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शहर में लगने वाले इलेक्ट्रिक चार्ज प्लग बोर्ड से फ़ोन नहीं, ई-रिक्शा चार्ज होंगे।

हमारा नगर निगम हम लोगों के लिए कितना कुछ सोचता है। कुछ महीनों पहले वाल सिटी में बढ़ते प्रदुषण और भीड़-भाड़ को कम करने के लिए कुछ स्थानों पर अन्य राज्यों की कारों का प्रवेश निषेध कर दिया था। उसके बाद बीच में ये भी प्रयोग किया कि ‘मुंह काला कर दे ऐसा धुंआ छोड़ने वाले ऑटो’ की जगह ई-रिक्शा को चलाया गया। हालाँकि दोनों ही प्रयोग बुरी तरह से नाकाम साबित हुए, और इस कदर नाकाम कि अन्य राज्यों से आने वाली कारों के प्रवेश को निषेध करने वाले प्रयोग को तो बोरी में बंद करना पड़ा। दूसरा प्रयोग भी एक तरह से फ़ैल ही साबित हुआ। शुरू में 80 ई-रिक्शा चलने तो लगे लेकिन अब उनकी संख्या घटकर मात्र 40 रह गई है। बिल्कुल आधी।

नगर निगम द्वारा अब फिर से कोशिश की जा रही है कि ई-रिक्शा की संख्या में बढ़ोतरी की जाए। ताकि प्रदुषण के लेवल में कमी लाई जा सके। इसके लिए निगम न सिर्फ ई-रिक्शा की संख्या में इजाफ़ा करने की सोच रहा है इसके साथ ही शहर में कुछ स्थान ऐसे चुन रहा है जहाँ इन ई-रिक्शा को चार्ज भी किया जा सके। इनके लिए जगह-जगह इलेक्ट्रिक चार्ज प्लग बोर्ड लगाए जाएंगे। ऐसा दिल्ली और कोलकाता में पहले ही किया जा चूका है।

e rickshaw story
Source: IndiaToday

अच्छी बात है कि निगम हम शहरवासीयों के लिए इतना सोच रहा है और देखा जाए तो सोचना भी चाहिए। लेकिन अब बात ये है कि क्या हम इस डेवलपमेंट के लिए तैयार हैं? और उससे भी पहले क्या हम इस डेवलपमेंट के हक़दार हैं? बात हर्ट होने वाली है लेकिन सच भी है। जब 80 ई-रिक्शा शहर में चल रहे थे तब हम में से (मैं, आप, हम सभी) कितने लोगों ने इधर-उधर जाने के लिए इन ई-रिक्शों का उपयोग किया? सच कहा जाए तो न के बराबर। हमारा इन ई-रिक्शा में नहीं बैठना भी इनकी संख्या घटने का एक कारण रहा है।

e-rickshaws
Source: Hindustan Times

कैसे?

वो ऐसे… जो 40 ई-रिक्शा बंद हुए हैं उनमें से कई इस वजह से बंद हुए है क्योंकि वो समय से अपना लोन नहीं चूका पाए, और लोन क्यों नहीं चूका पाए क्योंकि उन रिक्शा वालों की उतनी कमाई हुई नहीं जितनी वो लोग उम्मीद लगाए बैठे थे। इस वजह से बैंक ने उनके ई-रिक्शा वापस ले लिए और कुछ ने बेच भी दिए।

इसलिए हमें ये देखना और सोचना होगा कि हम अपनी तरफ से शहर के लिए कितना कुछ कर पाते है! नगर निगम तो हर दिन नयी-नयी योजनाएं लाता ही रहेगा लेकिन हम खुद किस तरह से निगम की मदद कर पाएँगे या यूँ कहे अपने खुद के शहर की हवा-पानी को साफ़ रखने में अपना योगदान दे सकते है।

erikshaw
डीज़ल/CNG इंजन ऑटो या इलेक्ट्रिक ऑटो
ख़ुद तय करें!
Source: The Financial Express

बात है तो सोचने वाली…बाकि कमेंट बॉक्स में आप लोगों के विचारों का स्वागत है।

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Unluckily! Udaipur is in the list of World’s Most Polluted Cities.

Udaipur Amongst World’s Most Polluted Cities

By the World Health Organization’s (WHO) urban air quality database released on Thursday, Udaipur has been positioned as the 59th most contaminated city on the planet.

Four different places from Rajasthan, namely, Jodhpur (30), Jaipur (33), Kota(58) and Alwar(61) other than Udaipur; have likewise been included amongst the main 100 polluted cities on the planet as far as air-quality. These five urban communities are additionally amongst India’s main 25 most polluted cities.

Udaipur Air Pollution
via: intoday.in

98% of urban areas in low-and center pay nations with more than 1,00,000 tenants don’t meet WHO air quality rules; states the most recent report.

The rankings depend on ground estimations of yearly mean groupings of particulate matter (PM 10 and PM 2.5). Than PM 10, air contamination of PM 2.5 is connected with more genuine health implications. PM 2.5 better particulate matter causes more noteworthy harm to the respiratory framework than coarser PM 10. The essential source of data incorporates official reporting from nations to WHO, and authority national and sub-national reports and sites containing estimations of PM10 or PM2.5.

As urban air quality decays, the danger of stroke, coronary illness, lung malignancy, and constant and intense respiratory ailments including asthma, increments for the general population who live in them.

Says Dr Flavia Bustreo, WHO Assistant-Director General, Family, Women and Children’s Health, “Air pollution is a major cause of disease and death. It is good news that more cities are stepping up to monitor air quality, so when they take actions to improve it they have a benchmark. When dirty air blankets our cities the most vulnerable urban populations—the youngest, oldest and poorest—are the most impacted.”

Wish somebody in the organization pays heed so we have a solid city alongside the smart city. May be its time for “odd-even” vehicles in Udaipur as well! A more tight control on close-by industrial units may likewise be required!

 

Article reference: UdaipurTimes & HindustanTimes | TimesOfIndia

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कोई तो ध्यान दो इधर !! – The Dirty Pictures

Ugly state of Lake Pichola near Hotel Taj Lake Palace

दुनियाभर के पर्यटक उदयपुर क्यों आते है ?? जवाब आसान है. यूँ तो बहुत कुछ है उदयपुर में देखने, महसूस करने के लिए पर मुख्यतः यहाँ की झीलें निहारने के लिए विदेशी पर्यटक और हमारे अपने देशवासी भी बार बार उदयपुर का रुख करते है.  किन्तु आज अगर झीलों की दशा पर गौर करें तो पाएंगे कि शायद हम लोग हमारी विरासत संभाल नहीं पा रहे. मेवाड़ के महाराणाओ ने भी नहीं सोचा होगा कि उनके सपनो की कालांतर में हकीकत कुछ और होगी. अगर आप हमारी बात से इत्तेफाक नहीं रखते तो चलिए आज आपको शहर की झीलों का भ्रमण करा ही देते है.
शुरुआत करते हैं फतहसागर से. मुम्बईया बाजार में आपका स्वागत है.  आप आराम से किनारे पर बैठिये. ब्रेड पकोडे का आनंद लीजिए.. यहाँ की कुल्हड़ काफी का स्वाद स्वतः मुह में पानी ला देता है.  पर गलती से भी नीचे  झील में झाँकने की भूल मत कीजिये. आपको शहर की खूबसूरती पर पहला पैबंद नज़र आ जायेगा. जी हाँ.. इतनी गन्दगी.. पानी में इतनी काई. न तो नगर परिषद की टीम यहाँ नज़र आती है न ही झील हितैषी मंच.! वैसे आप भी कम नहीं है.. याद कीजिये, कितनी बार काफी गटकने के बाद आपने कुल्हड़ या थर्मोकोल गिलास कचरा  पात्र में डाला.. न कि झील में.. “अजी कुल्हड़ तो मिट्टी का है, पानी में मिल जायेगा...” बेहूदा जवाब नहीं है ये? आगे बढ़कर फतहसागर के ओवरफ्लो गेट को तो मत ही देखिएगा. यहाँ गन्दगी चरम पर है.

dirty lake fatehsagar
पिछोला घूमे है कभी ? सच्ची !! चलिए एक बार फिर पिछोला की परिक्रमा करते है . कितना खूबसूरत दरवाज़ा है. नाम चांदपोल. वाह ! बेहतरीन पुल. पर गलती से भी चांदपोल के ऊपर से गुज़रते वक्त दायें-बाएं पिछोला दर्शन मत कीजियेगा.. आपको मेरी कसम. अब मेरी कसम तोड़कर देख ही लिया तो थोडा दूर लेक पेलेस को देखकर अपनी शहर की खूबसूरती पर मुस्कुरा भर लीजिए, पुल से एकदम नीचे या यहाँ-वहाँ बिलकुल नहीं देखना.. वर्ना पड़ोस की मीरा काकी, शोभा भुआ घर के तमाम कपडे-लत्ते धोते वहीँ  मिल जायेगी. आप उनको पहचान लोगे, मुझे पता है. पर वो आपको देखकर भी अनदेखा कर देगी..! जैसे आपको जानती ही नहीं.  चलिए उनको कपडे धोने दीजिए. आप तब तक पानी पर तैर रही हरी हरी काई और जलकुम्भी को निहारिए.

Lake Pichola

lake Pichola
झीलों के शहर की तीसरी प्रमुख झील स्वरुप सागर की तो बात ही मत कीजिये. पाल के नीचे लोहा बाजार में जितना कूड़ा-करकट न होगा,उतना तो झील में आपको यूँ ही देखने को मिल जायेगा. याद आया! वो मंज़र..जब झीलें भर गयी थी और इसी स्वरुप सागर के काले किवाडों से झर झर बहता सफ़ेद झक पानी देखा था. पर फ़िलहाल पानी मेरी आँखों में आ गया.. न न झील के हालात को देखकर नहीं, पास ही में एक मोटर साइकिल  रिपेयरिंग की दूकान के बाहर से उठते धुएं ने मेरी आँखों से पानी बहा ही दिया.

Lake Swaroopsagar

Photo By Kailash Tak

कुम्हारिया तालाब  और रंग सागर. क्या … मैंने ठीक से सुना नहीं…आपको नहीं पता कि ये कहाँ है ! अजी तो देर किस बात की. अम्बा माता के दर्शन करने के पश्चात वहीँ  अम्बा पोल से  अंदरूनी शहर में प्रवेश करते है (शादी की भीड़ को चीरकर अगर पहुच गए तो) तो पोल के दोनों तरह जो  दिखाई दे रहा  है, वो दरअसल झील है. ओह..याद आ गया आपको. “पर पानी कहाँ है. !” कसम है आपको भैरूजी बावजी की. ऐसा प्रश्न मत पूछिए. ये झील ही है पर देखने में झील कम और “पोलो ग्राउंड ” ज्यादा लगते है. वजह साफ़, पानी कम है और जलकुम्भी ज्यादा. चलिए अच्छा है. अतीत मे