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बागोर की हवेली – उदयपुर का एक खूबसूरत पर्यटक आकर्षण

पिछोला झील के किनारे, गणगौर घाट पर बनी बागोर की हवेली वर्षों से उदयपुर के पर्यटकों को लुभाती आयी है। यह ऐतिहासिक हवेली राजा महाराजाओं के जीवन की एक जीती जगती दास्ताँ है। इसका निर्माण 1751 से 1778 के अंतराल में मेवाड़ के प्रधान मंत्री रहे अमरचंद बड़वा ने करवाया था। उनकी मृत्यु के बाद यह हवेली मेवाड़ राज्य के शाही परिवार के अधिकार में आ गयी।

आज़ादी के बाद राज्य सरकार ने इस हवेली को सरकारी कर्मचारियों के निवास के उपयोग में लिया। पर इस दौरान हवेली के सही रखरखाव के आभाव में इसकी हालत ज़र-ज़र होती गई। बाद में राजस्थान सरकार ने 1986 में इस ऐतिहासिक ईमारत को पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र का मुख्यालय बनाने के लिए सौंप दिया।

100 कमरों की इस हवेली को उसके पूर्व स्वरुप में लाने की अपार मेहनत की गयी। इसके 138 कक्ष, बरामदे, गलियारे सभी ऐतिहासिक प्रमाणिकता के अनुसार फिर से निर्मित किये गए। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र ने इस हवेली को एक खूबसूरत संग्रहालय का रूप दिया जहाँ मेवाड़ की संस्कृति की एक अनूठी झलक दिखाई देती है।

बागोर की हवेली के ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए यहाँ भारत विभिन्न राज्य जैसे राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा की संस्कृति को दर्शाने की पहल की गई।

आज यहाँ शस्त्रगार, कठपुतली और शाही शादी जैसे अनोखे संग्रहालय पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। इसके अलावा हवेली में दुनिया की सबसे बड़ी पगड़ी और कावड़ भी सजी हुई है जिसे लोग खास तौर से देखने आते हैं। हवेली में मेवाड़ की शाही घरानों की शानो को दर्शाने के लिए अलग-अलग कक्षों में झाकियां प्रदर्शित की गई है। इनमे अमोद-प्रमोद कक्ष, गणगौर कक्ष, श्रृंगार कक्ष, शयन कक्ष, रंगनिवास, पूजा कक्ष, संगीत कक्ष आदि खास आकर्षण का केंद्र हैं।

दुनिया की सबसे बड़ी पगड़ी

बागोर की हवेली में भारत के कई राज्यों की पारम्परिक पाग-पगड़िया रखी हैं जिसमे से एक है दुनिया की सबसे बड़ी 30 किलो वज़न की पगड़ी। यहाँ अनूठी पड़गी 151 फ़ीट लम्बी, 7 इंच मोटी, 11 चौड़ी, और ढाई फ़ीट ऊंची है। दुनिया की सबसे बड़ी माने जाने वाली इस पगड़ी को बड़ोदा के कारीगर अवंतीलाल चावला ने 25 दिनों में बनाया था।

बागोर की हवेली संस्कृति, सभ्यता और इतिहास की वह झलक है जो अपने-आप में मेवाड़ के राज घरानों की एक पूरी गाथा सुनाती है। यहाँ के शाही दरवाज़े, चौक, गलियारे, दरीखाना, कमरे, हर कोने से मेवाड़ी शानो-शौकत की झलक दिखाई देती है।

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Shilpgram Utsav to begin from 21st December

The most colourful, vibrant and lively festival of Udaipur, Shilpgram Utsav, will begin from 21st December 2019 at Shilpgram, Udaipur. The 10-day long Cultural Fest of Udaipur will witness an amalgamation of culture, craft and food from around the country.

Also known as Shilpgram Mahotsav, the art and craft fair is organised by West Zone Cultural Centre, Udaipur. Like every year, this year also, the fair will have activities and events showing the cultural heritage of different states of India. The festival allows artists and craftsmen to showcase their art without any intermediary market.

The event will start at 10 AM and will be open till 10 PM.

Here is the schedule of the events:

21st to 23rd December 2019

Bai Mejei (Nagaland), Odissi Dance, Gotipua (Odisha), Sambhalpuri (Odisha), Cherraw (Mizoram), Manipuri Ras, Pung, Thangta, Stik (Manipur), Chhau (Jharkhand), Khol Vadan (West Bengal), Hojagiri (Tripura), Dhal Thungri, Bardoi Sikla and Folk Instruments (Assam).

24th to 26th December 2019

Bastar Folk Band (Chhattisgarh), Instrument Assemble (Andhra Pradesh), Bharat Natyam (Karnataka), Madhuri, Lambadi (Telangana), Lawani (Maharashtra), Gangaur (Madhya Pradesh), Veer Varai Natnam (Pudducherry), Pooja Kunitha (Karnataka), Malkhamb (Maharashtra).

27th and 28th December 2019

Kathak, Rauf (Jammu & Kashmir), Chhapeli (Uttarakhand), Jabro and Flower (Ladakh), Bhangra and Gidda (Punjab), Mayur (Rajasthan), Ghoomar (Haryana).

29th and 30th December 2019

Bhapang (Rajasthan), Kalbelia (Rajasthan), Bihu (Assam), Pung Cholam (Manipur), Stick (Manipur), Singari (Odisha), Bhagra+Gidda (Punjab), Mewasi (Gujarat), Natuwa (West Bengal), Chari (Rajasthan), Symphony and Classical Instrument Ensemble.

Besides, there will also be ‘Yuva Pratibha Puraskar Competition‘ on 22nd, 23rd and 24th December at Banjara Rangmanch. There will be food stalls serving the local cuisines of various states of the country.

All of these activities, events, performances along with the amazing food, make Shipgram, a must-visit place of Udaipur.

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दादू की याद में ‘Rangaanjali’

dadu

‘दादू’ !! आज भी इसी नाम से पूरा उदयपुर श्री हेमंत पंड्या ‘दादू’ को याद करता है। प्रख्यात रंगकर्मी, अभिनेता, निर्देशक, बांसुरी वादक और न जाने क्या-क्या। जीवन के कई रंग थे ‘दादू’ में। शायद तभी इसे ‘रंगांजलि’ नाम दिया गया। सन् 2005 में ‘दादू’ के ही शिष्यों के द्वारा शुरू किया ये थिएटर फेस्टिवल इस साल अपने 10 बरस पुरे करने जा रहा है। ‘रंगांजलि’ पूरी तरह से ‘दादू’ और उनके किये गए कार्यो को समर्पित है। अच्छी बात ये है कि फेस्टिवल किसी भी तरह से आर्थिक लाभ के लिए नहीं किया जाता है। ये उनके शिष्यों द्वारा उन्हें ट्रिब्यूट देने की एक छोटी सी कोशिश है।

हर वर्ष की तरह इस बार भी ‘नादब्रम्ह’ संस्था उदयपुर वासियों के लिए ‘रंगांजलि’ आयोजित करवा रहा है। इस साल ‘रंगांजलि’ में प्रभा दीक्षित लिखित कहानी ‘अन्दर आना मना है’ का नाटकीय रूप में मंचन किया जायेगा। इस नाटक को शहर के ही जाने-माने रंगकर्मी श्री शिवराज सोनवाल डायरेक्ट कर रहे है। ये नाटक इसी महीने की 10 तारीख़ को शिल्पग्राम के ‘दर्पण सभागार’ में खेला जायेगा। इस नाटक का ये तीसरा शो होगा इससे पहले यही टीम संगीत नाटक अकादमी के ‘रंग प्रतिभा थिएटर फेस्ट’ और जवाहर कला केंद्र, जयपुर में अपनी प्रस्तुति दे चुकी है। ‘नादब्रम्ह’ संस्था तीन बार ‘ॐ शिवपुरी’ थिएटर फेस्ट जा चुकी है। इस टीम से निकले थिएटर आर्टिस्ट आज की तारीख़ में दिल्ली, मुंबई में उदयपुर का नाम रोशन कर रहे है। इस बार ‘रंगांजलि’ के 10वे अवसर पर शहर के रंगकर्मी थोड़े भावुक ज़रूर है पर उत्साह में किसी भी प्रकार की कमी नहीं दिख रही है, और यही उत्साह उनके द्वारा दी जानी परफॉरमेंस में आप सभी शहर वासियों को भावनात्मक रूप से जोड़ने का प्रयास करेगा, जैसा ‘दादू’ के साथ देखने को मिलता था।

आइये एक नज़र डालते है ‘रंगांजलि’ के अब तक के सफ़र पर :-

2005 – मन-मरिचिका

2008 – रहोगी तुम वही, रोटी का जाल, हवालात

2009 – शब्द-बीज

2010 – मुग़लों ने सल्तनत बख़्श दी, तीतर

2011 – कोर्ट मार्शल

2012 – मन मरिचिका, माँ मुझे टेगौर बना दो

2014 – कोर्ट मार्शल

2015 – आख़िर इस मर्ज़ की दवा क्या है?

2016 – संक्रमण, सबसे सस्ता गोश्त

2017 – अन्दर आना मना है !

10, सितम्बर शाम 7 बजे

दर्पण सभागार, शिल्पग्राम, उदयपुर

Invitation Card

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Sindhupare: A Mixed-Media Art Exhibition starts Today

Sindhupare is a Bengali word that literally means “beside the sea“. The name has been derived from the famous poem Sindhupare by ‘Thakur’ Rabindra Nath Tagore. It is a Mixed-Media Art Exhibition. This Tagore Art Installation Project
 is to be held at Udaipur, Jodhpur, Kolkata, Jaipur, and Mumbai. The Udaipur based theatre company ‘Out of Cocoon’ is opening this mixed-media art exhibition under the creative direction of Jarka Heller (UK) and Anne Visboel (Denmark). The event is supported by West Zone Cultural Centre (WZCC), as part of the Indian Government’s Tagore Commemoration Grant Scheme (TCGS). The Inaugural event is to be held at Sculpture Korte, 125-A Ambamata Scheme, opp. Aurvedic College, Udaipur today, and the free event will run from 5 – 13 February 2012, daily at 6-9 p.m.

Sindhupare_UdaipurBlog

The Tagore poem ‘Sindhupare’ (Beside the Sea) is used as the inspiration for artistic creations from international sculptors, artists, actors and composers. Their creative works have been integrated into a ‘life journey’ following the path of the poem. Visitors will be introduced to Sindhupare through exhibits that touch all five human senses, allowing them to experience the depth and beauty of this profound example of Tagore’s work.

Therefore, the art lovers and Tagore fans should not miss this opportunity to visit the exhibition.

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Article By: Dan Lane

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Jeeman – A Food Festival in Udaipur

West Zone Cultural Centre – Shilpgram will now be showcasing the delicious ethnic Indian food this October in a Festival known as Jeeman – Vyanjan Utsav. It will cater Food Enthusiasts from Udaipur and All Over The World. It would be a Great Chance for the Foodies to Enjoy the Ethnic Taste of Indian Food and Culture.

Food Festival in Udaipur

Food festival is Delayed and would resume in Feb 2011

Along with the Food you can also enjoy folk dances and handicrafts, Around 200 dancers and other artists are also going to participate in this Food Fair.

To encourage people who love to cook tasty and healthy cuisines a “Recipe Competition” will be organized by College of Home Science, Udaipur and WZCC.

Interested candidates for the Competition may request for the registration form from WZCC, Bagore ki Haveli, Shilpgram and also you can get it by email from wzcccom@rediffmail.com; vilasjanve@rediffmail.com and vilasjanve@gmail.com

Information Courtesy: UdaipurTimes.com