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कितना जानते है आप उदयपुर की इस ऐतिहासिक 450 साल पुरानी रथ यात्रा के बारे में ?

उदयपुर शहर और इसके आस पास ऐसे तो काफी धार्मिक स्थल प्रसिद्ध है लेकिन शहर के बीचों-बीच स्थित प्राचीन जगन्नाथ मंदिर या जगदीश मंदिर की माया अद्भुत और निराली है.

जगदीश मंदिर का निर्माण सन् 1652 में तत्कालीन मेवाड़ के महाराणा जगतसिंह प्रथम ने करवाया था. मंदिर में श्री जगदीश स्वामी जी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के बाद इसी मंदिर से भगवान जगदीश स्वामी की जगन्नाथ रथ यात्रा तत्कालीन महाराणा जगतसिंह जी प्रथम ने आषाढ़ सुदी द्वितीया पर निकाली. तब से जगन्नाथ रथ यात्रा विगत कई वर्षों से निकाली जा रही है. उसी समय से ठाकुर जी, लालन जी और अन्य देवी देवता नगर भ्रमण पर निकलते है. जगन्नाथ रथ यात्रा केवल एक यात्रा ही नहीं है बल्कि उदयपुर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को खुद में संजोए हुए है.

Credits: Siddharth Nagar

इस यात्रा के लिए विशेष रूप से भगवान जगदीश स्वामी, माता महालक्ष्मी, दाणिराय जी(कृष्ण भगवान), लालन जी और जुगल जोड़ी के विग्रह बनवाये  है.

जगन्नाथ रथ यात्रा की तैयारियां आषाढ़ मास की सुदी द्वितीया के 15 दिन पहले से शुरू हो जाती है. लालन जी, जगदीश स्वामी और जुगल जोड़ी यानि कृष्ण भगवान और राधा जी अपने शयन कक्ष से मंदिर के गर्भगृह मैं पधारते है. इस समय सभी देवी देवताओं को काढ़ा पिलाया जाता है और वो फिर से अपनी निद्रा अवस्था में चले जाते है.

ठीक 15 दिन बाद आषाण मास की कृष्ण एकम को सभी देवी देवता स्वस्थ होकर वापस से प्रस्थान करते है. उसी के अगले दिन यानि कृष्ण द्वितीया को भगवान जगदीश स्वामी, माता महालक्ष्मी और दाणिराय जी(कृष्ण भगवान) रजत रथ में और लालन जी, जुगल जोड़ी छोटे रथ में सवार होकर नगर भ्रमण पर निकलते है.

रथ यात्रा की सुबह सबसे पहले सभी देवी देवताओं को पंचामृत से स्नान करवाया जाता है और नए श्रृंगार एवं पौशाक धराये जाते है. फिर एक बजे रथ में बिराज कर सभी देवी देवता जगदीश मंदिर की परिक्रमा करते है. इस परिक्रमा में अलग अलग फेरे होते है, इन्हीं फेरों  के दौरान मंदिर में रथ विशेष और पारम्परिक कीर्तन एवं भजन गाये जाते है. नार्तिकायें अपने नृत्य से सभी देवगण को प्रसन्न करती हैं. जगदीश मंदिर में स्थित सूर्यनारायण भगवान की देवरी पर रथ रुकता है और भगवान को ऋतुफल जैसे अनार, जामुन, आम, आम की बर्फी और अन्य मिष्ठानो का भोग लगाया जाता है. रथ को खींचने वाले घोड़ो को चने की दाल जिमाई जाती है.

Jagannath Rath Yatra of Udaipur
Credits: Siddharth Nagar
Credits: Siddharth Nagar

फिर दोपहर 3 बजे सभी देवी देवता मंदिर से प्रस्थान कर अपने रथ में विराजमान होकर नगर भ्रमण पर निकलते है. ठाकुर जी एवं अन्य देवी देवताओं की शोडशो मंत्र उच्चार से आरती होती है और फिर ही भगवान जगदीश स्वामी, माता महालक्ष्मी और दाणिराय जी(कृष्ण भगवान) रजत रथ में और लालन जी एवं जुगल जोड़ी छोटे रथ में सवार होकर नगर भ्रमण के लिए निकलते है.

Jagannath Rath Yatra of Udaipur
Credits: Siddharth Nagar
Credits: Siddharth Nagar

जगन्नाथ रथ यात्रा एक अकेला ऐसा महोत्सव है, जहाँ पारम्परिक रीतियों के विपरीत भगवान स्वयं अपने भक्तों को दर्शन देने निकलते है. माना जाता है कि रथ यात्रा के दिन भगवान अपने भक्तजनों पर ढेर सारा आशीर्वाद लुटाते है. इस रथ यात्रा की विशेषता यह है की इसके दर्शन करने के लिए केवल उदयपुरवासी, राज्य या देश से नहीं, कही भक्तगण विशेष तौर से इसी महोत्सव में भाग लेने के लिए विदेश से आते है. 

जगन्नाथ रथ यात्रा जगदीश मंदिर से होते हुई घंटा घर – बड़ा बाजार – भड़भूजा घाटी – मोची बाजार – भोपालवाड़ी – चौखला बाजार – संतोषी माता मंदिर – धानमंडी – झीणी रेत – मार्शल चौराहा – RMV – गुलाब बाघ – रंग निवास से वापस जगदीश मंदिर आती है.

हर जगह रथ का पारम्परिक भजनों से विशेष स्वागत होता है.

वापस जगदीश मंदिर पहुंचने पर महाआरती एवं शयन आरती होती है पश्चात् सभी देवी देवता फिर मंदिर के गर्भगृह में स्थापित दिए जाते है.

साम्प्रदायिक सद्भाव बनाये रखती है ये विशेष रथ यात्रा:

जगदीश चौक में जन्मे कई संप्रदाय के लोग काफी लम्बे समय से रथयात्रा से जुड़े हुए हैंं जो अपने आप में एक साम्प्रदायिक सद्भाव की एक अलग मिसाल है. सभी संप्रदाय के लोग धर्मोत्सव समिति कार्यकर्ता के रूप में रथयात्रा व्यवस्था संभालने में अपना योगदान देते है इसमें झांकियों को क्रमबद्ध करवाना, रथयात्रा में आये  भक्तों को प्रसाद वितरण की व्यवस्था जैसे कार्य शामिल हैं. रथयात्रा किसी व्यक्ति विशेष, एक संगठन का नहीं बल्कि सभी समाजो के लिए बडे़ त्यौहार जैसा आयोजन है. इसमें सभी चाहे वो सनातन धर्म हो या कोई और, सभी इसमें बढ़ चढ़ कर भाग लेते है. सभी समाज के लोगो के साथ साथ सरकारी प्रशासन भी इस महोत्सव को सफल बनाने क लिए अपनी पूरी श्रमता से काम करते है.

Jagannath Rath Yatra of Udaipur
Credits: Siddharth Nagar

भगवान जगन्नाथ के रजत रथ की खासियत:

भगवान जगन्नाथ स्वामी की इस पारम्परिक रथयात्रा में लोगों का उत्साह और भागीदारी बढ़ाने के लिए कुछ वर्ष पूर्ण ही भक्तों के सहयोग और ठाकुरजी के आशीर्वाद से रजत रथ का निर्माण करवाया गया. पहली बार 12 जुलाई 2002 को प्रभु जगन्नाथ एवं देवताओं को रजत रथ में विराजित कर नगर भ्रमण पर निकाला गया था. इस रजत रथ के निर्माण के लिए असम से विशेष तौर से सागवान की लकड़ी मंगवाई गयी. यह रथ 18 फीट ऊंचा है और इसे तैयार करने में 50 किलो चांदी का उपयोग हुआ है.  इसमें श्री जगन्नाथ स्वामी की प्रतिमा के साथ बलराम, सुभद्रा और सुदर्शन चक्र भी विराजमान हैं.

तो क्या आप तैयार है 4 जुलाई को होने वाली इस भव्य जगन्नाथ रथ यात्रा के साक्षी बंनने के लिए ?

 

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[Best Pictures] Jagannath Rath Yatra 2014

Every year the grand Rath-Yatra is held on the Ashaad Shukla Dwitya of Vikram Samvat, as per the Hindu calendar. On this day thousands of devotees pull the huge chariot loaded with ornaments and idols of Lord Jagannath, Balabhadra and Subhadra in a long procession.
Though the centre of attraction is Orissa, many other Indian cities also have their own extraordinary programs on this day. Udaipur holds the distinction of holding the 3rd largest Rath Yatra in India. The city has two Rath Yatras on the same day at different locations.

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idols of Lord Jagannath, Balabhadra and Subhadra in a long procession of 21km from Jagannath Dhaam, Sector 7

The Rath Yatra at Udaipur is a significant event in the entire state that is witnessed by numerous tourists both foreigners and Indians. During the Rath Yatra, The City of Lakes is colored in the most vivid hues of sheer joy & enjoyment and is flocked with devotees who wish to pay their honor to the deities and seek their blessings.

Rath from Jagannath Dham, Sector-7
The Rath Yatra started from Shri Jagannath Dham Sec-7, Hiran Magri and lead towards the Krishi Mandi, Shiv Mandir, Machla Magra, Sec-11, Patel Circle, Khanjipeer, Rang Niwas, Bhattiyani Chohatta to Jagdish Mandir. From there it merged with the Jagdish Chowk Rath Yatra in the same route and then took a separate route from RMV Road to Udiapole, Takeri, Madari, Sec-6 and returned back to the Shri Jagannath Dham of Sec-7.
Largest distance covered : 21kms

Main Attraction
The Rath Yatra that started from the ancient Jagdish Temple, near the City Palace.
The Rath, a gigantic chariot, approximately 15 feet long, 8 feet high and adorned by precious metals like silver. This eventually turned into a procession which passed through a large part of the city. The path followed by this Rath was Jagdish Mandir- Jagdish Chowk, Ghanta Ghar, Bada Bajar, Bhadbhuja Ghati, Teej Ka Chowk, Dhan Mandi, Asthal Mandir, R.M.V. Road, Rang Niwas, Kalaji- Goraji, Bhattiyani Chohatta, and Rath Yatra concluded with the Maha Arti at the Jagdish Temple.

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Photo : Kamal Kumawat
Photo : Kamal Kumawat

Jagannath_Rath_Yatra (25) Jagannath_Rath_Yatra (26)Photos By : Priyansh Paliwal & Yash Sharma

 ॐ जय जगदीश !! जय जगन्नाथ !!

 

 

 

 

 

 

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Pictures of Jagannath Rath Yatra 2011

Yesterday Devotees witnessed Lord Jagannath on a Rath Yatra Event. The Rath Yatra event is carried out every year with thousands of devotees waiting to take a glimpse and blessing of Lord Jagannath. Here is a set of Pictures of this huge Holy event. 🙂 We hope you commemorate these Pictures and Event through your UdaipurBlog.com 🙂

 

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Photos By Mr. Yash Sharma 🙂

Yash Sharma
! Yash Sharma !