अपनी घुमक्कड प्रवृति के चलते अब तक दो बार लद्दाख हो आया हूँ. जब भी वहाँ जाता हूँ तो द्रास-कारगिल से गुज़रना होता है. हर बार वहाँ सिर पहले झुकता है, उन शहीदों की याद में, जिन्होंने दुश्मनों को नाको चने चबवा दिए…. और फिर तत्काल सिर गर्व से उठ जाता है, सीना चौड़ा हो जाता है, एक भारतीय होने के फख्र से.. अपनी सेना की बहादुरी पर…
चलिए आज आपको कारगिल विजय दिवस पर ले चलता हूँ.. धरती के स्वर्ग कश्मीर की गोद में बसे द्रास शहर और वहाँ स्थित कारगिल वार मेमोरियल के दर्शन करने…
द्रास शहर. श्रीनगर और कारगिल के बीच बसा कस्बा. इसे दुनिया का दूसरा सबसे ठंडा रिहाइशी इलाका होने का गर्व प्राप्त है. श्रीनगर से बालटाल, सोनमर्ग होते हुए जोजिला दर्रा पार करके यहाँ पहुंचा जा सकता है. जब आप यहाँ से गुजर रहे होते है तो नियंत्रण रेखा के सबसे करीब होते है. (जी हाँ, बिलकुल सही समझा आपने, आप यहाँ पाकिस्तानी तोपों की रेंज में होते है.)
फोटो में लेखक आर्य मनु (दायें) अपने मित्र आशीष विरमानी (दिल्ली) के साथ.
कारगिल वार मेमोरियल का मुख्य द्वार. वैसे यह युद्ध मूलतः द्रास में लड़ा गया,किन्तु इसे नाम मिला कारगिल युद्ध. द्रास कस्बा कारगिल जिले में आता है. यह स्थान द्रास कस्बे से लगभग सात किमी दूर NH 01A पर स्थित है. वार मेमोरियल स्थल तोलोलिंग की पहाड़ियों की तलहटी में बना है, जहाँ युद्ध के समय जवानो का बेस केम्प हुआ करता था. यहाँ से टाइगर हिल्स की कुल घुमावदार सड़क दुरी 28 kms है.
अमर जवान ज्योति. शहीदों को नमन. इस युद्ध को ऑपरेशन विजय का नाम दिया गया था. राष्ट्रीय ध्वज के साथ यहाँ युद्ध में शरीक होने वाली सेना की टुकडियों के ध्वज लहरा रहे है. यहाँ एक जवान हमेशा शहीदों के सम्मान में सावधान की मुद्रा में खड़ा रहता है.
युद्ध शहीदों के नाम यहाँ सुनहरे अक्षरों में लिखे है. जाट रेजिमेंट, राजपुताना राइफल्स का नाम सबसे पहले देखकर हर किसी राजस्थानी का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है. पंजाब रेजिमेंट, गोरखा राइफल्स, बिहार, सिख, लद्दाख की रेजिमेंटो ने भी अपने सपूत खोये. अमर वाक्य लिखा है यहाँ…
“शहीदों की चिताओं पर, लगेंगे हर बरस मेले,
वतन पर मिटने वालो का, यही बाकी निशाँ होगा…”
म्यूजियम में रखे शहीदों के अस्थि कलश. ये उन शहीदों की अस्थियां है, जिन्हें पहचाना नहीं जा सका. पर ये वे है जो हमेशा के लिए अमर हो गए….सिर्फ हमारे लिए, ताकि हम आराम से यहाँ त्यौहार मना सके…. अगली बार जब इस दिवाली आप अपने घर सजा रहे हो, तो एक दीपक इन अनाम शहीदों के लिए ज़रूर लगाएं…
ये है, पाकिस्तानी सेना द्वारा बरसाए गए मोर्टारों और टॉप गोलों के अवशेष. ये सिर्फ मोर्टारों के पिछले हिस्से (टेल) है. आप सोचिये, ये मोर्टार कितने बड़े और तबाही मचाने वाले होंगे..!! उस पर हालात ये कि पाकिस्तानी सेना पहाड़ की छोटी से हमला कर रही थी, जबकि भारतीय जवान तलहटी से उन पर जवाबी कार्रवाही कर रहे थे.
फिर भी है किसी पाकिस्तानी गोले में इतना दम, जो भारत का बाल भी बांका कर पाए ?
युद्ध में तडातड चलती गोलियों और तनाव के माहौल में सैनिक ठिठोली के क्षण खोज ही लेते थे.मिसाइल को दागने से पहले कुछ इस तरह बयान किये अपने ख्याल, एक सैनिक ने…
आज हम यहाँ बैठ दिन भर टीवी पर उन दिनों की कवरेज देखेंगे, कल हुए नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह को देखेंगे… सोचिये उन दिनों हाड कंपा देने वाली सर्दी में किस तरह उन जाबांजो ने देश की रक्षा करते हुए कैसे तनाव के क्षणों में समय बिताया होगा..!!!
उन दिनों महान कवि (स्वर्गीय )श्री हरिवंश राय बच्चन ने अपनी अमर कविता “अग्निपथ” की चंद पंक्तियाँ स्वयं लिखकर भारतीय सेना की हौंसला अफजाई की थी. उसी हस्तलिखित कविता को म्यूजियम में फ्रेम करवा के रखा गया है… ये पंक्तियाँ हमें आज भी लगातार आगे बढते रहने की प्रेरणा देती है.
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2 Comments
Gopesh
July 26, 2012 at 12:38 pmFantastic effort dude ! Very well described feature with appropriate pictures takes you the actual place. Nice. Keep it up.
ankush bhatnagar
July 26, 2012 at 2:19 pmme un great warriors ko grand salute karta hu jinhone apne desh ke liye or desh ke logo ke liye apni jaan ki parwah kiye bina is desh ki raksha ki. or sath hi salute he un matao ko jinhone aese saputo ko janam diya.