दुनिया के सबसे खुबसूरत शहर की खुबसूरत सुबह की शुरुआत एक आवाज़ से हुआ करती है…
आप सुन रहे है …… ऍफ़.एम्. .. और बन्दे को आर.जे. प्रदीप कहते है… जी हाँ उदयपुर ब्लॉग आज बात कर रहा है एक प्यारी सी मुस्कराहट के धनी….जिसे शहर का एक ऑटो वाला भी ताल्लुक रखता है तो किसी महंगे फ्लेट में रहनी वाली एक आंटी भी…
जब से उदयपुर में ऍफ़.एम्. आया…तब से ये आवाज़ उदयपुर की एक पहचान सी बन गयी है…
जब कभी हम खुद को अपनी माटी से दूर महसूस कर रहे होते हैं…तभी स्वर सुनाई देता है… “उदयपुर थानों ध्यान कठिने… आपरो प्रदीप अठिने..” कभी ठेठ देहाती शब्दों का अम्बार तो कभी ऐसी बातें कि लगता है कोई बड़े मेनेजमेंट का अफसर रु-ब-रू हो रहा है…
हमारे हर दुःख-सुख में जो आवाज़ हमारे साथ महसूस होती है… हर बड़े मॉल और हर एक लोकल ऑटो में सुनी जाने वाली आवाज़….
एक आवाज़, जो हर बार हमें एक रास्ता दिखा रही होती है…” दोस्तों…जब कभी हम पानी की सतह पर तैर रहे बुलबुले की तरह टूट रहे होते हैं…फिर बन रहे होते हैं…तब याद रखो…कोई है…जो सिर्फ आपके लिए जी रहा है…”
जब कभी खुद को अकेला महसूस कर रहे होते है…तो स्वर सुनाई देते है… ” दोस्तों अगर अकेलापन साल रहा है तो फ़तेह सागर जाओ… कुछ वक़्त खुद के लिए बिताओ..मोबाईल बंद कर दो.. और आस-पास की आवाज़ से भी कुछ देर के लिए बेखबर हो जाओ… तुम कुछ हटकर…कुछ और ज्यादा पाकर ही वहा से लौट कर आओगे, मेरा विश्वास है …”
क्या हमने कभी सोचा भी कि वो हमारी आर. जे. प्रदीप की आवाज़ हमारी ज़िन्दगी का हिस्सा ही बन जाएगी…..
मैं रातों के अंधेरो में खोया सितारा हूँ..
हजारो-लाखों में मैं भी एक आवारा हूँ..
लाख कह दे, ज़माना मुझे तेरा पागल,
तुम ठुकराओगे, फिर भी मैं तुम्हारा हूँ…
हमेशा गुनगुनाने वाले इस शख्स ने ज़िन्दगी में कम दुःख नहीं देखा… अपने जूनून को आयाम देने से पहले परिवार वालो के ताने भी सुने तो कभी अपनी शाम हिरन मगरी के ऑटो स्टेंड पर भी बिताई… किसी मोबाईल स्टोर में सेल्समेन बनने में भी गुरेज नहीं किया… तो मजदूरों के साथ किसी ट्रक को ख़ाली करने में भी हाथ आजमाया… शायद इसीलिए प्रदीप की आवाज़ में इतने रंग देखने को मिलते है… सुखेर में एक चाय की थडी पर जब पटेल जी वक़्त पर दूध लेकर नहीं आते तो थडी वाले पंडित जी प्रदीप को फोन करते है… और पटेलजी दूध लेकर पहुच जाते है… प्रदीप की गाडी सुबह ख़राब हो जाति है और किसी ऑटो में बैठकर जब स्टूडियो आ रहे होते है तो ऑटो वाला भी बेझिझक कोई डाईलाग सुनने की फरमाइश करने लगता है…
जब कभी कोई सुनने वाला एक बार प्रदीप को फोन कर दे…दो उसकी आवाज़ उस कंप्यूटर में हमेशा के लिए फीड हो जाती है…जी हाँ..प्रदीप अगली बार उस लिसनर को उसके नाम से पुकारेगा…
प्रदीप, एक ऐसी शख्सियत..जिसमे हजारो शख्सियतें… हजारो तहजीबें…
प्रदीप तो बस यही कहता मिलता है कि…
“जितना दिया सरकार ने मुझको…
उतनी मेरी औकात नहीं…
ये तो करम है उनका…
वर्ना मुझमे ऐसी कोई बात ही नहीं…”
किसी कोलोनी से कोई गरिमा फोन करती है और कहती है… प्रदीप, तुम अकेले हो जिसने उदयपुर को एक कर दिया… पहले लोग किसी को फोन करने में झिझकते थे….पर रेडियो पर तुमको फोन करनेमे किसी को झिझक नहीं होती… तुम हमारी आवाज़ हो…
आज प्रदीप की उसी जिंदादिली को उदयपुर ब्लॉग परिवार सलाम करता है…..
सलाम प्रदीप….
5 Comments
arya manu
December 15, 2011 at 10:39 am???????…
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Nidhi
December 15, 2011 at 12:56 pmMeri aawaz hi Meri Pehchan hai….
‘gar yaad Rahe….
miss u pradeep…..
Anchor Kalpesh
December 15, 2011 at 1:26 pmRj ??????..
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?? versatile personality ?? actor ?? ?? , anchor ?? ?? ??? ?? ???? ???? ?? ???? filmy
Radio Jockey ??..
I have never met such a guy ?? ???? ???????? ?? ?? ?? ???? ?? ????? ?? ????? ??? ????..
?? ??? ?? ???? Rj ??????? ?? ????? ???? ???? ?? ???? ??????? ????? ?????? ?? ?????? ???? ???? ????? ???? ?????? ??? ???? ????? ?????.. <3
🙂 🙂 🙂
raghu nath
February 2, 2012 at 9:39 pmRj pradeep
Anchor vipul
April 11, 2013 at 11:11 pmlove u Rj 27 …’-//%+*;:””:_()(:’?&@-*/(;””
I have no words for dis man……+_(=”–“””'”:::’?