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बारिश से पहले नहीं तैयार होगा सेवाश्रम का फ्लाईओवर

उदयपुर स्थित सेवाश्रम चौराहा का फ्लाईओवर अब तक तैयार नहीं हुआ है जिसका काम अप्रैल तक ख़त्म होने की सम्भावना थी। पर अब तक इसका बहुत काम बाकी है और कार्य की गति देख कर तो यह साफ-साफ पता चल रहा है कि यह काम बारिश से पहले नहीं हो सकता है। शहर की आधी ऊपर जनता यही होकर गुज़रती है, लेकिन काम के पूरा न होने की वजह से परेशान हो रही है। यहां के व्यापारी भी इसी उम्मीद में बैठे है की अब तक तो चौराहा का काम पूरा हो जाना चाहिए। पर हकीकत तो यही है की इस काम में बहुत समय लगना है। इस वजह से यहाँ आए दिन जाम लगने की परेशानी लगी रहती हैं।

यूआईटी सर्कल का 20 करोड़ का प्रोजेक्ट-

पिछले ही दिनों यूआईटी ने डिजिटल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) के लिए कार्य का ऑर्डर दिया है उसके बाद वहां का सर्वे शुरू कर दिया है। यूआईटी ने ज़ोर दिया है की देल्हीगेट स्थित जो फ्लाईओवर में पब्लिक यूटिलिटी की जो भी लाइन है, वो इस प्रोजेक्ट के बीच आ रही है उनको भी पूरा किया जाए ताकि बाद में जब कार्य शुरू हो तब समस्या नहीं आए। इस वजह से अभी सेवाश्रम का काम थोड़ा धीमा हो गया है। यूआईटी ने इस कार्य के लिए करीब 20 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। रोड की कुल लम्बाई 430 मीटर है और इसकी चौड़ाई 13.2 मीटर है और 5.5 मीटर इसकी ऊंचाई है। इस फर्म को यह रिपोर्ट 45 दिन में तैयार करके देनी हैं। युआईटी ने यह तर्क भी दिया है की पीएचडी की लाइनों की वजह से कई समस्याए आ रही है।

काम अप्रैल में पूरा होना था-
असल में इसका काम अप्रैल में पूरा होना था। यूआईटी के तकनीकी इंजीनियर यूटिलिटी सर्विस को इसके देरी होने का कारण बता रहे है। उनके सामने जलदाय विभाग की और से बीच में आ रही पाइप लाइनों को शिफ्ट करने के लिए राशि भी दे रहे है,यूआईटी ने तो काम पूरा करने की राशि भी देदी पर काम पूरा नहीं कर रहे है।

परेशानियाँ-
इस क्षेत्र से गुज़रने वाले और यहां रहने वाले लोगो को परेशानियाँ आ रही है। जाम में फंसने के अलावा जाम में वाहनों के धुंए से परेशान हो रहे हैं। यही नहीं जहां खुदाई हो रही है, वहां के लोग और वहां से गुज़रने वाले लोग दिनभर मिटटी के उड़ने से परशान हो रहे है।

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सीवरेज,बिजली और पानी की लाइनें हो रहीं है अंडरग्राउंड

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर में सीवरेज सहित बिजली-पानी की लाइनें अंडरग्राउंड की जा रही है।

साथ ही शहर की ख़राब सड़कों की परेशानी से निपटने का एक्शन प्लान बनाया है जिसके तहत जो सड़क बन जाए, उससे तीन साल तक किसी भी तरह छेड़छाड़ नहीं होगी। इसके लिए सड़काें का ब्यौरा ऑनलाइन किया जाएगा जिसमें निगम के इंजीनियर हिस्ट्री ऑफ राेड्स बनाएंगे। इससे कौनसी सड़क कब बनी, यह जानने में आसानी। यह जानकारी ऑनलाइन रहने से सड़कों का रिपाेर्ट कार्ड बनेगा।

निगम इस तैयारी में है जो सड़क एक बार बन जाये, उससे तीन साल तक किसी भी तरह की छेड़छाड़ न हो।

युआईटी ने भी अपने क्षेत्र की सड़काें की री-कारपेटिंग का काम शुरू किया है। फतहसागर अाेवर फ्लाे प्वाइंट से युआईटी सर्किल तक डामर कर नया कर दिया गया है।

शहर में नई सड़कें बनने के बावजूद कई बार, सरकारी विभाग या निजी टेलीकॉम कंपनियां सड़कें खोदती हैं। पिछले वर्षों में सीवरेज लाइन, स्मार्ट सिटी के कामों, केबल आदि के लिए सड़काें काे खाेदा गया था। इन सडकों को वापस पहले जैसा भी नहीं किया जाता और क्षेत्रवासी धूल-मिट्‌टी से परेशान रहते हैं। इसी को देखते हुए निगम ने तय किया है कि अब जो भी सड़कें बनेंगी, उन्हें तीन साल तक नहीं छेड़ा जाएगा।

हिस्ट्री ऑफ राेड्स के साथ शहर में खराब सड़काें से निजात दिलाने के लिए शहर की प्रमुख सड़काें काे नगर निगम नया करेगा। इन सड़काें की जानकारी जुटाकर सड़कें बनाना शुरू किया जाएगा। शहर के बाहरी हिस्से की हर प्रमुख राेड ठीक करने का प्लान तैयार किया गया है।

सड़काें काे नया जैसा करने के लिए निगम उनकी री-कारपेटिंग करेगा। मुख़्य ट्रंक राेड, क्राॅस राेड या मुख़्य टूरिस्ट राेड पर डामर कर तैयार किया जाएगा। लगभग 50 से 70 किमी क्षेत्र में शहरभर में इनका निर्माण होगा।

मानसून में जो सड़कें पानी भरने से टूटती हैं, उनके डामरीकरण के अलावा तकनीकी काम होंगे। जिन चाैराहाें के आस-पास पानी जमा हाेने से सड़कें टूटती हैं उनके चाराें ओर सीसी सड़क बनाई जाएगी। कुछ चौराहों पर पायलट प्रोजेक्ट सफल हाेने पर सभी चाैराहे शामिल करेंगे।