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[Best Pictures] Jagannath Rath Yatra 2014

Every year the grand Rath-Yatra is held on the Ashaad Shukla Dwitya of Vikram Samvat, as per the Hindu calendar. On this day thousands of devotees pull the huge chariot loaded with ornaments and idols of Lord Jagannath, Balabhadra and Subhadra in a long procession.
Though the centre of attraction is Orissa, many other Indian cities also have their own extraordinary programs on this day. Udaipur holds the distinction of holding the 3rd largest Rath Yatra in India. The city has two Rath Yatras on the same day at different locations.

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idols of Lord Jagannath, Balabhadra and Subhadra in a long procession of 21km from Jagannath Dhaam, Sector 7

The Rath Yatra at Udaipur is a significant event in the entire state that is witnessed by numerous tourists both foreigners and Indians. During the Rath Yatra, The City of Lakes is colored in the most vivid hues of sheer joy & enjoyment and is flocked with devotees who wish to pay their honor to the deities and seek their blessings.

Rath from Jagannath Dham, Sector-7
The Rath Yatra started from Shri Jagannath Dham Sec-7, Hiran Magri and lead towards the Krishi Mandi, Shiv Mandir, Machla Magra, Sec-11, Patel Circle, Khanjipeer, Rang Niwas, Bhattiyani Chohatta to Jagdish Mandir. From there it merged with the Jagdish Chowk Rath Yatra in the same route and then took a separate route from RMV Road to Udiapole, Takeri, Madari, Sec-6 and returned back to the Shri Jagannath Dham of Sec-7.
Largest distance covered : 21kms

Main Attraction
The Rath Yatra that started from the ancient Jagdish Temple, near the City Palace.
The Rath, a gigantic chariot, approximately 15 feet long, 8 feet high and adorned by precious metals like silver. This eventually turned into a procession which passed through a large part of the city. The path followed by this Rath was Jagdish Mandir- Jagdish Chowk, Ghanta Ghar, Bada Bajar, Bhadbhuja Ghati, Teej Ka Chowk, Dhan Mandi, Asthal Mandir, R.M.V. Road, Rang Niwas, Kalaji- Goraji, Bhattiyani Chohatta, and Rath Yatra concluded with the Maha Arti at the Jagdish Temple.

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Photo : Kamal Kumawat
Photo : Kamal Kumawat

Jagannath_Rath_Yatra (25) Jagannath_Rath_Yatra (26)Photos By : Priyansh Paliwal & Yash Sharma

 ॐ जय जगदीश !! जय जगन्नाथ !!

 

 

 

 

 

 

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Pictures of Jagannath Rath Yatra 2013

Yesterday Devotees witnessed Lord Jagannath on a Rath Yatra Event. The Rath Yatra event is carried out every year with thousands of devotees waiting to take a glimpse and blessing of Lord Jagannath. Here is a set of Pictures of this huge Holy event. We hope you commemorate these Pictures and Event through your UdaipurBlog.com.

Photos By Yash Sharma

Jagganath Rath Yatra , Udaipur, 2013

“चांदी रे रथ थे  चढो रे सांवरिया.. मनमोहक कर ल्यो श्रृंगार, सांवरिया री आरती
आरती संजोयिलो, चर्मृत लेई-लो, ले लो प्रभुजी रा नाम… सांवरिया री आरती “

Jagannath Dham Sector 7 Udaipur

“मात-पिता तुम मेरे , शरण गहुँ मैं किसकी…
तुम बिन और ना दूजा, आस करूँ मैं जिसकी.. “
जय जगदीश हरे…

सेक्टर सात से निकलने वाली रथयात्रा, जो मूल रथ यात्रा में शामिल होती है, किसी भी मायने में पुरी रथयात्रा से कम नहीं होती.. प्रभु जगन्नाथ, भ्राता बलराम और बहन सुभद्रा के विग्रह पुरी की याद दिला देते है. शहर में सबसे लंबी दुरी तय करके सेक्टर सात से पुराने शहर तक का सफर तय करके तीनो भाई-बहन  जगदीश जी की रथ यात्रा की शोभा बनते है. यह रथ यात्रा सेक्टर सात से प्रातः 11 बजे प्रारंभ होती है, जो मूल रथ यात्रा के समापन के पूरे तीन-चार घंटे बाद आधी रात को पुनः अपने स्थान पर जाकर विश्राम लेती है

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Photo By : Gajendra Pancholi

Mahant Bheem Singh Chouhan | Kaali kalyani Dhaam Tej Singh Bansi at Jagannath Dham Sector 7 Udaipur Jagganath Rath Yatra UdaipurRajni Dangi in Jagannath Rath Yatra Udaipur

Gulab Chand Katariya in Jagannath Rath yatra

Janak Arts Udaipur

Jagannath Rath Yatra Udaipur Photos Jagdish Chowk - Jagannath Rath Yatra Udaipur

Jagannath Rath Yatra Udaipur | Samor bagh | Jagannath Dham Sector 7

A Heart-full of Thanks to Administration of Udaipur
A Heart-full of Thanks to Administration of Udaipur

http://www.youtube.com/watch?v=X7__NhvJuo0

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Jai Jagdish hare | Jagannath Rath Yatra

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Udaipur

Maharana Mahendra Singh Ji MewarDSC_0206 (Large) Harish Rajani , Sunrise Udaipur Jai Jagannath in UdaipurDancing devotee in jagannath Rath Yatra UdaipurJagannath Rath Yatra udaipur

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Jagannath Rath Yatra Udaipur

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[Best Pictures] ठाकुर जी कि रथ यात्रा से पूरा शहर जगन्नाथमय

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“चांदी रे रथ थे  चढो रे सांवरिया.. मनमोहक कर ल्यो श्रृंगार, सांवरिया री आरती
आरती संजोयिलो, चर्मृत लेई-लो, ले लो प्रभुजी रा नाम… सांवरिया री आरती “

 

महलों के पास ऊँचे मंदिरों में बिराजने वाले मेवाड़ के कान्हा “भगवान जगदीश जी” अपने गर्भगृह में बैठे बैठे पूरे साल बाट जोहते है इस खास एक दिन, आषाढ़ शुक्ल पक्ष की दूज का , जब वे खुद उन भक्तों के लिए मंदिर की कठिन सीढियाँ उतरे, जो ये सीढियां चढ नहीं पाते है…

 

आप क्या सोचते है ? हम भगवान के दर्शन करते है ? जी नहीं , कभी कभी भगवान भी अपने सच्चे भक्तों के दर्शन करने को आतुर रहते है. भक्ति की परीक्षा हितार्थ बिराज तो गए ऊँचे मंदिरों में हमारे ठाकुर जी, किन्तु उनका मन नहीं लगता वहाँ,बगैर अपने “प्रिय” से मिले.. तभी तो रजत रथ में बैठ भगवान इस एक खास दिन निकल पड़ते है अपने सभी सखाओं से मिलने. और जब मंदिर से निकलते है तो ऐसे ही नहीं निकलते, पूरा श्रृंगार करके, इठलाते-बलखाते जगदीश ठाट-बाट के साथ मेवाडी राजधानी के कण कण को स्वयं स्पर्श करते है. दर्शन देते है सभी को…

 

इस वर्ष भी भगवान ने सभी के मन की मुराद को पूरा करने की ठानी और लगभग दोपहर के तीन बजे छोटे बेवान (रथ) में बैठ कर पहले मंदिर की परिक्रमा करके चारों कोनों में बैठे मित्र देवों से भेंट की. तत्पश्चात मंदिर की सीढियाँ उतरकर प्रभु नीचे रजत रथ में आकर बिराजे. हर मेवाडी ह्रदय ने आत्मीयता से प्रभु का स्वागत किया. हमारे ठाकुरजी ने भी सभी के नमन को स्वीकार किया. दरबार महेंद्र सिंह जी मेवाड़ ने सैकड़ों  सालों की परम्परा का निर्वहन करते हुए रथ के आगे झाड़ू लगाया और प्रभु के मार्ग को साफ़ किया. आज उदयपुर भगवान के प्रिय रंग पीताम्बर (केसरिया) से रंगा रंगा सा लग रहा था. हर एक सर पर पीताम्बरी पाग शोभायमान थी. हर एक महिला ने गोपी का रूप धर लिया. पीताम्बरी साडी या बेस पहने भगवान के पीछे पीछे गीत गाती चल रही थी.

 

सबसे आगे गजानन के स्वरुप गजराज तो पीछे पीछे शौर्य के प्रतीक अश्व , प्रीत के प्रतीक ऊंट चल रहे थे. चारो तरफ केसरिया ध्वज लहरा रहे थे. सैकड़ों हाथ पीताम्बरी रस्सी को थामे जगन्नाथ का रथ आगे खिंच रहे थे. जैसे जैसे भगवान का रथ आगे बढ़ता, छतों-चौबारों, गोखडों, सड़कों से प्रभु के दर्शनों को तरसती हजारों बूढी आँखे गीली हो जाती.. मुह से आवाज़ ना निकलती..प्रीत में यही तो होता है.. आँखे ही सारी बातें कह देती है. बूढ़े पैरों से मंदिर की सीढियाँ ना चढ पाने का गम भूल कर बस भगवान की बलायियाँ लेती.. म्हारा कान्हा , थाने कन्ही री निजर ना लागे …

 

सेक्टर सात से निकलने वाली शोभायात्रा, जो मूल रथ यात्रा में शामिल होती है, किसी भी मायने में पुरी रथयात्रा से कम नहीं होती.. प्रभु जगन्नाथ, भ्राता बलराम और बहन सुभद्रा के विग्रह पुरी की याद दिला देते है. शहर में सबसे लंबी दुरी तय करके सेक्टर सात से पुराने शहर तक का सफर तय करके तीनो भाई-बहन  जगदीश जी की रथ यात्रा की शोभा बनते है. यह रथ यात्रा सेक्टर सात से प्रातः 11 बजे प्रारंभ होती है, जो मूल रथ यात्रा के समापन के पूरे तीन-चार घंटे बाद आधी रात को पुनः अपने स्थान पर जाकर विश्राम लेती है

 

पारंपरिक मार्ग से गुजरते भगवान जगदीश सभी को दर्शन देते है. सभी के मन की सुनते है. और कहते है…मैं तुम्हारे दर तक खुद आया, अब तुम मेरी शरण में आ जाओ,फिर तुम्हारा कोई कष्ट ना रहेगा… आधी-व्याधि ना रहेगी.. अगर रहेगा तो सिर्फ प्रेम.. स्नेह.. मुरली का रस…

 

“मात-पिता तुम मेरे , शरण गहुँ मैं किसकी…
तुम बिन और ना दूजा, आस करूँ मैं जिसकी.. “
जय जगदीश हरे…
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Pictures by : Mujtaba R.G.
Edited By : Arya Manu
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स्वर्ण रथ पर सवार होंगे भगवान जगन्नाथ – छठी भव्य रथयात्रा

हिरणमगरी सेक्टर 7 स्थित भगवान जगन्नाथ धाम से भगवान जगन्नाथ नगर भ्रमण पर 21 जून को निकलेंगे। इसकी तैयारियां जोरों पर है। समिति के भूपेन्द्र सिंह भाटी ने बताया कि सेक्टर-7 स्थित भगवान जगन्नाथ शैशव काल पूर्ण कर बाल्यकाल में प्रवेश कर रहे हैं।

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21 जून को छठी रथयात्रा की सवारी करते हुए भगवान जगन्नाथ नगर भ्रमण के लिए सुबह 11 बजे निकलेंगे। बाल्यकाल में प्रवेश कर रहे भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा, बलभद्रजी और सुदर्शनजी स्वर्ण रथ में विराजित होकर नगर की सैर करेंगे। भगवान की प्रसन्नता के लिए भक्तजनों का आग्रह था कि इस बार रथ को नया रूप दिया जाए। भगवत् कृपा से जगन्नाथधाम समिति ने अपने सीमित साधनों के अंतर्गत इस दिशा में आंशिक प्रयास किया है, आगामी वर्षों में इसमें और अधिक सुधार के प्रयास किये जाएँगे।

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पुरी (उड़ीसा) की तरह सेक्टर-7 से निकलने वाली रथयात्रा में सदा की भाँति जगन्नाथधाम में प्रतिष्ठित महादारु (काष्ठम) की मूल प्रतिमाएं स्वर्णरथ पर विराजेंगी। रथयात्रा का आरम्भ दिन में 11 बजे छेरापहरा (झाड़ू लगाने) की रस्म से होगा, जो ब्रह्मा के समक्ष तन और मन, दोनों की साफ-सफाई का प्रतीक होता है। यात्रा का मार्ग जगन्नाथ धाम, सेक्टर-7 से आरम्भ होकर कृषि मंडी, सेक्टर 11 में स्थित शिवमंदिर, पटेल सर्किल, खांजीपीर, रंगनिवास, भटियानी चौहट्टा, जगदीश चौक से शहर की मुख्य रथयात्रा के साथ मिलकर आरएमवी, कैलाश कॉलोनी तक रहेगा। कैलाश कॉलोनी से अलग होकर गुलाब बाग के पास से उदियापोल, टेकरी (पीपली चौराहा), टेकरी—मादड़ी रोड, मेनारिया गेस्ट हाउस, सेक्टर-6 स्थित पुलिस थाना होकर वापस श्रीजगन्नाथजी धाम सेक्टर-7 पहुँचेगी। जगन्नाथ धाम की स्थापना के प्रेरणा स्रोत स्वर्गीय इं.के.डोरा की स्मृति में उनकी पत्नि माहेश्वरी डोरा की ओर से रथ यात्रा में भाग लेने वाले सभी भक्तगणों के लिए रात्रि भोजन की व्यवस्था की गई है।
रथयात्रा में उत्कल समाज, नारायण सेवा संस्थान, बजरंग सेना, पूज्य सिंधी पंचायत हिरणमगरी, मेवाड़ क्षत्रिय महासभा, जय श्रीराम जय श्रीकृष्णम सेवा समिति, इडाणामाता का रथ, सविना मित्रमण्डल, कृषि मण्डी (अनाज) समिति, पूज्य पंचायत कृषि मण्डी (फलमण्डी) माछला मगरा विकास समिति, मेनारिया समाज, धर्मोंत्सव समिति आदि का विशेष सहयोग रहेगा। विभिन्न देवालयों एवं संगठनों की लगभग 15 झांकियों के भी सम्मिलित होने की सम्भावना है।

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