमित मरीज के खून में मिलकर रोग से लड़ने में मदद करती हैं। कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए यह थैरेपी काफी कारगर साबित हो रही है।

प्लाज्मा थैरेपी के दौरान कोरोना से पूरी तरह ठीक हुए लोगों के खून में एंटीबॉडीज बन जाती हैं, जो उसे संक्रमण को मात देने में मदद करती हैं। प्लाज्मा थैरेपी में यही एंटीबॉडीज प्लाज्मा डोनर के खून से निकालकर संक्रमित मरीज के शरीर में डाला जाता है। इसके लिए डोनर और संक्रमित का ब्लड ग्रुप एक होना चाहिए।

एक डोनर के खून से निकाले गए प्लाज्मा से दो मरीजों का ट्रीटमेंट किया जा सकता है। ट्रीटमेंट के दौरान एक बार में 200 mg प्लाज्मा चढ़ाया जाता हैं। डोनर से प्लाज्मा लेने के बाद उसे माइनस 60 डिग्री पर 1 साल तक स्टोर किया जा सकता है।

कोरोना से ठीक हुआ मरीज 28 दिन के भीतर प्लाज्मा डोनर बन सकता है।